( गगन थिंद ) हरियाणा चुनाव के बीच सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने कांग्रेस सरकार बनने पर CM कुर्सी पर दावा ठोक दिया है। कुमारी सैलजा ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा- ”लोगों की व्यक्तिगत और जातीय आधार पर महत्वकांक्षा होती है, मेरी भी है। मैं राज्य में काम करना चाहती हूं। विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हूं। हालांकि अंतिम फैसला हाईकमान करेगा।”
कुमारी सैलजा प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा हैं। उनकी इस दावेदारी से पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ग्रुप की टेंशन बढ़ा दी है।
अभी हुड्डा सैलजा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आश्वस्त थे कि कांग्रेस सरकार बनने की सूरत में CM कुर्सी को लेकर
उनकी राह में कोई रोड़ा नहीं होगा।वहीं कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी जताई। जिसके बाद वे एक-दूसरे के समर्थक उम्मीदवारों को टिकट देने को लेकर सहमत हो सकते हैं। हालांकि खुले तौर पर हरियाणा में दोनों के बीच अभी मतभेद बरकरार हैं। दोनों की एक-दूसरे के कार्यक्रम में जाना तो दूर, अपने प्रोग्रामों में दूसरे की फोटो तक नहीं लगाई जा रही।
सैलजा ने कहा- पार्टी ने CM चेहरा घोषित नहीं किया
सैलजा ने सीएम कुर्सी की दावेदारी को लेकर कहा कि कांग्रेस कभी सीएम चेहरा घोषित नहीं करती। सरकार में होने पर सीएम रहा
व्यक्ति पार्टी की अगुआई करता है। मगर, विपक्ष में रहने पर पार्टी किसी को सीएम चेहरा नहीं बनाती। सैलजा ने कहा कि देश में
अनुसूचित जातियों ने कांग्रेस को बड़ा समर्थन दिया है। जब दूसरी जातियों के नेता मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो फिर अनुसूचित जातियों से क्यों नहीं। सैलजा ने सीधे तौर पर हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनने पर दलित सीएम की दावेदारी पेश कर दी। करीबियों के टिकट आवंटन पर ऐसे बन सहमति कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक टिकट बंटवारे में हुड्डा और सैलजा की लड़ाई हाईकमान को रास नहीं आई। इसी वजह से हाईकमान ने टिकट बंटवारे का पूरा काम अपने हाथ में ले लिया। हाईकमान ने दोटूक कह दिया कि अगर उनकी सहमति नहीं बनती तो फिर हाईकमा अपने हिसाब से फैसला लेगा। जिससे हुड्डा और सैलजा के करीबियों को बड़ा झटका लग सकता था। इसे देखते हुए अब दोनों पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा में टिकट बांटने को लेकर सहमति बनने की चर्चा है। सूत्रों के मुताबिक दोनों नेता इस बात पर राजी हो गए हैं कि वह एक दूसरे के करीबियों के टिकट आवंटन में कुछ नहीं बोलेंगे। बताया जा रहा है कि सैलजा हुड्डा को अधिक सीट देने पर राजी हो गई हैं। वहीं हुड्डा भी सैलजा को 20 से 25 सीटें देने पर राजी हो गए हैं। इनमें वे सीटें शामिल हैं जिन पर बीजेपी मजबूत है। दोनों नेताओं की दिल्ली में बैठक हो चुकी है। अब दोनों नेता एक-दूसरे को अपनी-अपनी पसंद की सीटों की लिस्ट शेयर करने वाले हैं। इसको लेकर हुड्डा और सैलजा दोनों के ही समर्थकों ने दिल्ली में डेरा डाल लिया है। एक मंच पर नजर आएगी पूरी कांग्रेस जल्द ही पूरी कांग्रेस एक मंच पर भी नजर आएगी। टिकटों पर नेताओं की बनी आपसी सहमति लोगों को भी दिखाई देगी। दोनों नेताओं में सहमति होने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से तय किया गया है कि गुटबाजी की चर्चाओं को थामने के लिए बड़े नेता एक मंच पर आएंगे। प्रदेश स्तरीय जितने कार्यक्रम होंगे, सब एक साथ रहेंगे। वहीं अगर नेता अपने इलाकों में कोई प्रोगाम करना चाहते हैं तो वह कर सकते हैं, मगर जब बात प्रदेश ही होगी तो नेताओं को एक मंच पर आना ही होगा। इससे जनता में मैसेज जाएगा कि कांग्रेस में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है।
गुटबाजी के कारण कांग्रेस 10 साल से सत्ता से बाहर
कांग्रेस में गुटबाजी नई नहीं है। कांग्रेस के हरियाणा में 10 साल सत्ता से बाहर रहने के पीछे गुटबाजी को बड़ी वजह माना जाता है।
2014 में कांग्रेस 15 और 2019 में 31 सीटें ही जीत पाई थी। 2019 में भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाई तो 2019 में जजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बना कांग्रेस केा झटका दे दिया।
कांग्रेस का इन सीटों पर फोकस
कांग्रेस आगामी चुनाव में इन सीटों पर फोकस कर रही है। पानीपत, अंबाला, करनाल, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम और फरीदाबाद जिलों पर कांग्रेस ज्यादा ध्यान दे रही है। कांग्रेस सितंबर के पहले सप्ताह में घोषित करेगी उम्मीदवार
कांग्रेस की 26 अगस्त से स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक शुरू हो रही है। यह बैठक 4 से 5 दिन तक चलेगी।
वहीं दिल्ली में इससे पहले अलग-अलग बैठकों का दौर हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर शुरू हो गया है। मेनिफेस्टों कमेटी
की बैठक समांतर चल रही है। माना जा रहा है कि यह सभी बैठकें खत्म होने के बाद ही सितंबर के पहले सप्ताह में कांग्रेस की पहली सूचीजारी होगी। इस सूची के बाद कांग्रेस की दूसरी और तीसरी सूची जारी होगी। सबसे अंत में उन विधानसभा की सूची जारी होगी जिनका पेंच फंसेगा।