हरियाणा के करनाल जिले में काफी इतिहास छिपे हुए हैं। एक हिस्ट्री है रेलवे स्टेशन के हैंडपंप की, जो 190 साल पुराना है। आजकल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि यह आज भी पानी देता है। रेलवे विभाग ने रंग-रोगन करके चमक-धमक के साथ इसे नया रूप देकर लगाया है।
हैंडपंप के इतिहास का बोर्ड भी लगाया है। वहीं इस पंप को जो भी देखता, इसका पानी जरूर पीकर जाता। रेलवे करनाल चीफ सुपरिंटेंडेंट महेंद्र सिंह ने बताया कि यह स्टोर में रखा हुआ था। कुछ समय पहले दो दिन के दौरे पर डीआरएम साहब आए थे। जब उन्होंने इसे देखा तो आदेश दिए कि इसे बाहर लाना चाहिए, ताकि यात्रियों को पुरानी तकनीकों की जानकारी हो सके, जो आज भी बहुत ही सुरक्षित हैं।
यह हैंडपंप 1930 से 1940 के दशक में प्रयोग होता था। 1970 में यह इस्तेमाल से बाहर हो गए थे, लेकिन लगाने पर यह हैंडपंप आज भी पहले की तरह काम करता है। पानी पीने के काम आता है। इनका खासियत यह है कि ऐसा हैंडपंप आज कहीं भी देखने को मिलेंगे नहीं। यह पुरानी तकनीक का हैंडपंप है, जो आज की पीढ़ी के लिए उदाहरण है।
रेलवे अथॉरिटी ने स्मार्ट सिटी करनाल होने के कारण रेलवे स्टेशन को भी स्मार्ट बनाने का बीडा उठाया है। इसके लिए एक म्यूजियम भी रेलवे स्टेशन पर तैयार किया है, जिसमें रेलवे ट्रैक में प्रयोग होने वाली वस्तुएं हैं। वाॅल क्लॉक है। टाइलें हैं। पुराने समय की कई वस्तुओं को इसमें रखा गया है। करनाल में दिनभर में करीब 109 ट्रेनें रुकती हैं।
आज ऐसी तकनीक कहां
यात्री रामधन ने बताया कि पहले लोग कुएं से पानी निकालते थे। उस समय में इस तकनीक का प्रयोग सामने लाया गया, जो सेफ रहा। लेकिन यह लुप्त हो गई, लेकिन इसका पानी आज भी पीने के लायक है। यह हैंडपंप काफी पुराना है और आज यह कहीं देखने को नहीं मिला। इसलिए जो भी यात्री इसे देखता, वह इतिहासा पढ़ते हुए इसका पानी जरूर पीकर जाता।