( गगन थिंद ) मुंबई के प्राइवेट कॉलेज में हिजाब बैन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि लड़कियों के पहनावे पर पाबंदी लगाकर, कैसा सशक्तीकरण कर रहे हैं….लड़कियां क्या पहनना चाहती है, ये उन पर छोड़ देना चाहिए. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के इतने सालों बाद भी लड़कियों के पहनावे पर इस तरह के बैन की बात कही जा रही है. कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या बिन्दी और तिलक लगाने वाली लड़कियों पर भी बैन लगाया जाएगा? मुंबई के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी पहनने पर बैन लगाया हुआ था. इसके खिलाफ 9 लड़कियों ने पहले बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसके खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट आया था. बैन केवल हिजाब पहनने पर नहीं था. ये नकाब, बुर्का, स्टॉल, कैप पहनने पर भी था. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच ने एक वकील की दलीलों पर गौर किया कि आज से परीक्षा शुरू हो रही है और अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को ‘ड्रेस कोड’ पर निर्देशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जैनब अब्दुल कय्यूम समेत याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ शुरू हो रहे हैं. इस पर सीजेआई ने कल ही कह दिया था कि इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी.
बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले पर कहा था यह
बंबई उच्च न्यायालय ने ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एन जी आचार्य एवं डी के मराठे कॉलेज द्वारा हिजाब, बुर्के और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था और कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं. हाई कोर्ट ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है.