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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ऊंट की सवारी कर किया लोगों का अभिवादन,

हरियाणा के भिवानी में सेक्टर 13 के सामने आयोजित राज्य स्तरीय पशु प्रदर्शनी/मेले के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पशुधन प्रदर्शनी में रैंप पर ऊंट की सवारी कर उपस्थित लोगों का अभिवादन किया। मुख्यमंत्री रविवार को भिवानी में आयोजित 38वीं पशु प्रदर्शनी में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम में पहुंचने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खुली जीप में सवार होकर पशु प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उसके बाद विजेता पशुओं के रैंप पर कैट वॉक का आनंद लिया। इस दौरान कृषि मंत्री जेपी दलाल, शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, सांसद धर्मबीर सिंह, विधायक घनश्याम सर्राफ व बिशंभर वाल्मीकि के अलावा पशुपालन विभाग के आयुक्त एवं सचिव पंकज अग्रवाल, एमडी एसके बागोरिया, निदेशक विरेंद्र लोरा मौजूद रहे।

रोहतक के देवेंद्र का झोटा रहा सर्वश्रेष्ठ पशु

कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले रैंप पर प्रदर्शनी के सर्वश्रेष्ठ पशु का नाम इनाम हासिल करने वाले रोहतक निवासी देवेंद्र पुत्र सतबीर सिंह ने अपने झोटे को कैटवॉक करवाया। उसके बाद हरियाणा नस्ल में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली झज्जर जिले के गांव गवालिसन निवासी बह्मप्रकाश की गाय ने रैंप पर उतरकर तालियां बटोरी। इसी प्रकार साहीवाल नस्ल में प्रथम स्थान हासिल पाने वाली करनाल जिले के नवदीप ने अपनी गाय को रैंप पर कैटवॉक करवाई। क्रॉसब्रीड नस्ल में महेंद्रगढ़ जिले के गुढा निवासी नीटू की गाय प्रथम स्थान हासिल कर रैंप पर उतरी।

इसी प्रकार गाय की गीर नस्ल में सोनीपत निवासी विरेंद्र की गाय ने प्रथम स्थान प्राप्त कर कैटवॉक की। प्रदर्शनी में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले पशुओं की मुर्राह नस्ल में हिसार निवासी होशियार सिंह की भैंस दूसरे स्थान पर रहीं। इसी प्रकार हरियाणा नस्ल में पानीपत निवासी नरेंद्र की गाय दूसरे स्थान पर, साहीवाल नस्ल में करनाल निवासी वासुदेव की गाय तथा क्रॉसब्रीड नस्ल में महेंद्रगढ़ निवासी नीटू की गाय दूसरे स्थान पर रहीं। प्रदर्शनी में भिवानी जिला के गांव ढाणी माहू निवासी विक्की के बकरे ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार भिवानी जिला के गांव नांगल निवासी रजनीश की बकरी प्रथम स्थान पर रही और ढ़ाणी माहू निवासी विक्की की युवा बकरी प्रथम स्थान पर रहीं|

प्रदर्शनी में निकाले 60 लाख के इनाम

पशुधन प्रदर्शनी के आखिरी दिन मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से तीन ट्रैक्टरों के लिए इनामी कूपन निकाले। यह पुरस्कार गांव गिगनाऊ के उमेद सिंह व भिवानी जिलावासी सत्यवान को दिया गया। तीसरा पुरस्कार विजेता प्यारेलाल मौके पर उपस्थित ना होने के कारण उसे बाद में ट्रैक्टर नहीं दिया जाएगा। प्रदर्शनी में 60 लाख रुपये के इनाम निकाले गए।

म्हारे पशु बने पालकों की शान, दिला दी नई पहचान

जित दूध, दही का खाना वो म्हारा हरियाणा। यह कहावत भले ही वर्षों पुरानी है, मगर म्हारी गाय-भैंस आज भी 18 से 25 किलो तक दूध देकर इसे चरित्रार्थ कर रहीं हीं। म्हारे पशु देशभर में पालकों की शान बने है और उन्हें अलग पहचान दिला रहे है। साथ ही इनामों, दूध और सीमन से उन्हें मालामाल भी कर रहे है। तीन दिवसीय पशु मेले में पहुंचे पशु हरियाणा ही नहीं राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी पालकों की पहचान बने हैं। कम पढ़े-लिखे मालिकों को भी ये पशु मालामाल कर रहे हैं। कोई पशु पालक हर माह एक लाख कमा रहा है तो कोई तीन से पांच लाख रुपये।

18 से 20 किलो दूध दे रही मोखरा की गाय, देसी सांड़ बने पहचान
मोखरा से आए देसी सांड़ और गाय सबके आकर्षण का केंद्र रही। यहां का एक सांड़ द्वितीय रहा तो एक को सांत्वना पुरस्कार मिला। गाय तृतीय रही। पशुपालक सचिन, अजीत, साहिल ने बताया कि उनके यहां सिर्फ देसी गाय और सांड़ ही है। वे देसी गायों को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं और प्रयास करते हैं कि हर गांव में देसी गाय पाली जाए। अब अच्छी नस्ल की देसी गाय होगी तो पशुपालक भी उसे रखना पसंद करेंगे। इसी कारण अच्छे देसी सांड़ उनके पास है, जिनके सीमन महज 100 रुपये में देते है़। हमारे यहां की गाय 12 से 15 किलो दूध देती है। हमारे यहां करीब 12 गाय है और अच्छी नस्ल के सांड़ है़। सांड़ को चने, फीड, दूध, बिनौले आदि खिलाते हैं।

पटवारी के पंजाब तक चर्चे

भिवानी के गांव सैय वासी जोगेंद्र के महज साढ़े माह के कटड़े पटवारी के चर्चे पंजाब तक हैं। मुर्राह नस्ल का कटड़ा पटवारी अपने सिलकी बालों के कारण खासा चर्चा में है और पंजाब में हुई स्पर्धाओं में इनाम भी जीत चुका है। भिवानी में उम्र कम होने के कारण वह किसी स्पर्धा में भाग नहीं ले सकता। जोगेंद्र बताते है कि उनकी गांव में डेयरी है और उसे पशुओं ने काफी पहचान दिलाई है। साथ ही आर्थिक स्थिति भी सुधारी है।

 

एचएफ गाय ने कर दिया मालामाल

डाडमा से आए युवा किसान सुमित को उसकी एचएफ गायों ने मालामाल कर दिया। दो साल से ही उसने गांव में डेयरी की है और उसके पास करीब 25 पशु है। 10वीं पास अमित के पिता ने बताया किखेतों में डेयरी फार्म खोल रखा है। आज उनकी 19 महीने की गाय प्रथम रही है। गायों ने उन्हें अलग पहचान दिलाई है और उनकी आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है।

गिर नस्ल की गायों ने बदली जिंदगी

लोहारू के दिनेश के परिवार की गिर नस्ल की गायों ने जिंदगी ही बदल दी है। तीन साल पहले तक सभी दिनेश कुमार की नौकरी पर निर्भर थे। मगर उसके मन में गाय पालने की इच्छा थी। इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उसने गिर नस्ल की गाय पाली। आज पूरा परिवार गिर नस्ल की गायों की सेवा कर रहा है। उनके पास करीब 16-17 गाय है, जिनकी कीमत पांच से सात लाख रुपये है। गिर नस्ल की गाय का दूध, घी भी महंगा बिकता है। 100 रुपये किलो दूध बिकता है तो दो हजार रुपये किलो घी। जिस कारण परिवार की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है|

सुल्तान के चर्चे जयपुर तक

ढाणीमाहू के बकरे सुल्तान के चर्चे हरियाणा, पंजाब ही नहीं राजस्थान के जयपुर तक हैं। जहां वह प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जीत चुका है। 10 लाख रुपये कीमत के बकरे ने अपने मालिक श्याम ने नई पहचान दी है। 12वीं पास श्याम अब डी फार्मेसी की तैयारी कर रहा है। मगर औसतन एक लाख रुपये महीना वह अपनी बकरे-बकरियों से कमा रहा है। उसके पास फिलहाल 70 बकरे-बकरी है। उसका बकरा सुल्तान और बकरी रानी प्रथम रही।

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