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पचास साल के प्रेमी पर विवाह का झूठा वादा कर दुष्कर्म का आरोप, सोशल मीडिया से हुआ था संपर्क

Court summons will be available on mobile in Chandigarh: People will not be able to make excuses, e-summon app is ready, will be launched soon.

हाईकोर्ट में पहुंचे मामले में याची और आरोपी दोनों की उम्र पचास साल से अधिक की है। दोनों सोशल मीडिया से संपर्क में आए और फिर उनके बीच संबंध बने। आरोपी के रिश्ता खत्म करने के बाद महिला ने दुष्कर्म का केस दर्ज करवा दिया।पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि यदि आरोपी और पीड़ित दोनों पहले से विवाहित हैं, शिक्षित हैं और बच्चों वाले हैं तो विवाह का झूठा वादा कर दुष्कर्म का मामला नहीं बनता है। हाईकोर्ट ने यह फैसला सीआरपीएफ के एक अधिकारी के खिलाफ गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए जारी किया है।

सोशल मीडिया से हुआ था संपर्क

सीआरपीएफ के अधिकारी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि वह शिकायतकर्ता के संपर्क में सोशल मीडिया के जरिए आया था और दिल्ली एयरपोर्ट पर उसकी शिकायतकर्ता से मुलाकात हुई थी। इसके बाद दोनों को प्रेम हो गया और कई बार सहमति से शारीरिक संबंध बने। इसके बाद जब उसने इस रिश्ते से निकलने का प्रयास किया तो शिकायतकर्ता ने उसके खिलाफ विवाह का झांसा देकर दुष्कर्म का मामला दर्ज करवा दिया।

हाईकोर्ट ने दिया परिस्थितियों का हवाला

हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याची की आयु 50 वर्ष से अधिक है और वह सीआरपीएफ का सेवारत अधिकारी है। शिकायतकर्ता की आयु भी 50 वर्ष से अधिक है और वह एक निजी कंपनी में काम करती है। दोनों ने परिपक्व आयु होने, विवाहित होने और वयस्क बच्चों के अभिभावक होने के बावजूद अपनी सनक भरी धारणाओं के आधार पर संबंध बनाने का निर्णय लिया। दोनों लगभग साढ़े पांच साल से संबंध में थे। इन परिस्थितियों में नहीं माना जा सकता कि याचिकाकर्ता की ओर से विवाह करने का कोई वादा किया गया था, जिसके कारण शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपनी सहमति व्यक्त की।

हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा 

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले के तथ्यों परिस्थितियों की संपूर्णता को ध्यान में रखना चाहिए। अदालत को आरोपी और पीड़ित की तुलनात्मक आयु, शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि, दोनों के पेशे और जीवनशैली को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता पर विचार करना होगा। इस मामले में याची और शिकायतकर्ता के बीच सब कुछ सहमति से था और कोई बल प्रयोग नहीं था। यह सामान्य ज्ञान की बात है कि एक-दूसरे के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए लोग अक्सर आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं।

 

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