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हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष, 2 सांसद हिरासत में:ED ऑफिस जाने से रोकने पर पुलिस से धक्कामुक्की,घोटाले में लीपा पोती कर रही केंद्र सरकार, बैरिकेड्‌स उठाकर फेंके

Haryana Congress President, 2 MPs in custody: Police pushed back for stopping them from going to ED office, Central government whitewashing the scam, raised barricades and threw them

( गगन थिंद ) देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अडाणी के बारे में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद आज हरियाणा कांग्रेस सड़कों पर उतर आई। पार्टी के नेताओं ने रिपोर्ट में बताए गए घोटालों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित न किए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। वे सेबी प्रमुख को हटाने की मांग कर रहे थे। इस प्रदर्शन का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने किया। कांग्रेस नेताओं ने चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस मुख्यालय से ED दफ्तर तक मार्च निकाला। इस दौरान पुलिस के साथ उनकी तीखी झड़प हो गई। पुलिस ने विरोध कर रहे हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान, अंबाला से सांसद वरुण मुलाना और हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी को हिरासत में ले लिया। इसके बाद पुलिस उन्हें सेक्टर-3 थाने लेकर गई।

अडानी को बचाना चाहती है सरकार

प्रोटेस्ट के दौरान हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने कहा कि केंद्र सरकार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को अनदेखा कर उद्योगपति गौतम अडाणी को बचाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस पूरे देश में इसे लेकर विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री जनता की गाढ़ी कमाई को अपने उद्योगपति दोस्तों को दान कर रहे हैं। कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी और आगे भी इसका विरोध करती रहेगी। चाहे उन्हें इसके लिए जेल ही क्यों न जाने पड़े। इस प्रोटेस्ट को लेकर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने 2 दिन पहले ही लेटर जारी किया था। इस लेटर में प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ बुलाया गया था।

घोटाले में लीपा पोती कर रही केंद्र सरकार

वहीं, हरियाणा महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुधा भारद्वाज ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा उजागर इस महाघोटाले की जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से JPC का गठन न किए जाने के लिए हम घोर निंदा करते हैं। इस घोटाले की चल रही लीपा पोती का कड़ा विरोध करते हैं। सुधा भारद्वाज ने कहा कि हमारा यह प्रदर्शन 2 मांगों को लेकर है। पहली मांग है कि SEBI प्रमुख का इस्तीफा हो, और दूसरी मांग है कि अडाणी महाघोटाले की जांच के लिए JPC का गठन किया जाए।

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट की बड़ी बातें

अडाणी ग्रुप पर हमारी रिपोर्ट के लगभग 18 महीने हो चुके हैं। रिपोर्ट में इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए गए थे कि अडाणी ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था। हमारी रिपोर्ट ने ऑफशोर, मुख्य रूप से मॉरीशस बेस्ड शेल एंटिटीज के एक जाल को उजागर किया था, जिनका इस्तेमाल संदिग्ध अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन, अनडिस्क्लोज्ड इन्वेस्टमेंट और स्टॉक मैनिपुलेशन के लिए किया गया था। सभी सबूतों के अलावा 40 से ज्यादा इंडिपेंडेंट मीडिया इन्वेस्टिगेशन ने हमारी रिपोर्ट की पुष्टि थी। इसके बावजूद सेबी ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ कोई पब्लिक एक्शन नहीं लिया। जुलाई 2024 में सेबी ने हमें कारण बताओ नोटिस भेजा था। जिसके जवाब में हमने लिखा था कि हमें यह अजीब लगा कि कैसे सेबी को एक रेगुलेटर होने के बावजूद फ्रॉड प्रैक्टिसेस को बचाने के लिए सेट-अप किया गया था। सेबी ने फ्रॉड प्रैक्टिसेस से जुड़ी पार्टियों की जांच करने में बहुत कम रुचि दिखाई। यह लोग पब्लिक कंपनियों के जरिए अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस में लगे हुए एक सीक्रेट ऑफशोर शेल एम्पायर को चलाते थे। इसके अलावा नकली निवेश एंटिटीज के एक नेटवर्क के जरिए अपने शेयरों को बढ़ाते थे। ‘IPE प्लस फंड’ एक छोटा ऑफशोर मॉरीशस फंड है, जिसे अडाणी डायरेक्टर ने इंडिया इंफोलाइन (IIFL) के जरिए स्थापित किया है, जो वायरकार्ड स्कैंडल से जुड़ी एक वेल्थ मैनेजमेंट फर्म है। गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने इस स्ट्रक्चर का यूज इंडियन मार्केट्स में निवेश करने के लिए किया, जिसमें अडाणी ग्रुप को पावर इक्विपमेंट्स के ओवर इनवॉइसिंग से मिला फंड शामिल था। सेबी चीफ और उनके पति धवल बुच की अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी। विनोद अडाणी ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड का यूज भी स्ट्रक्चर की तरह करते थे।डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून 2015 को सिंगापुर में IPE प्लस फंड-1 में अपना अकाउंट ओपन किया था।

हरियाणा कांग्रेस के लेटर में क्या था

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने लेटर जारी कर बताया था, कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अध्यक्षता में 13 अगस्त को ऑल इंडिया कांग्रेस (AICC) मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी, जिसमें पीसीसी अध्यक्ष, एआईसीसी महासचिव और प्रभारी उपस्थित थे। बैठक में अन्य मुद्दों के अतिरिक्त अडानी महाघोटाले पर भी खुलकर चर्चा हुई। बैठक में I.N.D.I.A गठबंधन द्वारा बार बार मांग किए जाने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा उजागर इस महाघोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति ( JPC ) का गठन न किए जाने के लिए घोर निंदा की गई। इस घोटाले की चल रही लीपापोती का कड़ा विरोध किया गया।

 

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