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स्कूल-कॉलेज बंद, ट्रेनों पर असर; चाररिश का धाम में 6 हजार श्रद्धालु फंसे; 11 राज्यों में तेज बाअलर्ट

( गगन थिंद ) देश में भारी बारिश का दौर लगातार जारी है। मौसम विभाग ने आज 11 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। मुंबई में रविवार देर रात 1 बजे से सोमवार सुबह 7 बजे तक छह घंटों में करीब 300 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। इस कारण कुछ निचले इलाकों में जलभराव हो गया। रेलवे ने बताया कि ट्रैक पर पानी भरने के कारण मुंबई डिवीजन की 5 ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं। वहीं कुछ लोकल ट्रेनें भी कई घंटों की देरी से चल रही हैं। मुंबई में BMC ने सरकारी और प्राइवेट स्कूल-कॉलेजों में आज के लिए छुट्टी घोषित कर दी है। उधर, उत्तराखंड में पिछले 4 दिनों से जारी तेज बारिश के चलते केदारनाथ, बद्रीनाथ हाईवे समेत 115 से ज्यादा सड़कें बंद हो गईं। कई रास्ते लैंडस्लाइड की वजह से तो कुछ बह जाने के कारण कई नदियां खतरे के निशान के करीब बह रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार 1 जून से अब तक उत्तराखंड में 276.8 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि सामान्य कोटा 259 मिमी है। पूरे मानसून के सीजन में उत्तराखंड में 1162.2 मिमी औसत बारिश को सामान्य मानसून माना जाता है।

मौसम विभाग ने बताया है कि मुंबई में आज भी तेज बारिश का अनुमान है। 7 जुलाई को सुबह में 276.8 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि सामान्य कोटा 259 मिमी है। पूरे मानसून के सीजन में उत्तराखंड में 1162.2 मिमी बंद हो गए। इसके बाद चार धाम यात्रा रोक दी गई। इससे जगह-जगह 6 हजार श्रद्धालु फंसे हैं। गंगा, अलकनंदा, भागीरथी समेत औसत बारिश को सामान्य मानसून माना जाता है। 8 बजे से 8 जुलाई को सुबह 6 बजे के बीच 22 घंटों के दौरान मुंबई सेंट्रल शहर में 110 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है। वहीं, ईस्टर्न मुंबई में 150 मिमी बारिश हुई। वेस्टर्न मुंबई में 146 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

BMC के अधिकारियों ने बताया कि जलभराव की स्थिति को कंट्रोल के लिए अधिकारी ग्राउंड पर हैं। निचले इलाकों से पानी निकालने का काम लगातार जारी है। BMC ने मुंबई के लोगों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा  है कि बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें। पर्यावरण एक्टिविस्टों ने जलभराव के लिए मुंबई मेट्रो के कंस्ट्रक्शन को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि पूरे शहर में बनाए गए कॉन्क्रीट के स्ट्रक्चर के कारण पानी को जमीन सोख नहीं पा रही है। सड़कें भी सीमेंट की बना दी गई हैं और जल निकासी का सिस्टम अब भी अंग्रेजों के जमाने का है।

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