करनाल में सीएम मनोहर लाल निवास पर पहुंचकर यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों के परिजन आए दिन इंडिया बुलाने की गुहार लगा रहे हैं। वहां हालात पर बुधवार को सीएम प्रतिनिधि से मिलने आए परिजन तो भावुक हो गए। लोगों ने उन्हें हौंसला दिया और प्रदेश सरकार तक पूरी बात को पहुंचाने का आश्वासन दिया।
बताया गया कि यूक्रेन में फंसे 6300 में से करीब 650 युवा अकेले करनाल से हैं। जो यूक्रेन में इमरजेंसी होने के कारण कमरे में बंद हैं। परिजनों को एक ही चिंता बने हुए हैं क्या उनके बच्चे वापस आ पाएंगे।
3 साल पहले यूक्रेन भेजा था बेटा
अमरजीत का कहना है कि 3 साल से उसका बेटा यूक्रेन गया हुआ है। इंडियन एंबेसी उनको बुलानी की कोशिश नहीं करती। दो दिन पहले यूनिवर्सिटी के साथ मीटिंग की। भारत जाने के लिए छात्रों को बोला। हमारे पास जैसी ही सूचना आई तो दो दिनों से टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं। हमारी 27 फरवरी की टिकट हुई।
अब यूक्रेन में इमरजेंसी लग गई। हमारी प्रधानमंत्री से अपील है कि हमारे बच्चों को वापस लाया जाए। इससे पहले अफगानिस्तान और चाइना से बच्चे लेकर आए हैं। अब यूक्रेन से उन्हें लाया जा सकता है। हम तो पैसे दे सकते हैं। उन्हें ला तो नहीं सकते। परिवार की चिंता बने हुए हैं। ना तो हम वहां पर जहाज भेज सकते और ना ही हम जहाज खरीद सकते हैं।
ये बच्चे प्रधानमंत्री के हैं। वहां पर इमरजेंसी लगी हुई है। सब कमरे में बंद है। कुछ खाने का है या नहीं कुछ नहीं बता रहे। मेरे बच्चे पोलैंड से 50-60 किलोमीटर दूर है। ऐसे बच्चों को दूसरे देशों में शिफ्ट किया जाना चाहिए। हमने पहले भी और आज भी सीएम आवास पर पहुंचे है। हमारे बच्चों की जानकारी सीएम को भेजी है। इस मामले में केंद्र सरकार का अहम योगदान रहेगा। प्रमात्मा से अरदास हैं कि बच्चों को सुरक्षित रखे।
दो महीने पहले ही भेजी थी बेटी
आकांशा के पिता ने बताया कि केंद्र व प्रदेश सरकार से हमारी गुहार है। वहां पर फंसे सभी बच्चों को निकाला जाए। बेटी दो महीने पहले ही एमबीबीएस करने के लिए यूक्रेन गई थी। अब हालात खराब हो गए। वहां फंसे बच्चों से बात तो लगातार हो रही है। टिकट नहीं मिल रहे। एयरपोर्ट बंद है। मां-बाप परेशान है। सरकार से गुहार है वहां पर फंसे बच्चों को निकाला जाए।
सरकार को भेजी रिपोर्ट
सीएम प्रतिनिधि संजय बठला का कहना है कि हमारे पास करनाल से यूक्रेन गए बच्चों के परिजन आ रहे हैं। बच्चों को वापस लाने के लिए सीएम मनोहर लाल को जानकारी भेजी जा रही है। सरकार अपने स्तर पर बच्चों को वापस लाने का काम कर रही है।