हरियाणा के निजी स्कूल सरकार के दबाव में आने को तैयार नहीं हैं। निजी स्कूल संचालकों ने साफ कर दिया है कि गरीब बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति की राशि अभी नहीं मिली है। सरकार दाखिलों को लेकर उन पर दबाव न बनाएं। निसा (नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि 9वीं से 12वीं कक्षा के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने की राशि का भी जल्द निर्धारण किया जाए। निजी स्कूलों को दाखिले न करने पर नोटिस न देना अनुचित है। फॉर्म-6 जमा करने की तारीख सरकार बढ़ाए।
2014 से 134-ए तहत मिलने वाली मानदेय राशि पिछले करीब 8 वर्षों से बकाया है। बार-बार आग्रह करने के बावजूद सरकार पैसे नहीं दे रही। 134-ए के तहत मिलने वाली राशि को 200 रुपये प्रति माह बढ़ाने की अब तक लिखित सूचना नहीं मिली है। गांव व शहरों के स्कूलों को एक समान राशि पढ़ाई के लिए मिलनी चाहिए। सरकार 9वीं से 12वी में 134-ए के तहत बच्चों को जोर-जबरदस्ती से दाखिले दिला रही है। सरकार 9वीं व 10वीं के गरीब छात्रों को पढ़ाने के लिए 1500 रुपये, 11वीं-12वीं के छात्रों के लिए 2000 रुपये दिए जाएं।
उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों को 1 फरवरी तक फॉर्म -6 ऑनलाइन जमा करना है। अभी तक पोर्टल पर फॉर्म-6 भरने की विंडो शुरू नहीं हुई है। सरकार ने बहुत विस्तृत फॉर्म-6 जारी किया है, लेकिन इसे किस करने के लिए कोई भी साफ दिशा निर्देश जारी नहीं हुए हैं। फॉर्म भरने की अवधि 15 मार्च तक बढ़ा दी जाए। हर ब्लॉक स्तर पर फॉर्म भरने का प्रशिक्षण दें।
सरकार ने पिछले दिनों 2003 से पहले से चल रहे स्कूलों को राहत देते हुए भूमि से जुड़े हुए नियमों में कुछ राहत दी है। गांव व शहर के स्कूलों के लिए भूमि के मानक अलग-अलग हैं। सरकार से अनुरोध है कि गांव व शहरों के स्कूलों के लिए भूमि के मानक एक जैसे होने चहिये। 2019 में सरकार ने प्ले वे स्कूलों के लिए लगभग 1000 वर्ग गज भूमि का मानक तय किया था। सभी प्ले वे स्कूल संचालक इससे असहमत हैं।
नर्सरी से 12वीं तक स्कूलों को तुरंत खोलें
कुलभूषण ने कहा कि पिछले 2 वर्षों से स्कूल कोरोना की मार झेल रहे है। बच्चों के सीखने-पढ़ने का नुकसान पहले ही बहुत ज्यादा हो चुका है। जिम, क्लब, शराब के ठेके सब खुले हैं, सरकार तुरंत प्रभाव से नर्सरी से लेकर 12वीं तक के स्कूलों को खोले। हरियाणा सरकार दिसंबर -2021 में फीस रेगुलेशन एक्ट लेकर आई है।
इसके तहत प्राइमरी में 12 हजार तक की सालाना फीस एवं मिडिल स्कूलों में 15 हजार तक की सालाना फीस लेने वाले स्कूलों को बाहर रखा गया है। सरकार से गुजारिश है कि प्राइमरी स्तर पर 20,000, मिडिल स्तर पर 25,000, सेकेंडरी स्तर पर 30,000 व सीनियर सेकेंडरी स्तर पर 35,000 तक सालाना फीस लेने वाले स्कूलों को इस एक्ट के दायरे से बाहर रखा जाए।
पांचवीं-आठवीं में बोर्ड परीक्षा का निर्णय वापस लें
सरकार ने 5वीं व 8वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा को मंजूरी दी है। नई शिक्षा नीति के तहत तीसरी, 5वीं व 8वीं कक्षा में स्कूलों की गुणवत्ता जांचने के लिए स्कूल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन करना है। सरकार से अनुरोध है कि नई शिक्षा नीति के सुझाव पर कार्य करें।