राजस्थान में कोरोना काल के कारण 2 साल बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर डूंगरपुर में आधी रात को बांके बिहारी के जयकारे गूंज उठे। युवाओं की टोलियों ने पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ी और हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालु हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की, जयकारे लगाते रहे। देर रात को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मिठाइयां और प्रसाद बांटा गया।
इससे पहले श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर शाम होते ही कृष्ण मंदिरों में भक्तों की भीड़ लग गई। मंदिरों में विशेष सजावट की गई थी और श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से जुड़ी आकर्षक झांकियां लगाई गई थी। मंदिरों में भगवान के दर्शन के लिए देर रात तक लंबी कतारें नजर आई। श्रीकृष्ण मंदिरों में भजन कीर्तन, भक्ति संध्या के साथ सांस्कृतिक और गरबा खेला गया। आधी रात को जैसे ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का समय हुआ तो जगह-जगह मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुए। शहर के दर्जीवाड़ा में मटकी फोड़ प्रतियोगिता देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। कान्हा बने युवाओं ने पिरामिड बनाते हुए दही और मक्खन से भरी हांडी फोड़ी। दही हांडी फूटते ही श्रीकृष्ण कन्हैयालाल के जयकारों से पूरा शहर गूंजने लगा।
शहर के राजाजी की छतरी, गेपसागर की पाल श्रीनाथ जी मंदिर, माणक चौक श्रीधनेश्वर जी मंदिर, जागेश्वर मंदिर समेत सभी जगहों पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के बाद भक्तों में खुशी छा गई। भक्तों ने मिठाई और प्रसाद खिलाकर मुंह मीठा कराया और बधाइयां दी। इसके बाद भी मंदिरों में देर रात तक भजन कीर्तन चलते रहे।