कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण के दौरान हुई गलत एंट्री को अब लोग खुद ही ठीक कर पाएंगे। अब तक यह सुविधा केवल स्वास्थ्यकर्मियों के पास थी। जिन लोगों से अपने विवरण दिए जाने में गलती हो गई थी, वे इसे खुद ही ठीक कर सकेंगे ताकि उन्हें प्रमाणपत्र हासिल करने में दिक्कत न हो। इससे लोगों की एक बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। क्योंकि अब तक जो विवरण दर्ज हो गया उसे ठीक नहीं किया जा सकता था। जिस कारण लोगों को अपने प्रमाणपत्र हासिल करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
गौरतलब है कि टीका लगवा चुके काफी नागरिकों के सामने प्रमाणपत्र में अशुद्धियों को लेकर समस्या आ रही थी। लोगों ने टीका तो लगवा लिया लेकिन प्रमाणपत्र में त्रुटियां पाई गईं। इसके अलावा कई लोगों के प्रमाणपत्र एप पर दिख नहीं रहे थे। टीका लगवाते समय दिया गया मोबाइल नंबर, आधार नंबर और नाम गलत होने जैसी समस्याओं का लोगों को सामना करना पड़ा। ऐसे में लोगों को एंट्री ठीक करवाने के लिए या तो स्वास्थ्य कर्मियों के पास या फिर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आशा वर्करों के पास चक्कर काटने पड़ रहे थे।
विभाग के कर्मचारियों के पास इस प्रकार की शिकायतें भी आईं कि जब किसी लाभार्थी ने टीके तो दोनों लगवा लिए हों लेकिन प्रमाणपत्र डाउनलोड न हो रहा हो। इससे टीका लगवाने वालों और टीकाकरण के कार्य में लगे कर्मियों को परेशानी हो रही थी। अब अपडेट करने का विकल्प मिलने से नागरिक खुद अपने प्रमाणपत्र में संशोधन कर सकते हैं।
एक मोबाइल नंबर के जरिये टीका लगवाने वालों की संख्या में भी की बढ़ोत्तरी
एक मोबाइल नंबर के माध्यम से टीकाकरण करवाने वालों की संख्या में भी विभाग ने बढ़ोतरी का विकल्प दिया है। अब तक एक मोबाइल नंबर पर किसी परिवार के केवल 4 सदस्यों को ही टीका लगवाने की अनुमति रही है, लेकिन अब 6 सदस्य एक मोबाइल नंबर पर टीकाकरण करवा सकते हैं।
जैसे ही टीका लगवा चुके किसी भी सदस्य का प्रमाणपत्र देखने के लिए मोबाइल नंबर लिखेंगे तो उस नंबर पर सभी सदस्यों के टीकाकरण की जानकारी उपलब्ध हो जाएगी फिर संबंधित व्यक्ति का प्रमाणपत्र डाउनलोड किया जा सकता है। इसके अलावा बिना टीका लगवाए किसी की गलत हुई एंट्री को डिलीट करने का भी विकल्प दिया गया है।
सिविल सर्जन डॉ. जयंत आहूजा ने बताया कि टीकाकरण करवाने वाले नागरिकों की सुविधा के लिए विभाग ने कोविन एप को अपडेट किया है। इससे नागरिकों के साथ-साथ टीकाकरण में लगे कर्मचारियों को भी लाभ होगा। अगर बार-बार प्रयास के बावजूद एंट्री ठीक नहीं हो तो टीकाकरण में लगे कर्मचारियों का सहयोग भी लिया जा सकता है।