कैथल। दिल्ली का निर्भया कांड तो आपको याद ही होगा जिसमें एक पढ़ने वाली छात्रा देर रात अपने घर जा रही थी तो अकेली समझकर बस के ही स्टाफ ने दरिंदगी का शिकार बना लिया था… लेकिन आज हम जिसके विषय मे बताने जा रहे हैं उस हरियाणा रोडवेज की बस के चालक-परिचालक ने दो लड़कियों को निर्भया नही बनने दिया बल्कि अपनी जिम्मेवारी समझते हुए उसके पिता के आने का इंतज़ार किया। लगभग 15-20 मिनट तक इंतज़ार के बाद जब उनके पिता पहुंचे तो ही बस को अपने गंतव्य के लिए लेकर चले।
सिरसा डिपो की बस नंबर HR39E-3154 जो चंडीगढ़ से सिरसा के लिए शाम को 05:48 पर रवाना हुई थी। इस बस में 2 लड़किया जो कि चंडीगढ़ में पीएच.डी. की पढ़ाई कर रही वो भी कैथल के लिए बैठ गई।
बस में बैठते ही इन लड़कियों ने अपने कानो में ईयरफोन लगा लिया ओर गाने सुनने लगी। जब कैथल बस स्टैंड आ गया तो कंडक्टर विकास यादव ने आवाज लगाई की कैंथल बस स्टैंड की सवारी उतर जाएं पर लड़कियों ने परिचालक की आवाज नहीं सुनी और बस कैंथल से सिरसा के लिए चल पड़ी।
बस लगभग कैथल से 10 से 15 किलोमीटर आगे बात्ता गाँव के पास पहुंची तो परिचालक विकास यादव को ध्यान आया कि इन लड़कियों को तो कैथल उतरना था।
जब उन लड़कियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि हमे कैथल उतरना था तो कंडक्टर विकास यादव ने बताया कि कैथल तो पीछे जा चूका है, आप उतरे क्यों नहीं ? तो लड़किया बोली कि हमें पता नहीं लगा।
तब कंडक्टर ने फ़ोन पर उन लड़कियों के पापा से बात करके कहा कि आपकी लड़की गलती से आगे आ गई हैं अब क्या करू, तो उनके पापा ने बोला कि बेटा आप इनको बाता बस स्टैंड पर उतार दो, मैं अभी 15 मिनट में कार से इनको लेने आ रहा हूँ पर रात होने के चलते परिचालक विकास यादव ने लड़कियों को अकेला छोड़ना सही नहीं समझा और जब तक लड़कियों के घर वाले ना आ गए तब तक लगभग 15-20 मिनट तक बस को वही रोककर उनका इंतजार किया और जब लड़कियों के पापा पहुंचे, तब बस को चलाया।
आज एक बार फिर हरियाणा रोडवेज के परिचालक विकास यादव C-249 व चालक रविंदर पाल सिंह ने मानवता का परिचय देते हुए लड़कियों को अपनी जिम्मेवारी समझते हुए उनकी रक्षा तो की ही साथ मे हरियाणा रोडवेज के प्रति जनता का भरोसा भी कायम किया और एक बार फिर हरियाणा रोडवेज का नाम रोशन किया।