( गगन थिंद ) पंजाब यूनिवर्सिटी ने अपने अधिकारियों, शिक्षकों और कर्मचारियों पर लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक स्टैंडिंग कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का कार्यकाल 2025 तक रहेगा और यह यौन उत्पीड़न, वित्तीय गड़बड़ी तथा विश्वविद्यालय के नियमों के उल्लंघन जैसे गंभीर मामलों की गहन जांच करेगी।
यह कमेटी पीयू के कैलेंडर वॉल्यूम-III 2019 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बनाई गई है। इसका प्रमुख उद्देश्य विश्वविद्यालय में पारदर्शिता बनाए रखना और गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच करना है। कमेटी का नेतृत्व लॉ विभाग के डॉ. दविंद्र सिंह करेंगे, जबकि कैमिस्ट्री विभाग की सोनल सिंगल, यूआईएमएस की मोनिका अग्रवाल और गांधीयन एंड पीस स्टडीज विभाग के प्रोफेसर मनीष शर्मा को विशेष सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
प्रशासनिक अधिकारियों की भागीदारी
कमेटी में कुछ प्रशासनिक अधिकारियों को भी शामिल किया गया है, जिनमें असिस्टेंट रजिस्ट्रार (एस्टेबलिशमेंट वन और टू), असिस्टेंट रजिस्ट्रार (डीएसडब्ल्यू ऑफिस), और डिप्टी रजिस्ट्रार (कॉलेजिस) शामिल हैं।
जांच प्रक्रिया और सर्कुलर
कमेटी शिकायतों की जांच के दौरान सबूतों का विश्लेषण करेगी और दोनों पक्षों से बातचीत करेगी। इसके बाद, कमेटी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करेगी। पीयू के रजिस्ट्रार ने कमेटी के गठन को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है। इससे पहले भी इस तरह की कमेटियां गठित की जा चुकी हैं, जिन्होंने यौन उत्पीड़न और अन्य आरोपों की जांच की थी।