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हरियाणा में BJP गठबंधन में टकराव, रणजीत के पाला बदलने की चर्चा, बोले- मैं भाजपा में रहूंगा, भाजपा मंत्री बोले- मेरा 90 सीटों पर जनाधार

Clash in BJP alliance in Haryana, talk of Ranjit changing sides, said - I will stay in BJP

( गगन थिंद ) हरियाणा के रानियां विधानसभा को लेकर भाजपा नेता रणजीत चौटाला और उसकी सहयोगी पार्टी हलोपा के नेता गोपाल कांडा आमने-सामने आ गए हैं। रणजीत चौटाला ने इसकी शुरुआत तब की, जब हलोपा ने रानियां सीट से प्रत्याशी घोषित किया। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए चौटाला ने कहा था कि हलोपा का कोई जनाधार नहीं है। रणजीत चौटाला ने कहा कि​​​ हलोपा के गोपाल कांडा तो सिरसा सीट पर भी मुश्किल से जीत रहे हैं और मैं देवीलाल का बेटा हूं प्रदेश की 90 सीटों पर हार जीत का दम रखता हूं। रणजीत चौटाला की तीखी बयानबाजी पर गोपाल कांडा ने वीडियो संदेश जारी कर पलटवार किया। गोपाल कांडा ने कहा कि रणजीत सिंह का 90 सीटों पर जनाधार नहीं बल्कि बंटाधार है।

भाजपा ने इन पर विश्वास किया और उन्हें हिसार लोकसभा सीट से उतारा था लेकिन उन्होंने जीती हुई सीट हरा दी। इसके बाद में कह रहे हैं कुलदीप ने हरवा दिया, कैप्टन ने हरवा दिया। कांडा ने कहा कि रणजीत सिंह का कोई जनाधार नहीं है। अगर वे रानियां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हैं तो उनकी जमानत भी जब्त हो जाएगी।

कांडा ने कहा- 8 चुनाव हारने के बाद परिवार ने मदद की तब जीते

विधायक गोपाल कांडा ने कहा कि 8 चुनाव हारने के बाद अजय सिंह, अभय सिंह और पूरे परिवार ने पिछले चुनाव में मेरी मदद की, जिसकी बदौलत रणजीत चौटाला जीते। सीएलयू संबंधित बयान पर गोपाल कांडा ने कहा कि मनोहर लाल के कार्यकाल में रणजीत सिंह मेरा एक भी CLU साबित कर दें, तो वो मैं वो CLU उन्हीं के नाम कर दूंगा। गोपाल कांडा ने कहा कि दूसरों के लिए भविष्यवाणी करने की बजाय रणजीत सिंह को अपने बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा से बातचीत चल रही है। फैसला होने के बाद उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।

सिरसा के लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहा हूं

गोपाल कांडा ने कहा कि सिरसा की जनता सच्चाई जानती है कि उनका कौन है। गोपाल कांडा और कांडा परिवार हमेशा सिरसा की जनता के लिए तत्पर रहा है। कोरोना संकट के दौरान कहानियां बनाने वाले लोग अपने घरों में दरवाजे बंद करके बैठे थे, जबकि गोपाल कांडा और उनका परिवार इस संकट में सिरसा की जनता के साथ खड़ा है।

कांडा और रणजीत के बीच विवाद क्यों बढ़ा?

दरअसल, रणजीत चौटाला ने रानियां से निर्दलीय विधायक का चुनाव जीता था। इसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें हिसार से लोकसभा उम्मीदवार बनाया। लेकिन रणजीत चौटाला कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए। रणजीत चौटाला ने लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा पद से इस्तीफा दे दिया था। हार के बाद रणजीत चौटाला फिर से रानियां की जनता के बीच गए। इसके बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा ने भाजपा नेता गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को रानियां से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इससे रणजीत चौटाला भड़क गए और तब से वे कांडा परिवार पर निशाना साध रहे हैं।

रणजीत के पाला बदलने की चर्चा, बोले- मैं भाजपा में रहूंगा

भाजपा की सहयोगी पार्टी हलोपा द्वारा रानिया सीट से प्रत्याशी उतारे जाने से रणजीत चौटाला बेचैन हैं और उन्होंने इसकी शिकायत दिल्ली दरबार तक कर दी है। इसके बाद कांडा भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मिलने दिल्ली भी गए थे। लेकिन कांडा ने धवल कांडा की उम्मीदवारी बरकरार रखी, जिससे रणजीत चौटाला और भड़क गए। वहीं भाजपा की ओर से जारी 3 कमेटियों की सूची में भी उनका नाम नहीं है। ऐसे में रणजीत चौटाला के खेमे से खबरें आ रही हैं कि रणजीत चौटाला पाला बदलकर कांग्रेस में जा सकते हैं। लेकिन वह खुद इस बात से इनकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं भाजपा में हूं और 100 फीसदी रानिया से हूं।

रणजीत चौटाला ने गोपाल कांडा को लेकर क्या कहा…

रणजीत चौटाला ने सोमवार को रानियां हलके में वर्कर मीटिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि मैं 100 प्रतिशत रानियां से चुनाव लड़ूंगा। हलोपा से रानियां से उम्मीदवार उतारे जाने पर रणजीत सिंह ने कहा कि अकाली दल पुरानी पार्टी है बादल साहब 25 साल मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद उसके बाद अकाली दल भी 2 विधानसभा सीटों पर चली गई। उतर प्रदेश में मायावती ने सिंगल पार्टी की सरकार बनाई थी। बिहार देख लो सब जगह ले लो क्षेत्रीय दल खत्म होते जा रहे हैं मैं नहीं मानता हलोपा की सिरसा सीट भी निकलेगी। आज के दिन वह कहीं फाइट में नहीं है। रीजनल पार्टियों का काम एक है कि अपना लाईसेंस ले लो, एमएलए बन जाओ और सीएलयू पास करवाओ। इनका  ना तो मेरे हलके रानियां में कोई रोल है और ना कहीं और इनकी तो सिरसा में भी हालात खराब हैं।

चौटाला ने कहा कि मैंने शीर्ष नेतृत्व से बात की है कि हलोपा को सिर्फ एक सीट मिलेगी और वह भी तभी जब वह भाजपा में शामिल होगी। वह भी सिर्फ सिरसा सीट होगी। मुझे 100 फीसदी यकीन है कि मुझे भाजपा से टिकट मिलेगा।

इसलिए रानियां पर अड़े हैं रणजीत

रणजीत चौटाला अपने जीवन के अधिकांश चुनाव रानियां और पूर्व में रोड़ी विधानसभा से लड़े हैं। रानियां चौटाला परिवार की सीट मानी जाती रही है। रानियां से रणजीत चौटाला कई बार चुनाव हारे मगर उन्होंने कभी सीट नहीं छोड़ी 2019 में रणजीत चौटाला ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर दी और खुद निर्दलीय ही खड़े हो गए और चुनाव जीत गए।

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