The Haryana
All Newsदेश/विदेश

खतरों के बीच विद्यार्थियों को लेकर रोमानिया से दिल्ली पहुंचा हरियाणा का बेटा,

संचित ने बताया कि विमान देख बच्चों के चेहरे खिल उठे थे। उनका कहना है कि मदद पहुंचाने से मिली खुशी बयां नहीं की जा सकती। संचित के पास करीब 7500 घंटे फ्लाइट उड़ाने का अनुभव है।

यूक्रेन पर रूस के हमले से दहशतजदा विद्यार्थियों को लेकर एक विमान रविवार को रोमानिया से दिल्ली पहुंचा। खास बात यह है कि इसके पायलट संचित भारद्वाज हरियाणा के कैथल के मूल निवासी हैं। विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि खतरों के बीच से बच्चों को स्वदेश लेकर लौटने पर उन्हें जो संतोष और खुशी मिली है, उसे बयां नहीं किया जा सकता है।

संचित भारद्वाज ने बताया कि उनके पास 25 फरवरी को संदेश आया था कि उन्हें एयर इंडिया की फ्लाइट लेकर रोमानिया जाना है। इसके बाद 26 फरवरी की सुबह 11 बजे पांच क्रू मेंबर्स के साथ वे इंडिया से रोमानिया के लिए निकले। सायं करीब 7 बजे वे रोमानिया की राजधानी बुकारेस्ट पहुंचे, जहां पहले से ही विदेश मंत्रालय की मदद से बच्चे अपने कागजात पूरे करके फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारतीय विमान को देखकर बच्चों के चेहरे खिल उठे थे। ऐसे में खतरों के बीच से उन्हें वापस लाने मेरे लिए गर्व की बात है। उनके साथ फ्लाइट में कुल 250 बच्चे आए हैं। इसमें अधिकतर बच्चे मेडिकल के विद्यार्थी हैं। बुकारेस्ट से उड़ान भरकर यह फ्लाइट बुल्गारिया, टर्की, तेहरान और पाकिस्तान के ऊपर से होते हुए नई दिल्ली पहुंची। सभी बच्चे 21 से 25 साल की उम्र के हैं।

उन्होंने कहा कि जैसे ही एयर इंडिया से इस बारे में कॉल आएगी, वे फिर से रोमानिया जाकर बच्चों को लाएंगे। विदित हो कि संचित भारद्वाज कैथल के मूल निवासी हैं और उनके पिता अशोक भारद्वाज बैंक कर्मी हैं, जो बैंक में नौकरी के कारण रुड़की शिफ्ट हो गए थे। जहां से पढ़ाई करने के बाद संचित का चयन रायबरेली में भारतीय एयरफोर्स अकादमी में हुआ। वर्ष 2009 में वे एयर इंडिया में भर्ती हुए थे। उनके पास करीब साढ़े सात हजार घंटों तक फ्लाइट उड़ाने का अनुभव है। अब उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया है, परिवार के बाकी सदस्य आज भी कैथल में हैं।

खारकीव में नहीं मिल रही बच्चों को राहत
उधर, खारकीव में फंसी कैथल की छात्रा काजल ने बताया कि वे अभी बंकरों में हैं। सड़कों पर रूस के टैंक पहुंच गए हैं। खूब धमाके हो रहे हैं। वे मुश्किल से बंकरों में जान बचा रहे हैं। इसी प्रकार से अभय चौधरी सहित चार अन्य छात्रों ने वीडियो भेजते हुए कहा कि वे खारकीव में ही फंसे हुए हैं। बंकर में उनके पास खाने का सामान भी कम होता जा रहा है। उनकी दूतावास व भारत सरकार से मांग है कि उन्हें यहां से निकाला जाए।

Related posts

जब तक रणदीप सुरजेवाला ज़िंदा है..मेरी बहन सैलजा और हम दोनों मिलकर लड़ते रहेंगे

The Haryana

बुधवार को विद्यार्थी सूची में अपना नाम देखने के लिए दिनभर इंतजार करते रहे

The Haryana

मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए स्टेट गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी बेच रही हैल्दी जूस

The Haryana

Leave a Comment

error: Content is protected !!