चंडीगढ़ | मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में देरी के मामले में हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने उप सिविल सर्जन रोहतक डॉ. केएल मलिक को 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। आयोग ने आदेश दिए हैं कि 5 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर शिकायतकर्ता को देने होंगे।
हरियाणा सेवा आयोग की सचिव मीनाक्षी राज ने बताया कि एक पीड़ित विधवा के लंबित मामले का आयोग के हस्तक्षेप से समाधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि 1995 में मौतों से संबंधित रिकॉर्ड गुम हो गया और कुछ नष्ट हो गया था। वर्तमान में मुख्य आयुक्त एचआरटीएससी जो तत्कालीन डीसी भिवानी ने भी इस मामले में अपनी सहमति व्यक्त की थी।
1994 में हुई मौत के इस मामले में मृत्यु की जांच चिकित्सा अधिकारी महम डॉ. आनंद प्रकाश द्वारा की गई थी, जिन्होंने मामले को दर्ज करने के लिए उप सिविल सर्जन, रोहतक को सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि जांच आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बयानों पर आधारित थी, जिन्होंने मौत के संबंध में ग्रामीणों से पूछताछ करने पर पुष्टि की थी।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट और डॉ. आनंद प्रकाश द्वारा व्यक्ति की मृत्यु दर्ज करने की स्पष्ट सिफारिश के बावजूद नामित अधिकारी ने मामले को सहायक दस्तावेजों की कमी का हवाला देकर दावे को गलत तरीके से खारिज कर दिया।
मुख्य आयुक्त, एचआरटीएससी के समक्ष सुनवाई के दौरान मृतक की विधवा द्वारा की गई शिकायत के आधार पर सुओ मोटो नोटिस दिए जाने पर भी प्रतिवादी डॉक्टर मौत के सबूत के अभाव में अपनी दलीलें देता रहा। आवेदक को वरिष्ठ नागरिक मानकर भी संबंधित प्राधिकारी मामले में सहयोग करने के लिए सहमत नहीं थे।
बहुत संवेदनशील मामला था, लेकिन डॉक्टर ने नहीं दिखाई गंभीरता : गुप्ता
टीसी गुप्ता ने बताया कि यह उनके द्वारा देखा गया अब तक का बहुत संवेदनशील मामला था। जहां व्यवस्था इतनी उदासीन हो गई कि एक असहाय गरीब विधवा, जो पहले ही अपने पति को खो चुकी है को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए दर-दर भटकना पड़ा। संबंधित चिकित्सक अधिकारी द्वारा पूरी तरह से विवेक का प्रयोग न करने के गंभीर मामले में आयोग ने अधिकतम जुर्माना लगाने का निर्णय लिया। आयोग किसी भी संबंधित अधिकारी को नहीं बख्शेगा जो आवेदक के बहुमूल्य समय का सम्मान नहीं करता।