यहां पर सबसे बड़ी बात एक निकलकर सामने आई है की कांग्रेस भले ही बड़े चुनावों में खेमों में बंटी नजर आई हो लेकिन कैथल के निकाय चुनाव में एकजुटता दिखाई दी। चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के समय बहुत से हुड्डा समर्थित चेहरे जैसे सुधीर मेहता, विधायक बीबी बत्रा के भाई नरेश बत्रा व कई अन्य चेहरे भी नजर आये जो निकाय चुनाव में अहम् भूमिका निभा सकते हैं।
कैथल नगर परिषद् चुनाव जैसे जैसे समय गुजर रहा है बेहद ही रोचक होता जा रहा है। खुद रणदीप सुरजेवाला चेयरपर्सन प्रत्यासी के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे क्योंकी इस चुनाव में सुरजेवाला की साख भी दांव पर लगी है तो वहीं भाजपा के नेता सुरेश गर्ग नौच के लिए भी भाजपा में अपनी मौजूदगी साबित करने का सवाल है। अगर बात करें तो भाजपा की तरफ से पूर्व मंत्री मांगे राम गुप्ता की पोती व सुरेश गर्ग नौच की पुत्रवधु चुनाव मैदान में है व दूसरी तरफ कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने बेहद कड़े मंथन के बाद पंजाबी समाज की आदर्श थरेजा पर विश्वास जताया है जो पूर्व नगर परिषद् वाईस चेयरमैन पवन थरेजा की धर्मपत्नी है।
अब बात करते हैं चुनावी समीकरणों की…. रणदीप सुरजेवाला भले ही पिछला विधानसभा चुनाव यहां से हार गए हो लेकिन उनका वोटबैंक जरूर बढ़ा है। भले ही भाजपा के लीलाराम बहुत थोड़े मार्जन से चुनाव जीतकर कैथल से विधायक बने थे लेकिन नगर निकाय चुनाव में भाजपा के लिए बाजी आसान नहीं रहेगी। विधानसभा चुनाव के अनुसार देखा जाये तो ग्रामीण वोटबैंक नगर परिषद् के चुनाव में घटाया जाए तो शहर के चुनाव का आंकलन किया जा सकता है। अब यहां पर ग्रामीण वोटबैंक पिछले चुनाव में भाजपा पर अधिक था तो सीधे तौर पर भाजपा का वोटबैंक घट जाता है तो मतलब शहर में रणदीप का वोटबैंक बढ़त हासिल करेगा जो नगर परिषद् के चुनाव में एक अहम भूमिका निभाएगा। यहां पर सुरजेवाला समर्थित उमीदवार आदर्श थरेजा पंजाबी समाज से हैं और पूरा पंजाबी समाज पक्ष में आ गया है क्योंकि कोई बड़ी चौधर अभी तक पंजाबी समाज के हक़ में नहीं आई है।
यहां पर सबसे बड़ी बात एक निकलकर सामने आई है की कांग्रेस भले ही बड़े चुनावों में खेमों में बंटी नजर आई हो लेकिन कैथल के निकाय चुनाव में एकजुटता दिखाई दी। चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के समय बहुत से हुड्डा समर्थित चेहरे जैसे सुधीर मेहता, विधायक बीबी बत्रा के भाई नरेश बत्रा व कई अन्य चेहरे भी नजर आये जो निकाय चुनाव में अहम् भूमिका निभा सकते हैं।
पंजाबी सेवा सदन के प्रधान प्रदर्शन परुथी, पंजाबी वेलफेयर सभा के महासचिव सुषम कपूर, नामी वकील आरके निझावन, जोगेंद्र मेहता सहित बहुत से बड़े चेहरे भी कांग्रेस की तरफ नजर आ रहे हैं जो चुनाव में अहम् भूमिका निभा सकते हैं। अगर बात करें व्यापारी वर्ग व आढ़तियों की तो रणदीप सुरजेवाला का इनसे पुराना नाता रहा है। उधर आम आदमी की नीलम रानी चुनाव जितने का आंकड़ा तो नहीं ले पाएंगी लेकिन भाजपा के वोटबैंक में सेंध जरूर लगा देंगी।
रणदीप सुरजेवाला के लिए कैथल में अपनी साख बचाने के हर संभव प्रयास करेंगे। पिछले नगर परिषद् कार्यकाल में रणदीप सुरजेवाला के द्वारा भाजपा समर्थित चेयरमैन की सरकार गिराना भी एक बड़ा दांव नजर आया था क्योंकि उस वक्त भाजपा की सरकार थी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस पूरी बाजी पर नजर टिकाये हुए थे की अब चैयरमेन कौन बनाया जाए लेकिन यहां भी सुरजेवाला ने अपना दांव चलते हुए मुख्यमंत्री की चिट्ठी में लिखे नाम को चेयरमैन के पद से दूर रखा और रणदीप सुरजेवाला ने सीमा कश्यप को कांग्रेस समर्थित चेहरे को चेयरपर्सन की कुर्सी दिलाई थी।
हालांकि अब आने वाला वक्त ही बताएगा की पलड़ा किसका भारी रहने वाला है लेकिन दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों के लिये राह आसान रहने वाली नहीं हैं। भाजपा के लिए मुख्यमंत्री मनोहरलाल व गृहमंत्री अनिल विज चुनाव प्रचार के लिए आ सकते हैं तो कांग्रेस के लिए रणदीप सुरजेवाला अकेले ही मैदान में अपने उमीदवार के लिए चुनावी सभाएं व डोर टू डोर करते नजर आएंगे।