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अल्मोड़ा के जिस भवन में रुके थे, वो आज भी यहां देखने को मिलता है. स्वामी विवेकानंद

अल्मोड़ा. स्वामी विवेकानंद का उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से गहरा नाता रहा है. स्वामी जी अपने जीवन में तीन बार साल 1890, 1897 और 1898 में अल्मोड़ा आए थे. यहां आने की वजह बताते हुए एक बार उन्होंने कहा था किअल्मोड़ा आकर उन्हें अद्भुत शांति की अनुभूति होती है. स्वामी विवेकानंद अल्मोड़ा (Swami Vivekananda Almora Visit) के जिस भवन में रुके थे, वो आज भी यहां देखने को मिलता है. उनके द्वारा इस्तेमाल किये गये कई सामान आज भी यहां सहेज कर रखे हुए हैं.

अल्मोड़ा के खजांची मोहल्ला स्थित लाला बद्री शाह के मकान में स्वामी विवेकानंद दो बार रुके थे. लाला बद्री शाह ने स्वामी विवेकानंद को अपने यहां रुकने का न्योता दिया था. सबसे पहले 1890 में स्वामी विवेकानंद यहां आने पर इस भवन में रुके थे. उसके बाद 11 मई, 1897 में वो जब दोबारा अल्मोड़ा आए थे, तब भी वो यहीं ठहरे थे.

इस भवन में स्वामी विवेकानंद की खड़ाऊं, लैंप, पंखा, दवात के अलावा कई अन्य चीजें भी देखने को मिलेंगी. इसके अलावा स्वामी विवेकानंद के द्वारा लाला बद्री शाह को लिखे गए पत्र को भी यहां रखा गया है. इनको देखने के लिए लोग भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों तक से यहां पहुंचते हैं.

राम कृष्ण कुटीर के अध्यक्ष स्वामी धरवेशानंद ने बताया कि स्वामी विवेकानंद का अल्मोड़ा से खासा लगाव रहा था. अल्मोड़ा के खजांची मोहल्ले में स्थित लाला बद्री शाह ने स्वामी विवेकानंद को यहां रुकने का आमंत्रण दिया था, जिसके बाद स्वामी जी यहां कुछ दिनों के लिए रुके थे. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद शिकागो सम्मेलन के बाद जब यहां पहुंचे, तो उन्होंने आने से पहले लाला बद्री शाह को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि वो और उनके कुछ मित्र अल्मोड़ा आने वाले हैं. यह पत्र आज भी इस भवन में रखा हुआ है.

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