चंडीगढ़ | किसान आंदोलन के समय किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए थे और यह मुकदमे कोर्ट में चल रहे हैं। हालांकि सरकार ने इन्हें वापस लेने की प्रकिया शुरू की है, परंतु किसानों के पास कोर्ट से सम्मन आ रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन चढूनी के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हरियाणा के बहुत से किसानों के पास नोटिस आ रहे हैं। सरकार से फैसला लिया था कि केस वापस लेंगे। हालांकि कोर्ट के केसों में समय लग रहा है। किसी भी भाई को सम्मन आते हैं तो न लें। यदि वे सम्मन ले भी लेते हैं तो कोर्ट में पेश होने की जरूरत नहीं है।
इस संबंध में सीआईडी चीफ से दो मीटिंग पहले हो चुकी हैं। नजदीक भविष्य में भी बैठक होगी। चढूनी ने कहा कि सरकार ने फैसला किया है, उस पर नजर रखे हुए हैं। किसान इंतजार करें। घबराने की जरूरत नहीं। आगे जैसे भी निर्देश होंगे, किसानों को बता दिया जाएगा। बता दें कि तीन कृषि कानून के विरोध में टीकरी, सिंघु बॉर्डर पर धरनों के दौरान किसानों पर मुकद्दमे दर्ज किए गए थे। हरियाणा में भी कई जगहों पर धरना प्रदर्शन के दौरान मुकदमे दर्ज हुए। सरकार के साथ समझौते के बाद सरकार ने अति गंभीर केसों को छोड़कर बाकी केसों को वापस लेने पर सहमति जताई थी, जिस पर अमल किया जा रहा है।
किसान आंदोलन के दौरान 276 एफआईआर
हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान करीब 276 केस दर्ज किए गए। इसमें से 4 केस गंभीर प्रकृति के हैं। ये चार केस हत्या, बलात्कार के हैं। जबकि 272 केस में से 178 केस में चार्जशीट तैयार की गई। 158 केस अभी तक अनट्रेस हैं। 8 की कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार कर ली गई। चार केस की कैंसिलेशन रिपोर्ट फाइल कर दी गई है। 29 केस रद्द करने की प्रकिया चल रही है।