( गगन थिंद ) 2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में सूरजपाल बाबा के सत्संग में भगदड़ हुई। हादसे में 123 लोगों की मौत हुई। इनमें 113 महिलाएं और 7 बच्चे हैं। हादसे को लेकर सूरजपाल की भी दावा है कि भगदड़ अराजक तत्वों ने कराई। ‘बाबा के सत्संग में 15-16 लड़के हाफ पैंट में आए थे। इन्होंने कार्यक्रम के दौरान जहरीली गैस स्प्रे की, जिसकी वजह से भगदड़ मची और हादसा हुआ।’ हाथरस में सूरजपाल बाबा के सत्संग में मची भगदड़ को लेकर ये नई थ्योरी चर्चा में है। बाबा के वकील एपी सिंह का दावा है कि ये हादसा जहरीली गैस की वजह से हुआ।
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट: भगदड़ में मारे गए 123 में से 120 लोगों का पोस्टमॉर्टम किया गया। रिपोर्ट में पता चला कि 74 लोगों की मौत दम घुटने से हुई। 31 लोगों की मौत पसलियां टूटकर दिल-फेफड़े में घुसने से हुई, जबकि 15 लोगों की मौत सिर और गर्दन की हड्डी टूटने से हुई।
- FSL और FIR रिपोर्ट: घटना के बाद FSL की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर सबूत इकट्ठा किए थे, लेकिन जांच में जहरीली गैस के स्प्रे की बात सामने नहीं आई। सिकंदराराऊ थाने में दर्ज FIR में भी ऐसे किसी घटनाक्रम का जिक्र नहीं किया गया, न ही जांच में ऐसी कोई बात सामने आई है।
- SIT रिपोर्ट: हाथरस हादसे की जांच के दौरान SIT ने 150 अफसरों, कर्मचारियों और पीड़ित परिवारों के बयान दर्ज किए। 900 पेज की रिपोर्ट में आयोजकों और प्रशासनिक अफसरों को लापरवाह बताया गया, लेकिन जहरीली गैस जैसी किसी थ्योरी का जिक्र नहीं है।
- चश्मदीद ने बताया: जहरीली गैस की बात पूरी तरह से मनगढ़ंत है। जरूरत से ज्यादा भीड़ और अव्यवस्था के चलते भगदड़ मची। सत्संग में हाफ पैंट वाले लड़कों को भी किसी ने नहीं देखा। ये सब अफवाह उड़ाई जा रही है।
सत्संग में गैस स्प्रे की बातें मनगढ़ंत, हाफ पैंट वाले भी किसी को नहीं दिखे
सत्संग में भगदड़ के दौरान हुई मौतों की वजह जानने के लिए पुलिस DIG स्तर की जांच कर रही है। तमाम चश्मदीदों के बयान भी रिकॉर्ड किए गए हैं। हमारे सोर्सेज ने बताया कि फिलहाल किसी ने भी जहरीली गैस से जुड़ा कोई बयान पुलिस में दर्ज नहीं करवाया है। हमने हाथरस में लोकल जर्नलिस्ट राकेश कुमार से बात की। सत्संग के दौरान जब भगदड़ हुई, तब वे कार्यक्रम में ही मौजूद थे। पुलिस ने चश्मदीद के तौर पर उनका बयान भी दर्ज किया है।
‘बाबा के निकलने के इंतजार में करीब 30 मिनट बीत गए। एक जगह इकट्ठा भीड़ में गर्मी और घुटन से कई लोगों को घबराहट होने लगी। वहां मौजूद कई औरतें बेहोश होकर गिरने लगीं। सेवादारों ने बाबा के काफिले के लिए जैसे ही रास्ता खोला, बाबा के साथ आए काले कपड़ों वाले कमांडो उनकी गाड़ी के पीछे भागने लगे।” भीड़ से घबराई महिलाएं खाली खेत देखकर रोड पार कर दूसरी तरफ भागने लगीं, लेकिन खेत से पहले 1.5 मीटर का एक बरसाती नाला था। इसमें कुछ औरतें गिर गईं। फिर बाबा के सेवादार उन्हें बचाने की जगह उन पर चढ़कर निकलने लगे और अपनी जान बचाने लगे।
कोई जहरीली गैस नहीं थी, भीड़ के चलते भगदड़ मचने से हुई मौत आगरा की रहने वाली ममता भी अपने परिवार के साथ सत्संग में गई थीं, लेकिन वापस घर नहीं जा सकीं। भगदड़ के दौरान उनकी भी मौत हो गई। ममता की फैमिली ने बताया, ‘वहां पर लोगों को मैनेज करने के लिए बाबा के ही सेवादार थे। पुलिस फोर्स नाम की भी नहीं थी। इसी वजह से ये अव्यवस्था हुई।’ सत्संग में ममता के साथ गए उनके रिश्तेदार मोड़ सिंह बताते हैं, ‘उस दिन हमारा पूरा परिवार सत्संग में था। कार्यक्रम में भयानक भीड़ थी, लेकिन उसे कंट्रोल करने वाला कोई नहीं था। इतनी भीड़ जुटने के बाद भी पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था मजबूत क्यों नहीं की। अगर सुरक्षा बढ़ाई होती, तो हमें ऐसा हादसा नहीं देखना पड़ता।’ सत्संग के दौरान जहरीली गैस के इस्तेमाल पर मोड़ सिंह कहते हैं, ‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। वहां लोगों की मौत जहरीली गैस से नहीं, भगदड़ की वजह से हुई। ममता भी इसी भगदड़ का शिकार हुईं। वो धक्का-मुक्की में नीचे गिरी और लोग उन्हें कुचलते हुए निकलते चले गए।’
SIT की रिपोर्ट,; आयोजक-अफसर को बताया लापरवाह, जहरीली गैस का जिक्र नहीं हाथरस हादसे की जांच तीन लेवल पर हो रही है। पहली रिपोर्ट SDM ने हादसे के 24 घंटे बाद प्रशासन को सौंपी थी। इसमें हादसे के लिए आयोजकों को जिम्मेदार बताया था। दूसरी रिपोर्ट सोमवार को SIT ने योगी सरकार को सौंपी। इसके अलावा न्यायिक जांच आयोग का भी गठन किया गया है। आयोग 2 महीने में जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। हाथरस हादसे की जांच के दौरान SIT ने 150 अफसरों, कर्मचारियों और पीड़ित परिवारों के बयान दर्ज किए। SIT ने 900 पेज की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट के बाद सरकार ने 9 पॉइंट पर बयान जारी किया, जिसमें आयोजकों और प्रशासनिक अधिकारियों को लापरवाह बताया गया। SIT ने रिपोर्ट में कहा- हादसे में साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसकी गहनता से जांच जरूरी है। हादसा आयोजकों की लापरवाही से हुआ। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया। सीनियर अफसरों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। भीड़ के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए। आयोजकों ने बिना पुलिस वैरिफिकेशन के जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा, उनसे अव्यवस्था फैली। इस रिपोर्ट में कार्यक्रम के दौरान कहीं भी जहरीली गैस के इस्तेमाल या उसकी आशंका का कोई जिक्र नहीं है।