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कैथल नगर परिषद के चुनावी मैदान में है नारी…आखिर…कौन किस पर भारी

हरियाणा में चुनावी बिगुल बज चुका है और नामांकन के आखिरी के बाद हर उम्मीदवार अपने-अपने वार्ड व क्षेत्र में जी जान लगा रहा है वोट पाने के लिए। कैथल में अबकी बार तीन जगह चुनाव हैं, एक कैथल नगर परिषद के लिए तो गुहला व राजौंद में नगर पालिकाओं के लिए। कुर्सी की खींचतान से बचने के लिए अबकी बार चैयरमैन के चुनाव सीधा लड़ा जाएगा जो शहर के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम करेगा। लोग चैयरमैन के डायरेक्ट चुनाव होने से काफी हद तक खुश हैं क्योंकि अगर हम कैथल की ही बात करें तो पूरे पांच साल कुर्सी के लिए खींचतान व आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चलती रही और शहर विकास की दृष्टि से पिछड़ गया। तो अबकी बार कुर्सी की कींचान ना रहे और विकास कार्यों का पहिया ना रुके इसके लिए डायरेक्ट चुनाव हो ये बेहतर निर्णय लगा।

अब बात करते हैं कैथल नगर परिषद के चुनावों की। यहां पर चेयरमैन की सीट की बात करूं तो वो महिला के लिए रिजर्व की गई है। अबकी बार चेयरपर्सन के चुनाव के लिए भाजपा-जजपा गठबंधन, इनेलो, कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार व राजकुमार सैनी की लोसुपा व आज़ाद सहित 11 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। हालांकि कांग्रेस सिंबल पर चुनाव नही लड़ रही लेकिन फिर भी रणदीप सुरजेवाला ने बड़े मंथन के बाद अपना उम्मीदवार उतारा है। नगर परिषद कैथल के प्रधान पद हेतू नामांकन करने वालों में सुरभि गर्ग, कमलेश, उमा रानी, शीबा बत्तरा, आदर्श कुमारी, सांची गर्ग, परमजीत कौर, सुदेश, सपना सैनी, पुष्पा देवी व नीलम रानी शामिल हैं। फिलहाल नामांकन के बाद सभी चेयरपर्सन उम्मीदवार मैदान में उतर चुकी हैं और वोटों के लिए जी जान लगा रहे हैं। अबकी बार चेयरपर्सन के लिए तिकोना मुकाबले की स्थिति बन रही है। असली मुकाबला भाजपा-जजपा गठबंधन, आम आदमी पार्टी व कांग्रेस की तरफ से रणदीप सुरजेवाला की उम्मीदवार आदर्श थरेजा में हैं। हालांकि कांग्रेस सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ रही लेकिन फिर भी रणदीप सुरजेवाला अपनी साख की लड़ाई में पीछे रहने वाले नही हैं। अब बात करें किसका पलड़ा भारी है तो जब भी तिकोनी चुनावी मुकाबला होता है तो मौजूदा सरकार को फायदा जाने की ज्यादा उम्मीद होती है तो इस लिहाज से भाजपा-जजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। अगर भाजपा-जजपा अलग अलग नगर निकाय चुनाव लड़ती तो उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता था लेकिन पार्टी आलाकमान ने सही वक्त पर फैसला लेकर समीकरण ही बदल दिए। बात करें आम आदमी पार्टी की तो ताज़ा पंजाब में चुनाव जीतकर नगर निकाय चुनाव के माफहयम से हरियाणा में एंट्री पाना चाहते हैं लेकिन कैथल में राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही क्योंकि एक तो टिकट अपना ट्रैक छोड़कर किसी आम आदमी को नहीं बल्कि शहर के खास आदमी को दी है। अब बात आती है कांग्रेस की तो कैथल ही नहीं पूरे हरियाणा में आपसी खींचतान की वजह से जमीन ढीली ही नजर आ रही है लेकिन रणदीप सुरजेवाला अपने किये कामो के श्रेय के दम पर उम्मीदवार को जिताने की होड़ में लगे हैं। यहां अगर बात पिछले प्लान की की जाए तो चेयरपर्सन कांग्रेस समर्थित ही थी जिस पर भ्र्ष्टाचार के आरोप भी लगे थे और पूरे कार्यकाल में एक डमी चेयरपर्सन ही नजर आई सीमा कश्यप क्योंकि असल मे शहर की सरकार उनके पिता चला रहे थे।

अब अगर तिकोने मुकाबले में जातीय समीकरन कि बात करें तो तब भी भाजपा-जजपा की उम्मीदवार का ही पलड़ा भारी नजर आ रहा है क्योंकि अग्रवाल समाज का जनसमर्थन भाजपा-जजपा की उम्मीदवार सुरभि गर्ग को ही ज्यादा मिलता दिख रहा है क्योंकि नीलम रानी का अग्रवाल समाज में खासा प्रभाव नही है बस अरविंद केजरीवाल व दिल्ली-पंजाब सरकार के नाम पर वोट मांगी जा रही है। सुरजेवाला की वजह से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार को कुछ वोट अग्रवाल समाज से मिल सकते हैं लेकिन जद मजबूत भाजपा-जजपा को ही मिलने की उम्मीद है। उधर अगर बात करें पंजाबी समाज की तो कांग्रेस ने दांव जरूर खेला है पंजाबी समाज की आदर्श थरेजा पर लेकिन भाजपा में कैलाश भगत की भूमिका भी बड़ा रोल निभा सकती है। अब अगर यहां बात चुनावों के शुरुआती रुझानों की बात करें तो कैथल में सुरभि गर्ग का पलड़ा ही भारी नजर आ रहा है।

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