( गगन थिंद ) पंजाब के शंभू बॉर्डर को खोलने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई होगी। यह मामला इस समय काफी गरमाया हुआ है, क्योंकि किसान नेता गुरनाम सिंह डल्लेवाल ने बॉर्डर खोलने की मांग को लेकर 22 दिनों से अनशन शुरू किया हुआ है। उनका अनशन बढ़ते ही जा रहा है और उनकी सेहत पर भी असर दिखाई दे रहा है। उनका यह अनशन किसान आंदोलन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में उभरा है, क्योंकि किसानों का मानना है कि शंभू बॉर्डर का बंद रहना उनके आंदोलनों की गति को रोक रहा है और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए मंगलवार का दिन तय किया है, और साथ ही कोर्ट ने डल्लेवाल की मेडिकल रिपोर्ट भी तलब की है। कोर्ट चाहता है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि उनका स्वास्थ्य अनशन के कारण गंभीर रूप से प्रभावित न हो, और उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। डल्लेवाल का अनशन किसानों के संघर्ष का प्रतीक बन चुका है, और वह सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि शंभू बॉर्डर को खोला जाए, ताकि किसान अपनी आवाज को स्वतंत्र रूप से उठा सकें। सरकार और किसान नेताओं के बीच यह विवाद तब से जारी है, जब से सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन को दबाने के प्रयास किए थे। हालांकि, सरकार का पक्ष यह रहा है कि बॉर्डर को सुरक्षा कारणों से बंद किया गया है, लेकिन किसानों का आरोप है कि यह एक तरीके से उनके आंदोलन को कुचलने का प्रयास है। शंभू बॉर्डर पर लगी बैरिकेडिंग और सुरक्षा घेराबंदी ने कई दिनों से किसानों के आंदोलनों को प्रभावित किया है।
किसान नेताओं का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। डल्लेवाल ने भी यह साफ किया है कि वह तब तक अपना अनशन जारी रखेंगे जब तक शंभू बॉर्डर नहीं खोला जाता। अब यह देखने वाली बात होगी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय देता है और किसानों की मांगों को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं। किसान नेता डल्लेवाल के स्वास्थ्य की स्थिति और उनके अनशन की लंबी अवधि को देखते हुए, यह उम्मीद की जा रही है कि अदालत इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी और जल्द से जल्द एक ठोस निर्णय देगी, ताकि डल्लेवाल और अन्य किसान नेताओं की सेहत पर कोई और प्रतिकूल असर न पड़े।