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यूक्रेन के 10 शहरों से भारतीय स्टूडेंट्स :छात्रों को निकालने आज रात एअर इंडिया 2 फ्लाइट भेजेगा; खर्च भारत सरकार उठाएगी

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां अलग-अलग शहरों में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए एअर इंडिया की 2 फ्लाइट आज रात रवाना होंगी। इसका खर्च भारत सरकार उठाएगी। ये बुखारेस्ट, रोमानिया के रास्ते भारतीयों को वापस लाएंगी। एम्बेसी ने छात्रों से पासपोर्ट और कोविड-19 वेक्सीनेशन का प्रमाणपत्र साथ लाने को कहा है।

इससे पहले गुरुवार की रात भारतीय छात्र मेट्रो स्टेशन, हॉस्टलों के बंकरों और अपने फ्लैट्स में छिपे रहे। यहां सुरक्षा में तैनात मार्शल उनके मोबाइल से यूक्रेन पर हमले से संबंधित फोटो और वीडियो डिलीट करा रहे थे। बंकर में छिपे छात्र हनुमान चालीसा का पाठ करते भी नजर आए। छात्रों का कहना है कि भारतीय एम्बेसी अगर क्लासेज ऑनलाइन चलवाने की मांग मान लेती तो वह फंसते नहीं। भास्कर ने यूक्रेन के कीव, सूमी, डेनेप्रो, इवोना, खार्किव, ओडेसा, विन्निसिया, टेरनोपिल, वेलेशिया ​​​​और डेवेन पैट्री जैसे शहरों में फंसे छात्रों से बात की…

टेरनोपिल, खार्किव से बिहार के शुभम, आकाश, वर्षा रानी की रिपोर्ट
यहां 6 बम गिरे हैं, फ्लाइट्स कैंसिल हैं’:बिहार के छात्र ने वीडियो मैसेज में कहा- हम फंस गए

भागलपुर के शुभम सम्राट भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। शुभम ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। शुभम ने एक वीडियो मैसेज जारी कर कहा कि- ‘पिछले कुछ दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई की आशंका थी। हम लोग यहां पढ़ाई कर रहे हैं। क्लासेस ऑफलाइन हैं। युद्ध की आशंका को देख इंडियन एंबेसी को हमने कई मेल किए कि क्लास ऑनलाइन करवा दें। पर बहुत कोशिशों के बाद भी वे लोग ऑनलाइन क्लास के लिए नहीं माने, तो हम लोगों ने यहीं रह कर अपनी पढ़ाई जारी रखी। क्लासेस अगर ऑनलाइन करा दी जाती तो हम घर जाकर भी पढ़ाई जारी रख पातें। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। क्लासेस ऑफलाइन ही चल रही थी। हम लोग यहां कॉलेज के हॉस्टल में फंसे हुए हैं।

बंकर में पटरे पर लेटकर बिताई रात, पानी के लिए लगानी पड़ रही लंबी लाइन

यूक्रेन के सबसे अधिक प्रभावित रूस के बॉर्डर पर स्थित खार्किव में बोधगया क्षेत्र के कई स्टूडेंट्स फंस गए हैं। मेडिकल की पढ़ाई कर रहे आकाश ने बताया कि उनके पास पैसे तो हैं पर उन्हें खाने-पीने के लिए सामान नहीं मिल रहा है। अगले 3-4 दिनों के लिए खाने-पीने के सामान एकत्रित कर रखा है। कॉलेज प्रबंधन की ओर से गुरुवार की शाम से मेस की शुरुआत की गई है। कुछ छात्र, जो हॉस्टल पहुंच चुके हैं, उन्हें भोजन किसी तरह से मिल रहा है। कुछ छात्र बंकर में अपनी जान बचाने को मजबूर हैं। उन्हें खाने-पीने में मुश्किलों का सामना कर पड़ रहा है। शहर की स्थिति ऐसी है कि पानी पीने के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ रही है।

बोधगया के अखिलेश कुमार सिंह कुशवाहा ने बताया कि उनकी बेटी वर्षा रानी यूक्रेन के खार्किव में फंस गई हैं। उसे बंकर में रखा गया है। वहां वह सुरक्षित तो है। लेकिन, खाने पीने की काफी दिक्कत हो रही है। बंकर के अंदर पटरे पर ही लेट कर रात गुजारी है। रात भर नींद नहीं आई है।

सूमी, विन्निसिया, वेलेशिया, इवोना से मध्यप्रदेश के छात्रों की रिपोर्ट
चीजें महंगी हो रहीं, पैसे भी खत्म हो रहे, हर घंटे आ रहे परिवार के वीडियो कॉल

देवास के हर्ष ठाकुर कीव में हैं। उन्होंने बताया कि हम सुरक्षित हैं। यहां के बाजारों में अधिकतर सामान खत्म होने को है। घर से बाहर निकलने से मना किया जा रहा है। स्कूल भी बंद हो गए हैं। ग्वालियर के पीयूष सक्सेना कीव से 60 किमी पूर्व में स्थित सूमी शहर में हैं। वे सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी में MBBS की फिफ्थ ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा- हमें यहां से निकाल लो तो हम सुरक्षित बच जाएंगे। क्योंकि यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। सूमी शहर में सारे बाजार बंद है। बसें, टैक्सियां भी नहीं चल रही हैं।

अशोकनगर की ऋषिका खंतवाल ने बताया कि अभी विन्निसिया नेशनल पिरोगोव मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में है। एक विदिशा और एक उत्तर प्रदेश की छात्रा साथ में है। हमला होते ही गुरुवार को हॉस्टल का सायरन बना और सभी को अलर्ट कर दिया गया। सभी ने खाने-पीने सहित अन्य जरूरी सामान की खरीदी कर ली है। पिता अनिल खंतवाल हर घंटे वीडियो कॉल कर हाल जान रहे हैं। देवास जिले के चापड़ा निवासी ऋषभ यादव यूक्रेन के डेनेप्रो शहर में हैं। उन्होंने बताया कि मार्केट में कोरोना काल जैसे हालात बन रहे हैं। किराना सहित अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए मार्केट में लोगों की भीड़ लग रही है।

सोनकच्छ के सुयश महाजन इवोना में फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि यहां खाने-पीने के सामान के लिए भगदड़ मची हुई है। दूतावास से संपर्क किया था, लेकिन वे भी कुछ जवाब नहीं दे पा रहे हैं। युद्ध के बीच भी क्लासेस लगाई जा रही है। घर आना अभी मुश्किल है।

जिस अंडरग्राउंड बंकर में हम ठहरे हुए हैं, वहां बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं

यूक्रेन के वेलेशिया शहर से मध्यप्रदेश के मेडिकल स्टूडेंट ऋषिकेश त्रिपाठी ने बंकर के हालात बताए। यूक्रेन की राजधानी कीव से 350 किलोमीटर दूर बसे शहर वेलेशिया में गुरुवार आधी रात तक हम फ्लैट में थे। अचानक वॉर सायरन बजा। हम सभी फ्लैट छोड़कर भागे। खाने-पीने का जो हाथ लगा उसे लेकर पास के सुरक्षित अंडरग्राउंड बंकर में शिफ्ट हुए। जिस अंडरग्राउंड बंकर में हम ठहरे हुए हैं, वहां बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। आसपास खाने-पीने का सामान नहीं मिल रहा है। बैग में रेडी-टू-ईट फूड साथ लाए हैं। हमारे साथ कई अन्य भारतीय स्टूडेंट्स भी हैं। सभी काफी डरे हुए हैं और मदद की आस लगाए बैठे हैं।

एक-दूसरे की मदद कर रहे भारतीय, जो जहां है, वहां अपनों से जुड़ गया

खार्किव शहर, रूस-यूक्रेन बॉर्डर के बैटल ग्राउंड से महज 35 किलोमीटर दूर है। मध्यप्रदेश के थांदला (झाबुआ) की रहने वाली MBBS स्टूडेंट रिचा धानक इस समय यहां के अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपी हुई हैं। रिचा ने बताया कि बुधवार शाम तक यहां सब कुछ सामान्य था। दोनों देशों के बीच युद्ध होने की केवल चर्चाएं थीं, लेकिन गुरुवार सुबह हालात बदल गए। कोई कुछ समझ पाता, तब तक रूसी सेना खार्किव शहर में दाखिल हो गई। जगह-जगह से धमाकों की आवाजें आने लगीं। रूसी सेना की बमबारी शुरू हो गई। आसमान में लड़ाकू विमानों का मूवमेंट शुरू हुआ।

महज एक से दो घंटे के भीतर सब कुछ बदल गया। शहर से कुछ दूरी पर ब्लास्ट हुआ था। तभी से सड़क पर सिर्फ एंबुलेंस और पुलिस का मूवमेंट ही नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच हो रहे युद्ध के बीच सभी भारतीय स्टूडेंट्स एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। जो स्टूडेंट, जिस शहर में है, वह सहयोगी के रूप में भारत और MP के अन्य स्टूडेंट्स से जुड़ गया है।

यूक्रेन में भोपाल की छात्रा के सामने हुआ धमाका

यूक्रेन की राजधानी कीव में एक फ्लैट में रह रही भोपाल की MBBS स्टूडेंट सृष्टि विल्सन ने बताया कि गुरुवार को उनसे कुछ दूरी पर बम गिरा। धमाके की आवाज उन्हें सुनाई दी। वह मंजर रूह कंपाने वाला था।

खार्किव से छत्तीसगढ़ के तुषार और गुलशन की रिपोर्ट
खार्किव में चार धमाके हुए तो बंकर में ले जाकर रखा, CM से मांगी मदद

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के छात्र तुषार गिरी गोस्वामी यूक्रेन में मेडिकल छात्र है। वह खार्किव के वीएन करजिन में 6th ईयर में पढ़ते हैं। तुषार ने बताया कि सुबह 5 बजे धमाकों की आवाज सुनाई दी। जिससे वह डर गया है। सुबह से लेकर एक के बाद एक कर चार बम धमाके हुए। इसके बाद यहां रहने वाले लोग भी दहशत में आ गए हैं। हालात खराब होने पर तुषार और उसके साथ रहने वाले स्टूडेंट को गुरुवार शाम बंकर में ले जाया गया है। जांजगीर-चांपा जिले के ही सक्ती का रहने वाला छात्र गुलशन राठौर भी खार्किव में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। उसने बताया कि युद्ध शुरू होने के बाद बमबारी हो रही है। ऐसे में उन्हें सुरक्षित जगह पर जाने की सलाह दी गई है। खतरे की आशंका को देखते हुए उन्हें स्थानीय लोगों के साथ बंकर में ले जाया गया है, जहां उन्हें रात बितानी होगी।

रायगढ़ के छात्र काफील खान कीव शहर में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया वह वेस्ट में लिवअप शहर की ओर जा रहे हैं। यहां से हंगरी जाने की तैयारी है। वहां पहुंच गए तो सुरक्षित घर वापसी की उम्मीद बढ़ जाएगी।

कीव से राजस्थान के छात्रों की रिपोर्ट
सुबह धमाके की आवाज से आंख खुली, अब वेस्टर्न एरिया में करेंगे शिफ्ट

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के बाद कीव में तारस शेवचेनको यूनिवर्सिटी और कीव नेशनल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट दहशत में हैं। भारतीय छात्र एक-दूसरे की हेल्प कर खुद भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। कुछ स्टूडेंट्स को हॉस्टल में बने बंकर में सुरक्षित रखा गया है। यहां वे सब मार्शल (यूक्रेन के सैनिक) की सुरक्षा और निगरानी में है। बताया जा रहा है कि तारस शेवचेतको यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले राजस्थानी स्टूडेंट को यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में शिफ्ट किया गया है। वहां बंकर बने हुए है। फिलहाल स्टूडेंट सुरक्षित हैं। स्टूडेंट अपना सामान पैक कर चुके हैं। यहां यूनिवर्सिटी और एंबेसी की ओर से कहा गया है कि जरूरी डॉक्यूमेंट को साथ रखें। उन्हें वेस्टर्न एरिया में शिफ्ट किया जा रहा है। यह वो एरिया है जहां अभी युद्ध जैसे हालात नहीं हैं।

वहीं, गुरुवार शाम को भी हालात कुछ ठीक नहीं थे। यहां जोधपुर समेत आस-पास के स्टूडेंट ने बताया कि शाम को एक बार फिर से आसमान में फाइटर जेट गरजने लगे। हालांकि एंबेसी से कॉल आने के बाद वे निश्चित हो गए कि जल्द ही वे अपने घर भारत लौट आएंगे। वहां के हालातों को लेकर दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने कई स्टूडेंट्स से बात की।

सुबह 5 बजे धमाके की आवाज सुन आंख खुली, लोग भाग रहे थे

जोधपुर की खुशी कीव में एक अपार्टमेंट में रह रही हैं। बताया कि भारत में सुबह 8:30 बजे होंगे। उस समय यूक्रेन में सुबह 5 बजे का समय था। अचानक तेज धमाका सुनाई दिया। धमाके के साथ आंख खुली। फ्लेट में अकेले थी। बाहर खिड़की से झांक कर देखा तो लोग सामान लेकर भाग रहे थे। कुछ समझ नहीं आया। इतने में एक फ्रेंड का कॉल आ गया। उसने बताया कि हमला हुआ है। न्यूज देखी तो पता चला युद्ध छिड़ चुका है। सब कुछ बंद हो गया था। कैब बुक नहीं हो पा रही थी। एक दोस्त ने मुझे कॉलेज के हॉस्टल में छोड़ा। यहां बंकर बने हुए हैं। हम सभी को यहां सुरक्षित रखा गया है।

यहां मार्शल लॉ लग चुका है। यानी हम लोग यूक्रेन सैनिकों की निगरानी में हैं। खुशी ने बताया कि फोन में यूक्रेन से संबंधित सभी फोटो और वीडियो डिलीट करवा दिए हैं। किसी को शेयर नहीं करने दिया जा रहा है। इस बीच एंबेसी से एक मैसेज मिला कि वे हमें वेस्टर्न एरिया में ले जाएंगे।

ओडेसा और डेवेन पेट्री से UP के छात्रों की रिपोर्ट

बलिया के नगरा निवासी अखिलेश जायसवाल का बेटा मनीष यूक्रेन के ओडेसा में रहकर पढ़ाई करता है। वह MBBS थर्ड ईयर का स्टूडेंट है। मनीष को 5 मार्च को देश लौटना था। प्लेन का टिकट भी हो चुका था। इसी बीच रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। अखिलेश का कहना है, कल 2 से 3 बार मनीष से बातचीत की। बिगड़े हालात के चलते वह परेशान है। मनीष ने बताया- यूक्रेन में आसपास बम फट रहे हैं। हम लोग कमरे में ही पैक हैं। बस कुछ दिनों का राशन-पानी उनके पास बचा है। मन में एक डर बैठ गया है।

बलिया के स्वास्थ्य विभाग में तैनात देवरिया के रामपुर कारखाना निवासी सुरेंद्र यादव का बेटा प्रणवनाथ भी यूक्रेन में MBBS फोर्थ ईयर की पढ़ाई कर रहा है। वह यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 400 किमी दूर डेवेन पैट्री में रहता है। रूस द्वारा हमला करने की जानकारी होने के बाद सुरेंद्र यादव का परिवार काफी परेशान है। जिस शहर में प्रणवनाथ है, वहां पर शांति है, लेकिन वहां से 200 किमी की दूरी पर स्थित खार्किव शहर में बमबारी हो रही है। दिसंबर में प्रणव घर आया था। परिवार में शादी समारोह में शामिल होने के बाद 3 जनवरी को यूक्रेन गया था।

हरदोई की बेटी बोली- फ्लाइट्स उन्हीं के लिए जिनकी जेबें भरी हैं, हमारे पेरेंट्स तो लोन ले रहे

हरदोई की वैशाली यूक्रेन के इवेनो में फ़्रांकिविज़ नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS की तीसरे साल की छात्रा है। वो भी सभी की तरह वतन वापसी चाहती है। वे कहती हैं, सरकार की ओर से रेस्क्यू के लिए जा रही फ्लाइट्स उन्हीं के लिए हैं, जिनकी जेब भरी हुई है। हमारे पेरेंट्स तो हमें बुलाने के लिए लोन ले रहे हैं। उन्होंने भास्कर संवाददाता फैजी खान से यूक्रेन के सारे हालात बयां किए।

रूस के हमले के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को पोलैंड और हंगरी के रास्ते वहां से निकालने का प्रयास शुरू हो चुका है। यूक्रेन के कीव में फंसे यूपी के लखीमपुर के मेडिकल छात्र ऋषभ गोयल ने दैनिक भास्कर को वहां का आंखों देखा हाल सुनाया। लखीमपुर पलिया के रहने वाले ऋषभ यूक्रेन के कीव स्थित बोगो मोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। ऋषभ ने बताया कि 24 फरवरी की सुबह रूस की तरफ हमला हुआ। तब तक यूनिवर्सिटी के आसपास हालात सामान्य थे, लेकिन शाम तक कीव में धमाके होने लगे। इसके बाद यूनिवर्सिटी के छात्रों को सतर्क रहने को कहा गया। उन्होंने बताया कि इस यूनिवर्सिटी में एक हजार से ज्यादा भारतीय छात्र हैं।

हरियाणा के फरीदाबाद के अंकित शर्मा ने बताया कि सभी भारतीय छात्रों ने खार्किव के मेट्रो स्टेशन पर रात गुजारी। रात 12 बजे बमबारी बंद हुई। इसके बाद ही सो सके। सुबह 8 बजे हम लोग वापस अपने फ्लेट में आए। सारी रात भारतीय कॉन्ट्रैक्ट के अटैक चेतावनी के SMS आते रहे। वहीं वीएन काराजिन खार्किव नेशनल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल छात्र भी बंकरों में सोए। फरीदाबाद से अरबाज खान, पंजाब से हर्षित बंसल, फरीदाबाद के अंकित शर्मा और सक्षम ने बताया कि रात में माइनस 2 डिग्री सेलिसयस तापमान था।

सभी ने बिना हीटर वाले बेसमेंमट और मेट्रो स्टेशन में ही रात बिताई। उनके कॉन्ट्रैक्टर हरदीप ने उन्हें भारत में रहने वाले अपने मित्रों और रिश्तेदारों से सरकार पर दबाव बनाने के लिए SMS किया। कॉन्ट्रैक्टर ने अपने भेजे SMS में कहा कि भारत सरकार हमें वेर्स्टन बॉर्डर की ओर लेकर जाना चाहती है। परंतु हमारे पास न तो गाड़ियां हैं और न ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट। हजारों किमी दूर वेर्स्टन बॉर्डर के पास पहुंचना आसान नहीं है।

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद कुछ पंजाबी स्टूडेंट ओडेसा के हॉस्टल में फंसे हुए हैं। होशियारपुर के गांव भुंगरणी के गुरभेज सिंह ने कहा कि इंडियन एम्बेसी उन्हें कह रही कि पौलेंड, स्लोवाकिया या हंगरी बॉर्डर तक पहुंच जाओ, वहां से ले आएंगे। हमारे पास न गाड़ी और न ही ट्रेनें चल रहीं। जहां हम रह रहे, वहां से पौलेंड बॉर्डर 650 किलोमीटर दूर है? हंगरी और स्लोवाकिया करीब 1100-1200 किमी दूर है, वहां तक कैसे पहुंचे। सड़कें भी टैंक चलने से टूट चुकी हैं, ऐसे में टैक्सी भी नहीं चल रही। यहां लगातार धमाके भी हो रहे हैं।

गुरभेज ने कहा कि कल उन्हें पता चला कि रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आई हुई है। हम भागे-भागे वहां पहुंचे तो हमें टिकट नहीं मिली। पूछने पर कहा गया कि ट्रेन फुल है। हमारा सामान पैक है, लेकिन कैसे जाएं?, कुछ साधन ही नहीं है। सारी रात हम बाहर बैठे रहे। एक चर्च के बाहर बने शैड में छुपकर जान बचाई।

मैं यहां ओडेसा स्टेट एगरेरियन यूनिवर्सिटी में बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा हूं। 7 महीने पहले ही यहां आया था। हमें नहीं पता था कि यह सब हो जाएगा। यह क्षेत्र तीन तरफ से समुंदर से घिरा हुआ है। यहां सारी रात ब्लास्ट हो रहे हैं, जिससे होस्टल के रूम के शीशे टूट गए। यहां बहुत ठंड है। हमें अब बेसमेंट में रूम दिया गया है। यहां का वार्डन कह रहा है कि रूम खाली करो या किराया दो।

यूक्रेन में फंसे पंजाबियों की मदद के लिए भगवंत मान ने जारी किया वॉट्सऐप नंबर
यूक्रेन में फंसे पंजाबियों की मदद के लिए आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने वॉट्सऐप नंबर 9877847778 जारी किया है। मान ने कहा कि यूक्रेन में फंसे पंजाबी या उनके परिवार के लोग इस नंबर पर संपर्क करें। उनकी तरफ से पंजाबियों को वापस लाने के लिए पूरी मदद की जाएगी।

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