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SYL के लिए अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा हरियाणा- गृहमंत्री अनिल विज बोले- अपना हक लेकर रहेंगे, हमारा अधिकार है

हरियाणा सरकार एसवाईएल के मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है। हरियाणा सरकार ने एडवोकेट जनरल से कानूनी राय लेनी शुरू कर दी है। हरियाणा सरकार जनवरी 2002 और जून 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना पंजाब द्वारा न करने पर कंटेप्ट ऑफ कोर्ट फाइल करने पर विचार कर रही है।

प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि हमारा अधिकार हैं। हम कर सकते हैं और हम करने जा रहे हैं। पंजाब में नई-नई सरकार बनी है। बनते ही उन्होंने चंडीगढ़ की मांग की। उनको समझ होनी चाहिए कि चंडीगढ़ का मुदा एसवाईएल से जुड़ा है। अगर वे चंडीगढ़ लेना चाहते हैं तो एसवाईएल को बनाना शुरू कर दें। हिंदी भाषी क्षेत्र हमें स्थानांरित कर दें तो कोर्ट में जाने से बच जाएंगे।

पंजाब का पानी लूटने की तैयारी

कांग्रेस नेता और विधायक सुखपाल खैहरा ने सीएम भगवंत मान को ट्वीट करते हुए कहा कि हरियाणा अपने शैतानी प्रयासों से पंजाब का कीमती पानी लूटने की तैयारी में है। हमें अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेना चाहिए और अब मौका नहीं देना चाहिए।

हरियाणा विधानसभा में पास हुआ था निंदा प्रस्ताव

पंजाब और हरियाणा के बीच राजधानी, एसवाईएल का मुद्दा और हिंदी भाषाई 108 गांवों का मुद्दा सालों पुराना है। राजधानी और एसवाईएल का विवाद 1966 से ही है, जब पंजाब- हरियाणा का अलग- गठन हुआ। 56 साल में पंजाब ने 7वीं बार इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया। पंजाब ने 1967, 1970, 1978, 1985, 1986, 2014 में भी प्रस्ताव पास किया, जबकि हरियाणा ने एसवाईएल पर 2000 से अब तक 5 बार प्रस्ताव पास किया।

सतलुज युमना लिंक नहर बनाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चला और कोर्ट ने पंजाब सरकार को नहर बनाने के आदेश भी जारी किए, परंतु पंजाब ने नहर बनाने की बजाए नहर पाट दी और विधानसभा में प्रस्ताव पास करके जमीनें किसानों को लौटा दी। 1 अप्रैल को पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार जताते हुए प्रस्ताव पास किया और गृह मंत्रालय के पास भेज दिया।

भंगवत मान का कहना है कि चंडीगढ़, पंजाब के गांवों को उजाड़ कर बनाया गया है और इस पर उनका अधिकार है। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान द्वारा विधानसभा में प्रस्ताव पास करने की निंदा कर चुके हैं और कह चुके हैं कि यह दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी है और रहेगी। हरियाणा सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पंजाब के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया और चंडीगढ़ पर अपना अधिकार कायम रखा।

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