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फरलो पर हरियाणा सरकार का HC को जवाब- ‘राम रहीम हार्डकोर क्रिमिनल नहीं, हत्याएं की नहीं, साजिश रची, खालस्तानियों से उसकी जान को है खतरा’

दो हत्याओं और साध्वियों से रेप का दोषी सिरसा डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम सिंह ‘हार्डकोर क्रिमिनल’ यानि अति गंभीर प्रवृत्ति का अपराधी नहीं है। पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान डेरा मुखी को फरलो देने वाली हरियाणा सरकार का ऐसा कहना है। विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सहोली की याचिका पर यह जवाब हाईकोर्ट में सरकार ने दिया है। याची ने डेरा मुखी को हार्डकोर अपराधी बताया था।

हाईकोर्ट को बताया गया कि डेरा मुखी को जिन दो हत्या मामलों में सजा हुई है, उसने खुद वह हत्याएं नहीं की थीं। वह हमलावरों के साथ साजिश रचने की धाराओं में आरोपी था। उसे सजा भी इसी अपराध में हुई थी। मामले में रोहतक की डिस्ट्रिक्ट जेल के सुपरिंटेंडेंट सुनील सांगवान का हलफनामा कोर्ट में पेश किया गया है। डेरा मुखी की फरलो रद्द करने की मांग याचिका में की गई है। अगली सुनवाई 25 फरवरी को है।

कानून के तहत ही दी गई फरलो

सरकार ने कहा है कि दुष्कर्म मामले में डेरा मुखी 7 फरवरी 2022 तक 6 साल, 1 महीना और 9 दिन की सजा काट चुका था। यदि डेरा मुखी को हार्डकोर क्रिमिनल मान भी लिया जाए तो भी वह फरलो का हकदार था। 7 फरवरी को हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेंपरेरी रिलीज) एक्ट की धारा 5ए के तहत यह फरलो दी गई थी। याचिका में डेरा मुखी को हार्डकोर अपराधी बताया गया था। वहीं कहा गया कि उसने एक्ट के तहत न्यूनतम 5 वर्ष की सजा पूरी नहीं की थी। ऐसे में उसे गलत ढंग से फरलो की दी गई।

यूं पूरे हो गए डेरा मुखी के जेल में पांच साल

अंडरट्रायल अवधि – 3 दिन (25 अगस्त, 2017 से 27 अगस्त, 2017) सजा के बाद ही अवधि- 4 साल, 5 महीने, 10 दिन ( 28 अगस्त, 2017 से 7 फरवरी, 2017) वास्तविक सजा अवधि -4 साल, 5 महीने, 13 दिन जेल में सजा में कमाई गई छूट- 1 साल, 7 महीने, 26 दिन कुल सजा अवधि- 6 साल, 1 महीना, 9 दिन

याचिका पर सवाल

सरकार ने कहा कि याचिका सियासी विचारों के तहत दायर की गई है, क्योंकि याची पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। बिना किसी आधार के यह याचिका दायर की गई। नियम और कानूनी प्रावधानों के तहत ही फरलो दी गई।

पहले मां के इलाज के लिए पैरोल मांगी थी

17 जनवरी, 2022 को डेरा मुखी ने अपनी बीमार मां के इलाज और परिवार को मिलने के लिए 42 दिनों की पैरोल मांगी थी। उसकी मांग को पुलिस अफसरों और सरकार के पास भेजा गया। इस दौरान एडवोकेट जनरल की कानूनी राय ली गई, जिसमें कहा गया कि डेरा मुखी का केस हार्डकोर कैदी की श्रेणी में नहीं आता।

इसके बाद डेरा मुखी ने 31 जनवरी को फिर एक अर्जी देकर अस्थाई रुप से रिहाई (फरलो) की मांग कर गुरुग्राम में परिवार से मिलने की इच्छा जताई थी। वह हार्डकोर अपराधी नहीं था और जेल में कोई अपराध भी नहीं किया है। ऐसे में उसके केस को देख उसे फरलो का लाभ दिया गया था। इसके तहत कुछ शर्तें भी लगाई गई थी।

डेरा मुखी को खालिस्तानियों से जान का खतरा

डेरा मुखी को जेल से बाहर लाने से पहले रोहतक डिविजन के कमिश्नर ने सीआईडी रिपोर्ट भी मांगी थी। एडीजीपी (सीआईडी) ने रिपोर्ट में कहा था कि पुष्ट जानकारी के मुताबिक डेरा मुखी को प्रो-खालिस्तान गतिविधियों से खतरा है। ऐसे में उसे जेड प्लस सुरक्षा देने की बात कही गई थी।

डेरा मुखी का क्रिमिनल रिकॉर्ड

गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण के अगस्त 2017 में 2 मामलों में 10-10 साल कैद की सजा और 15,10,000-15,10,000 रुपए जुर्माना हुआ था। इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छात्रपति हत्या केस में उसे जनवरी 2019 में उम्रकैद और 50 हजार रुपए जुर्माना हुआ था। डेरा प्रबंधन रंजीत सिंह हत्या केस में उसे कठोर कारावास और कुल 31 लाख रुपए जुर्माना हुआ था। इसके अलावा उसके खिलाफ 400 साधुओं को नपुंसक बनाने और फरीदकोट के बाजाखाना थाने में बेअदबी की घटना से जुड़ा केस चल रहा है।

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