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विदेश भेजने के नाम पर 49.75 लाख की ठगी,पुलिस ने 8 माह बाद केस किया दर्ज

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के आदेश हैं कि प्रदेश के किसी भी थाने में कबतूरबाजी के मामले की शिकायत मिलती है, तो उस शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाए। मगर पानीपत पुलिस का तो अपना ही स्टाइल है। पानीपत पुलिस ने गृहमंत्री के इन आदेशों की भी अवहेलना की है। पुलिस की कलम किस प्रकार पीड़ित को दिन में तारे दिखा सकती है, उसकी बानगी पिछले 8 माह से न्याय के लिए धक्के खा रहे एक शख्स की आपबीती सुनकर पता चलती है।

शख्स का आरोप है कि उसके साथ विदेश भेजने के नाम पर 49 लाख 75 हजार की ठगी हो गई है और उसके लिए जब उसने पुलिस द्वारा सुनवाई न करने पर गृहमंत्री के दरबार में गुहार लगाई तो अब पुलिस ने उसे जांच के नाम पर चक्कर घिन्नी बनाकर रख दिया है। अब करीब 8 माह बाद मामला दर्ज हुआ है।

यूं लगे एसपी और डीएसपी के कार्यालय में पीड़ित के चक्कर

सोनीपत जिला के गांव राठधाना निवासी 40 वर्षीय अनूप सिंह पुत्र बलवान ने बताया कि आस्ट्रेलिया भेजने के नाम पर उसके साथ पानीपत निवासी जगत सिंह ने वर्ष-2013 से 2018 के बीच 49 लाख 75 हजार रुपए की धोखाधड़ी कर ली थी। जिसके संबंध में वह कई बार पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाने पहुंचा, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। जिस पर उसने बीते साल 20 जुलाई को प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के दरबार में पेश होकर शिकायत दी।

जिस पर मामला पानीपत पुलिस के पास पहुंचा तो एसपी ने जांच की जिम्मेदारी डीएसपी वीरेन्द्र को सौंप दी। जिन्होंने 2 अगस्त को दोनों पक्षों को बुलाकर पूछताछ की और केस दर्ज करने की चेतावनी दी। जिस पर आरोपी ने समझौते के लिए 2 दिन का समय मांगा। लेकिन पंचायती तौर पर समझौता न हुआ। जिस पर उसने 6 अगस्त को लिखित बयान दर्ज करवाए। जब वह कुछ समय बाद कार्रवाई के बारे में पूछने गया तो डीएसपी ने उसे आरटीआई के माध्यम से सूचना लेने को कहा।

आरटीआई से जब उसने सूचना हासिल की तो आरोपी के गलत दर्ज होने पाए गए। जिस पर उसने 27 सितंबर को एसपी के पास पेश होकर दोबारा जांच की प्राप्त की तो एसपी ने पुन: उक्त डीएसपी को जांच सौंप दी। आरोप है कि डीएसपी ने उसे साफ तौर पर कहा कि वह अपनी रिपोर्ट को नहीं बदल सकता। अगर एसपी आदेश करें तो मुकद्दमा दर्ज हो जाएगा अन्यथा किसी अन्य डीएसपी से जांच करवा लें। वह बार-बार एसपी ऑफिस जाता रहा और उसे वहां से दुबारा डीएसपी ऑफिस भेजा जाता है।

डीएसपी जांच में पीड़ित की आरोपी से दिखाई सांझेदारी

​​​​​​​पीड़ित का आरोप है कि इस दौरान उसके साथ डीएसपी द्वारा अभ्रदता की। उसने 30 अक्तूबर को सभी दस्तावेज व सबूत भी डीएसपी ऑफिस में जमा करवाए, लेकिन आरोप है कि उन पर कार्रवाई नहीं की गई और आरटीआई में मांगी सूचना में उसे पुरानी रिपोर्ट ही थमा दी गई। रिपोर्ट में उसकी आरोपियों के साथ सांझेदारी बताई गई, जबकि उसके समर्थन में कोई दस्तावेज नहीं है। उसके द्वारा पेश किए ऑस्ट्रेलिया से संबंधित इकरारनामे, ऑडियो व वीडियो रिकॉर्ड को भी जांच अधिकारी ने अनदेखा किया है।

मामले को जानबूझ कर आपसी लेनदेन का मामला साबित करने का प्रयास हो रहा है। जिससे पूरा परिवार टेंशन में है। उसके पिता सुसाइड की कोशिश कर चुके हैं जबकि पत्नी व बच्चे डिप्रेशन में हैं। पीड़ित का कहना है कि आरोपी ने सारे कारोबार बंद होने के बाद 4 गवाहों के सामने उससे पैसे लेने व उसे विदेश भेजने का इकरार अपनी फर्म के लैटर पैड पर किया है और जांच अधिकारी के सामने भी हस्ताक्षर करना कुबूल किया है।

आरोपी के कुबूलनामे की है ऑडियो रिकॉर्डिंग

ऑडियो क्लिप में भी आरोपी ने खुद आस्ट्रेलिया भेजे गए पैसों का इकरार किया व उसके बच्चों को भी बाहर भेजने व सारा खर्च उठाने की बात कबूली है। वीडियों में जनवरी में मामला क्लीयर करने अन्यथा थर्मल रोड की रजिस्ट्री करवाने की बात कही है। आरोपी द्वारा उसे पार्टनर बताने संबंधी कोई साक्ष्य नहीं हैं। आरोपी ने उस पर लैब की मशीन खरीद के समय लैटर पैड लेने व चेक पर उसके हस्ताक्षर होने का आरोप लगाया है जबकि कम्पनी का प्रतिनिधि खुद आरोपी से दोनों चीजें लेकर गया है और इसके पक्ष में गवाही देने को तैयार है।

आरोपी ने अपने बयान में लैब की मशीन उसकी हिरासत में होने तथा मशीन की कीमत 7 लाख होने का बयान दिया है जबकि असल कीमत 3 लाख 42 हजार है। जिसे आरोपी कम्पनी में वापस भेजकर रिफंड पा चुका है। आरोपी ने उसे व उसके दोस्तों को 3 चेक देकर सिर्फ 1 चेक की शिकायत पुलिस को दी है और खुद जांच अधिकारी के सामने कबूल किया है कि उसने चेक की पेमेंट रूकवा दी थी। बहरहाल यातायात डीएसपी से मिली जांच रिपोर्ट के बाद पुलिस ने थाना तहसील कैंप में भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

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