( गगन थिंद ) हरियाणा में पहली बार ऐसा होगा जब चुनाव की घोषणा के बाद मौजूदा सरकार के अंतर्गत विधानसभा सत्र बुलाया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पांच अध्यादेशों को भी विधेयक के तौर पर सदन से पारित करवाना है. ऐसे में राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र बुलाया जाना जरूरी है. हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा. हरियाणा में 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 4 अक्टूबर को मतगणना होगी.
हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन के लिए भले ही चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है, लेकिन 13 सितंबर से पहले-पहले मौजूदा 14वीं विधानसभा का एक सत्र बुलाना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है. प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब हरियाणा विधानसभा के चुनाव घोषित होने के बाद वर्तमान सदन का सत्र आयोजित होगा. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल तीन नवंबर तक है. पांच माह पहले 13 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल करने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया था. अब पांच अध्यादेशों को भी विधेयक के तौर पर सदन से पारित करवाने के लिए राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र बुलाया जाना जरूरी है. 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए अधिसूचना करीब तीन सप्ताह बाद यानी पांच सितंबर को जारी होगी.
14वीं हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल तीन नवंबर तक है। इसका पिछला एक दिन का सत्र पांच माह पूर्व 13 मार्च को बुलाया गया था. इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के अनुपालन में मौजूदा विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन की अवधि का ही क्यों ना हो, 13 सितंबर से पहले बुलाना संविधान के उपरोक्त अनुच्छेद के अंतर्गत अनिवार्य है. हरियाणा के करीब 58 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि चुनाव आयोग द्वारा अगली विधानसभा के आम चुनाव घोषित होने के बाद प्रदेश के मौजूदा विधानसभा का सत्र बुलाना पड़ेगा. जहां तक सत्र बुलाने के संबंध में और उसकी तारीख के बारे में अंतिम निर्णय लेने का विषय है तो शनिवार 17 अगस्त को प्रातः नौ बजे निर्धारित हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में इस बारे में फैसला लिया जा सकता है.