लोहार्गल का लक्खी मेला 20 से अगस्त से शुरू होगा, लेकिन मुख्य मेला 26 व 27 अगस्त को भरेगा। यह झुंझुनूं जिले का सबसे बड़ा मेला है। दो साल बाद फिर से लोहार्गल, मालकेत व शाकम्भरी की वादियों में लाखों श्रद्धालु पहुंचेंगे। खाटू श्याम जी से सबक लेकर प्रशासन पूरी तरह से चॉक चौबंद हो गया है। जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है। जिला कलेक्टर मेले को लेकर अधिकारियों को सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। खाटू श्यामजी की घटना के बाद प्रशासन पूरी तरह से चौकस नजर आ रहा है। लोहार्गल में कोरोना के कारण दो साल से परिक्रमा नहीं हो रही थीं। अब दो साल बाद मेला भरेगा। इस बार 24 कोसीय परिक्रमा के दौरान करीब पांच से सात लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में प्रशासन को खाटू में हुए हादसे को ध्यान में रख कर व्यवस्था करनी होगी। जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी ने बताया कि व्यवस्था पहले से बेहतर की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
ठाकुर जी की पालकी करती है अगुवाई
परिक्रमा की अगुवाई ठाकुर जी की पालकी करती है। बताते हैं इसकी शुरुआत खाकी संप्रदाय के रामकिशोर दास ने की थी। इसके बाद से यह परंपरा चल रही है। कोरोना के कारण दो साल तक परिक्रमा नहीं हो पाई थी। इस बार प्रशासन का अनुमान है कि पांच से छह लाख श्रद्धालु परिक्रमा में शामिल होंगे।
20 से शुरू होगी परिक्रमा
परिक्रमा की शुरुआत गोगा नवमी को लोहार्गल से होती है। इस बार गोगा नवमी 20 अगस्त को है। लोहार्गल के बाद पैदल यात्रा गोल्याना, चिराना, किरोड़ी, कोट, शाकंभरी, नांगकुण्ड, भगोवा, टपकेश्वर महादेव, शोभावती, खाकी अखाड़ा, नीम की घाटी, डाबपनोरा, रघुनाथगढ़, खोरी कुण्ड, गोल्याना से होते वापस लोहार्गल में अमावस्या को संपन्न होती है।
ये आती है सात जलधारा
-लोहार्गल
-किरोड़ी
-शाकंभरी
-नागकुण्ड
-टपकेश्वर महादेव
-शोभावती
-खोरी कुण्ड
कई जिलों से आते हैं श्रद्धालु
लोहार्गल की 24 कोसीय परिक्रमा में सीकर, चूरू, झुंझुनूं, नागौर, जयपुर, अलवर व हरियाणा सहित प्रदेश के कई जिलों से श्रद्धालु आते हैं। परिक्रमा मार्ग में पानी से भरे अनेक कुंड, झरने, बांध व जलधाराएं भी आती हैं। यहां थोड़ी सी भी लापरवाही बरती गई तो हादसा भी हो सकता है। मुख्य मेला स्थल लोहार्गल का मुख्य मार्ग भी कई जगह अतिक्रमण के कारण संकरा हो गया है। गौरतलब है कि 24 कोसीय परिक्रमा का मार्ग दो जिलों की सीमा में आता है। कुछ हिस्सा उदयपुरवाटी थाने के अंतर्गत है तो कुछ हिस्सा सीकर जिले में है।