( गगन थिंद ) सांप इंसानों के लिए केवल खतरनाक जीव ही नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी और दिलचस्प जीव भी होते हैं। पृथ्वी पर कई ऐसे जीव हैं जो इंसान के लिए खतरनाक हो सकते हैं, लेकिन सांप की पहचान इंसान और अन्य जानवर दोनों ही बहुत तेजी से करते हैं। ये जानवर सांप को देखते ही उसे खतरे के तौर पर पहचान लेते हैं, और कुछ समय बाद उनसे मिलती-जुलती चीज़ें देखकर भी सांप की याद आ जाती है। यह सच है कि केवल इंसान नहीं, बल्कि बंदर समेत अन्य प्राइमेट भी सांप को जल्दी पहचान लेते हैं और उसे खतरे के तौर पर देखते हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों को इस प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी, लेकिन जापान की एक हालिया रिसर्च ने इस रहस्य का पर्दाफाश किया है।
जापान का खास प्रयोग
जापान की नागोया यूनिवर्सिटी के कॉग्नीटिव साइंटिस्ट, नोबूयूकी कवाई ने इस सवाल का जवाब खोजने के लिए एक विशेष प्रयोग किया। उन्होंने जापानी मकाक बंदरों पर अध्ययन किया और पाया कि मकाक और इंसानों में सांप को जल्दी पहचानने की जो काबिलियत है, वह सांप की चमड़ी के कारण होती है। सांप की चमड़ी का विशेष रूप से आंतरदृष्टि उत्पन्न करना प्राइमेट्स को छिपे हुए खतरे की पहचान करने में मदद करता है।
क्या था प्रयोग?
कवाई के शोध में तीन मकाक बंदरों पर कई प्रयोग किए गए, जिन्होंने पहले कभी सांप, सरीसृप या उभयचर नहीं देखे थे। सबसे पहले, इन बंदरों को केवल सांप की तस्वीरें दिखाई गईं। जैसा कि उम्मीद थी, इन बंदरों ने सांप की तस्वीरों पर सामान्य से कहीं ज्यादा तेजी से प्रतिक्रिया दी। वहीं, जब इन बंदरों को सैलेमैंडर की तस्वीर दिखाई गई, तो उन्होंने उतनी तेज़ प्रतिक्रिया नहीं दी।
यहां पर एक दिलचस्प मोड़ आया, जब शोधकर्ताओं ने सैलेमैंडर की तस्वीरों में सांप की चमड़ी पहनाकर दिखाई। इस पर बंदरों ने उसी तरह से तेजी से प्रतिक्रिया दी जैसे पहले सांप की तस्वीरों पर दी थी। इससे यह सिद्ध हुआ कि सांप की चमड़ी ही वह संकेत है, जो बंदरों को इसे पहचानने में मदद करता है।
सांप की चमड़ी से जुड़े रिएक्शन
कवाई ने बताया कि इस प्रयोग ने यह साफ किया कि इंसान और प्राइमेट सांप को जल्दी पहचानते हैं, और यह जल्दी पहचानने की प्रक्रिया सांप की चमड़ी से जुड़ी हुई है। बंदरों ने सैलेमैंडरों को पहले सामान्य रूप से देखा, लेकिन जब उनकी तस्वीरों में सांप की चमड़ी पहनाई गई, तो उन्होंने तुरंत उस पर प्रतिक्रिया दी।
क्या सांप की चमड़ी है खतरे का संकेत?
यह शोध यह बताता है कि सांप की घुमावदार और बिना पैर वाली चमड़ी विशेष रूप से इंसान और प्राइमेट्स पर जल्दी रिएक्शन उत्पन्न करती है। इसी तरह की चमड़ी को देखकर प्राइमेट्स और इंसान यह निर्णय लेते हैं कि क्या यह कोई खतरनाक जीव है या नहीं। यह पहले किए गए उन शोधों का भी समर्थन करता है, जिसमें पाया गया था कि बंदर और अन्य प्राइमेट सांप की चमड़ी को देख कर नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।
सांप की चमड़ी और विकास का संबंध
ऐसा हो सकता है कि प्राइमेट्स के विकास के दौरान उनके पूर्वजों ने सांप जैसी चमड़ी को खतरनाक जीवों के साथ जोड़ने का सिस्टम विकसित किया होगा। यह अध्ययन हमारे और अन्य जानवरों के दृश्य और मस्तिष्क के विकास को समझने में भी मदद कर सकता है।
सांप से जुड़ा खतरा
यह कम लोग जानते हैं कि आज भी इंसान के लिए सबसे बड़ा खतरा सांप ही हैं, जो हर साल 94 हजार मौतों के लिए जिम्मेदार होते हैं। वहीं, शार्क से मौत की संख्या केवल 14 थी। यहां तक कि सात महीने के बच्चे जो कभी सांप नहीं देखे होते, वे भी सांप को देखकर खतरा महसूस करने लगते हैं। यह अध्ययन यह साबित करता है कि सांप की पहचान और उससे जुड़ी चेतावनी प्राकृतिक विकास का हिस्सा हो सकती है, जिससे मानवों और अन्य जानवरों को उनके खतरे से बचने में मदद मिलती है।