हरियाणा के हिसार के खेदड़ पावर प्लांट में राख को लेकर ग्रामीणों और पुलिस कर्मचारियों के बीच झड़प को लेकर आज महापंचायत बुलाई गई है। इस महापंचायत को लेकर प्रशासन अलर्ट है। किसान नेता राकेश टिकैत भी इसमें आएंगे। मृतक ग्रामीण धर्मपाल को श्रद्धांजलि देने के लिए बीती रात ग्रामीणों ने खेदड़ में कैंडल मार्च निकाला। मृतक धर्मपाल के शव का दाह संस्कार भी नहीं किया गया।
ग्रामीणों ने आंदोलन लंबा खींचने के चलते ही 15 जुलाई को हिसार कमिश्नरी के घेराव का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। बालसमंद और आदमपुर के किसान सहित कमिश्नरी के चारों जिलों के किसान खेदड़ में आज होने वाली महापंचायत में इकट्ठा होंगे।
बता दें कि पिछले 5 दिनों से ग्रामीणों की 15 सदस्यीय कमेटी और 3 सदस्यीय प्रशासनिक कमेटी के बीच बातचीत हो रही है, परंतु विवाद का कोई समाधान नहीं निकल रहा। ग्रामीणों के ऊपर पुलिस ने हत्या, हत्या का प्रयास सहित करीब 11 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
शुक्रवार को यूं हुआ घटनाक्रम
राख की मांग को लेकर ग्रामीणों ने खेदड़ पावर प्लांट के अंदर जाने वाले रेलवे ट्रैक पर पड़ाव डालने का फैसला लिया। इसके बाद किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर ट्रैक की ओर चल दिए। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोकने का प्रयास किया। किसानों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए। इसी बीच एक ट्रैक्टर किसानों को रौंदता हुआ आगे निकल गया। पुलिस ने किसानों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का प्रयोग किया। किसानों का दावा है कि पुलिस के लाठीचार्ज से किसानों को चोटें लगी। एक किसान धर्मपाल की मौत भी इसी कारण हुई, जबकि पुलिस का कहना है कि धर्मपाल की मौत ट्रैक्टर के नीचे आने से हुई है। तीन पुलिस कर्मचारी भी गंभीर रुप से घायल हैं।
ये हैं राख का विवाद
खेदड़ पावर प्लांट में पिछले 85 दिनों से ग्रामीण और किसान धरना दे रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि प्लांट की राख पहले की तरह उन्हें मुफ्त दी जाए, जबकि प्लांट के अधिकारी इसमें असमर्थता जता रहे हैं। क्योंकि बिजली मंत्रालय ने राख को टेंडर के जरिए बेचने का प्रस्ताव पास किया है। यह राख ईंट बनाने में प्रयोग होती है। प्लांट में करीब 67 करोड़ की राख है। वहीं ग्रामीणों का तर्क है कि जब पहले राख को कोई लेता नहीं था तो ग्रामीण इसका प्रयोग करते थे। इससे खेदड़ गौशाला को होने वाली आय बंद हो जाएगी और करीब 1 हजार गायों का पालन पोषण कर रही गौशाला बंद हो जाएगी। इसलिए ग्रामीण पहले की तरह ही राख फ्री में देने की मांग कर रहे हैं।