धान के सीजन के दौरान पराली जलाने से रोकने के अभियान ने पंजाब में रंग दिखाया है। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। यह जानकारी पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने दी
राज्य में पिछले साल 2021 में 15 सितंबर से 30 नवंबर तक पराली जलाने की 71,304 घटनाएं सामने आईं थीं, जबकि इस साल इसी समय के दौरान 49,907 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं। इस तरह इस साल 30 प्रतिशत कमी दर्ज की गई।
पर्यावरण मंत्री ने बताया कि पराली जलाना केवल पंजाब की समस्या नहीं है, यह समूचे भारत की समस्या है। राज्य सरकार का किसानों को आर्थिक सहायता देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा रद्द करने के बावजूद राज्य सरकार की कोशिशों के स्वरूप पराली को आग लगाने के मामलों में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा केंद्र सरकार से मुआवजा राशि की मांग की गई थी, जिसमें पंजाब ने भी अपना हिस्सा डालना था। मीत हेयर ने आगे कहा कि 10 मिलियन स्ट्रॉस के करीब पराली का प्रबंधन इन-सीटू प्रबंधन के द्वारा किया गया है, जो कि पिछले साल की अपेक्षा करीब 25 प्रतिशत अधिक है।
इसी तरह 1.8 मिलियन स्ट्रॉस के करीब पराली का प्रबंधन एक्स-सीटू द्वारा किया गया है जोकि पिछले साल की अपेक्षा 33 प्रतिशत अधिक है। स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों के विद्यार्थियों को भी जागरूकता मुहिम का हिस्सा बनाया गया। इस साल कुल 3093 कैंप लगाए गए।
उन्होंने पराली को आग लगाने के मामलों को स्पष्ट करते हुए यह भी बताया कि यदि कोई किसान पराली के बजाय पराली की गांठें बनाने के बाद अवशेष को भी आग लगाता है, वह भी सैटेलाइट तस्वीर के द्वारा आग लगने के केस में शामिल होता है, परंतु इसका प्रदूषण नहीं होता है, इसी कारण पंजाब के शहरों में हरियाणा और अन्य राज्यों के मुकाबले कम प्रदूषण दर्ज किया गया।
उन्होंने कहा कि पंजाब ने अगले तीन साल का कार्यक्रम केंद्र को भेजा है और राज्य सरकार आने वाले सालों में पराली को जलाने के मामलों को मुकम्मल रूप से ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।