हरियाणा के पानीपत क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने के आरोपों में घिरे पानीपत थर्मल पावर प्लांट की मुश्किल बढ़ सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने थर्मल प्लांट पर अपनी फाइनल रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंप दी है। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक 24 नवंबर 2021 को थर्मल से निकलने वाली राख से प्रभावित गांव में भूजल के सात, फसलों के पांच, मिट्टी के पांच और हवा के पांच सैंपल लिए गए थे। दिल्ली की श्रीराम लैब ने यह 22 सैंपल लेकर जांच की थी। इसमें सामने आया कि प्रदूषण से गांव की मिट्टी पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
एनजीटी में सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक थर्मल के प्रदूषण के कारण आसपास के क्षेत्र का भूजल भी खराब हुआ है। सीपीसीबी की टीम ने पांच ट्यूबवेल से सैंपल लिए थे, जोकि फेल हुए। सीपीसीबी को सिविल सर्जन द्वारा दी गई रिपोर्ट में माना गया है कि थर्मल क्षेत्र में लोगों को एलर्जी, चर्म रोग एवं सांस संबंधी बीमारी है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगाए गए स्वास्थ्य शिविरों की रिपोर्ट भी सीपीसीबी ने एनजीटी को सौंपी है। सीपीसीबी की इस रिपोर्ट पर एनजीटी का फैसला आएगा। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद थर्मल प्लांट प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
13 मई 2019 को मुख्यमंत्री को दी गई थी शिकायत
जाटल ग्राम पंचायत ने 13 मई 2019 को मुख्यमंत्री को शिकायत दी थी। हरियाणा राज्य पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड ने 10 जून को थर्मल के चीफ इंजीनियर को नोटिस दिया। चीफ इंजीनियर ने 25 जून को जवाब दिया। इस दौरान ग्राम पंचायत ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया। गांव में आठ सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया। एचएसपीसीबी ने थर्मल पावर स्टेशन को प्रीवेंशन एंड कंट्रोल पोल्यूशन एक्ट 1981 की धारा 31-ए के तहत 25 जून को भी नोटिस दिया था, जिसके बाद अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है।
थर्मल के साथ बढ़ती गई झील
दरअसल, थर्मल की राख डालने के लिए झील बनाई गई थी। इसका पहला हिस्सा 1974 में शुरू हुआ, तब थर्मल की चार यूनिट से बिजली उत्पादन होता था। झील 768 एकड़ में थी। 2006 में थर्मल की पांच से आठ तक नई यूनिट शुरू की गई। इसमें 436 एकड़ में झील का नया हिस्सा बनाया गया। झील 1204 एकड़ तक फैल गई। अनुमान के अनुसार यह प्रदेश की सबसे बड़ी राख की झील है।
एचएसपीसीबी ने दी थी क्लीन चिट
जाटल पंचायत की शिकायत पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने थर्मल प्रशासन को राख उठाने और उसके निस्तारण की व्यवस्था पर क्लीन चिट दी थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने थर्मल प्रशासन का एक्शन प्लान भी ठुकरा दिया था। एनजीटी ने थर्मल प्रशासन से कहा था कि वह कोई शार्ट टर्म एक्शन प्लान लेकर आए। इससे पहले थर्मल प्रशासन ने 10 साल में राख का डिस्पोजल करने का एक्शन प्लान दिया था।
सीपीसीबी ने दी अपनी रिपोर्ट
थर्मल के मामले की रिपोर्ट सीपीसीबी ने एनजीटी को दे दी है। एनजीटी के जो भी निर्देश आएंगे उसके अनुुसार ही काम किया जाएगा।-कमलजीत सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड