चीका में रोजाना सड़क पर खड़े होकर बसों का इंतजार करने वाले हजारों यात्रियों को अब जल्द इस परेशानी से छुटकारा मिलेगा। लोक निर्माण विभाग ने चीका में बस अड्डे की अध्याधुनिक नई इमारत बनाने के लिए नौ करोड़ 15 लाख रुपये की लागत का एस्टीमेट बनाकर मुख्यालय को भेजा है। मुख्यालय से भी एस्टीमेट को स्वीकृति देकर डायरेक्टर जनरल ट्रांसपोर्ट को भेज दिया गया है। अब सिर्फ प्रशासनिक अनुमति और फंड का इंतजार है। ये दोनों कार्य होते ही विभाग को निर्माण कार्य का टेंडर लगाएगा।
बस अड्डे में स्टाफ और अधिकारियों को वातानुकूलित कक्ष, काउंटर और कार्यालय मिलेंगे ही, साथ में यात्रियों के बैठने के लिए प्रतीक्षा कक्ष भी वातानुकूलित होंगे। महिलाओं के लिए बस स्टैंड परिसर में अलग से वातानुकूलित बेबी फीडिंग रूम बनाया जाएगा। दो मंजिला इस बस स्टैंड के भवन में कार्यालय, टिकट काउंटर, शौचालय, स्टाफ के लिए आराम कक्ष, लिफ्ट और एटीएम जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
चीका हरियाणा को पंजाब से जोड़ने वाला प्रमुख शहर है। चीका में बना बस अड्डा इस समय सही हालत में नहीं है। बसे जर्जर हो चुके अड्डे की बजाय सड़कों पर ज्यादा खड़ी होती हैं। हरियाणा व पंजाब के विभिन्न जिलों में आवाजाही करने वाली बसें शहीद ऊधम सिंह चौक से जाने वाले रास्तों पर करीब आधा-आधा किलोमीटर पीछे रुकती हैं।
ये बसें सड़कों के किनारे ही खड़ी रहती हैं। ऐसे में यात्रियों को चौक से बसों तक पहुंचने के लिए करीब एक किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। नई इमारत बनने से सभी बसें एक स्थान पर लोगों को उपलब्ध हो जाएंगी। साथ ही यात्रियों को बसें पकड़ने के एक किलोमीटर पैदल चलने से छुटकारा मिला जाएगा।
विभाग ने निर्माण कार्य का एस्टीमेट बनाकर स्वीकृति के लिए भेजा है। जल्द ही स्वीकृति और फंड मिलने की उम्मीद है। फंड मिलने के बाद टेंडर लगाया जाएगा। जल्द से जल्द इस कार्य को पूरा करने का प्रयास रहेगा, ताकि यात्रियों को सुविधा भी जल्द मिल सके।
– अरुण भाटिया, एक्सईएन, लोक निर्माण विभाग।
उपेक्षा का शिकार बस अड्डा 1984 में बना था
सड़कों पर खड़ी हो रही बसें जाम और दुर्घटनाओं का कारण बनती है
गुहला-चीका। चीका में गुहला रोड पर स्थित बस अड्डा पिछले लंबे समय से बदहाली पर आंसू बहा रहा है। बस अड्डा हर समय वीरान नजर आता है। शाम ढलते ही यहां शराबियों की महफिलें शुरू हो जाती हैं।
कैथल, कुरुक्षेत्र, पटियाला, खरकां, दिल्ली, समाना व पंजाब आने-जाने वाली बसें तक अंदर नहीं आती हैं। कस्बा के मुख्य चारों मार्गों पर दर्जनों बसें चलती हैं। बसें चीका बस अड्डे पर आए बगैर ही गुहला, कैथल, पटियाला व पिहोवा रोड से सीधे ही निकल जाती हैं। इस वजह से यात्री भी बस स्टैंड पर नहीं आते हैं।
चीका बस अड्डे का वर्ष 1984 में शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल व पूर्व परिवहन मंत्री कर्नल राव राम सिंह ने किया था। निर्माण के बाद से ही यह लगातार उपेक्षा का शिकार बना रहा है। बस अड्डा शहर से एक किलोमीटर दूर है और इसका भवन जर्जर हो चुका है। परिसर में पार्क व अन्य सुविधाएं बदहाल हो चुकी हैं। कूड़ा-कचरा पड़ा रहता है। क्षेत्रवासी लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने की मांग कर रहे हैं।
अड्डे पर नहीं आती हैं बसें
शहरवासी जरनैल सिंह जैली का कहना है कि कई साल पहले सभी बसें अड्डे पर आकर सवारियां लेकर जाती थी। पिछले 15-20 वर्षों से बसें अड्डे पर नहीं आती हैं। चारों मुख्य मार्गों के चौराहे पर खड़े होकर यात्री इंतजार करते हैं। इस कारण मुख्य मार्गों पर जाम लगा रहता है।
शहरवासी हरपाल सिंह चीका ने कहा कि मुख्य मार्गों पर बसें खड़ी होने के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। शहीद ऊधम सिंह चौक पर जाम लगा रहता है। बार-बार शिकायतों के बावजूद अभी तक समस्या से निजात नहीं मिली है। समस्या को जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए।