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सफाई टेंडर खुलने का मामले पर सीनियर डिप्टी मेयर बोले; 1.60 करोड़ के टेंडर को भ्रष्ट नेताओं की शह पर 3.54 करोड़ में दिया

हरियाणा के पानीपत शहर में इन दिनों सफाई और सफाई का टेंडर दोनों ही चर्चा का विषय बने हुए हैं। एक ओर जहां पानीपत में सफाई का टेंडर खुल चुका है। वहीं, दूसरी ओर यह टेंडर बिना हाउस मीटिंग किए ही 3.54 करोड़ के सालाना खर्च पर गणेशा इंटरप्राइजिज को दे भी दिया है। हैरन जनक बात यह है कि इस टेंडर के लिए पांच अलग अलग कंपनियों ने टेंडर भरे थे। जिनमें सबसे कम एक कंपनी ने 1.60 करोड़ रुपए का टेंडर भरा था।

मगर यह टेंडर सबसे अधिक भरी जाने वाली कंपनी गणेशा इंटरप्राइजिज को 3.54 करोड़ में दे दिया गया। लगातार मीडिया में यह मुद्दा उछलने के बाद आज भाजपा के जिला उपाध्यक्ष एवं नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर दुष्यंत भट्ट ने अपनी चुप्पी तोड़ी और उन्होंने पत्रकार वार्ता कर अपनी ही पार्टी के राजनेताओं पर भ्रष्टाचार का ठिकरा फोड़ा। उन्होंने साफ कह दिया है कि वह सफाई का ये टेंडर रद्द कराकर ही मानेंगे। उन्होंने कहा कि नगर निगम कमीश्नर अकेले इस भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं है। इसमें हर उस सख्श में से भ्रष्ट्राचार की बू आ रही है, जिनकी भी कलम से यह टेंडर पास किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर ये टेंडर रद्द न हुआ तो वह बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

नगर निगम की राजनीति से आम जनता प्रभावित

दुष्यंत भट्‌ट ने कहा कि पानीपत नगर निगम की राजनीति की वजह से आम लोग प्रभावित हो रहे हैं। छह सड़कों के सफाई के टेंडर का वर्कआर्डर आगे नहीं बढ़ाए जाने के बाद से राजनीति और तेज हो गई है। हाउस की बैठक ने इस टेंडर को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पास किया था। इसके पांच महीने बाद टेंडर खत्म हुआ। शहर में सफाई कर्मचारियों ने धरना शुरू कर दिया। हालात में सुधार के लिए तय किया गया कि शहर में चार जोन में टेंडर लगाया जाएगा। लेकिन बाद में निगम ने दो जोन में टेंडर लगा दिया। पांच कंपनियों ने टेंडर भरे, इसमें से तीन को निरस्त कर दिया गया। गणेशा इंटरप्राइजिज को 3.35 करोड़ का टेंडर दिया गया है। अभी नियम व शर्तें तय नहीं हैं। नेताओं की शह पर अफसरों ने दिया टेंडर

पानीपत शहर को लूटने नहीं देंगे

भट्ट का कहना है कि जिसके पास पावर है, उसने टेंडर दिया है। पावर कमिश्नर के पास है। किसी भी अफसर के पास यह पावर नहीं है कि वह अपने खुद से फैसला कर लें। इसके पीछे नेताओं की शह है। टेंडर को रद कराकर ही मानेंगे। यह शहर लुटने नहीं देंगे। भट्ट ने तर्क दिया कि दो करोड़ ज्यादा पर टेंडर दिया जा रहा है। पांच साल में ये सवा सौ करोड़ रुपये बैठता है। यह बहुत बड़ा घोटाला है। उन्होंने स्वीकार किया कि नगर निगम में भ्रष्टाचार है।

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