( गगन थिंद ) रतिया विधानसभा से भाजपा विधायक लक्ष्मण नापा ने टिकट कटने पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने टिकट की घोषणा के बाद आधी रात को ही अपना इस्तीफा पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली को भेज दिया। इसके बाद वह रात को ही काफिले के साथ दिल्ली रवाना हो गए। दिल्ली में वे दोपहर बाद करीब 4 बजे कांग्रेस जॉइन करेंगे। भूपेंद्र हुड्डा उन्हें पार्टी में शामिल करेंगे। बीती रात को भाजपा ने 67 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की। जिसमें रतिया से लक्ष्मण नापा की जगह पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को टिकट दी गई है।
नापा ने पहले ही बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे
जानकारी के मुताबिक कुछ दिन से रतिया से सुनीता दुग्गल को उम्मीदवार बनाने की चर्चा चल रही थी। जिसके बाद से ही नापा लगातार पार्टी पदाधिकारियों की मीटिंगें करवाकर पार्टी को बगावती तेवर दिखा रहे थे। 29 अगस्त को विधायक लक्ष्मण नापा और जिला अध्यक्ष बलदेव ग्रोहा ने स्थानीय वर्करों के साथ मीटिंग की। इस मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि रतिया से स्थानीय नेता को ही टिकट दी जाए। यदि बाहरी उम्मीदवार को टिकट दी गई तो उसका खुलकर विरोध किया जाएगा।
लेटर में 3 नेताओं के नाम शामिल
मीटिंग के बाद एक लेटर भी जारी किया गया, जिसमें 3 स्थानीय नेताओं के नाम रखे गए। इन तीनों नेताओं को ही टिकट का दावेदार बताया गया। इनमें विधायक लक्ष्मण नापा, जिला अध्यक्ष बलदेव ग्रोहा के साथ-साथ भाजपा नेता मुख्तार सिंह बाजीगर का नाम शामिल था। साथ ही इस पत्र पर तीनों नेताओं के हस्ताक्षर भी करवाए गए। इस लेटर के वायरल होने के बाद भाजपा नेताओं ने विधायक व जिला अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोला था। भाजपा किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव भवानी सिंह ने अन्य नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
भवानी सिंह ने नापा और जिलाध्यक्ष पर साधा था निशाना
प्रेस कॉन्फ्रेंस में भवानी सिंह ने कहा था कि एक लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें लिखा कि उक्त तीनों में से किसी को पार्टी टिकट दे तो ठीक, नहीं तो बाहरी उम्मीदवार का विरोध किया जाएगा। इससे वर्करों में भ्रम है। यह पार्टी आलाकमान को दबाव बनाने और ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा। उन्होंने कहा कि चाहे जिला अध्यक्ष हों या विधायक, दोनों जिम्मेदारी के पद पर हैं। पार्टी के प्रति उनमें निष्ठा होना चाहिए। किसी व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं। यदि शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर ही उंगली उठाते हैं तो उनमें अभी तक असली भाजपा आई ही नहीं है।
कार्यकर्ता साथ होते तो नहीं हारतीं सुनीता दुग्गल
भिवानी सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार डॉ.अशोक तंवर को भी कुछ लोगों ने नुकसान पहुंचाने का काम किया। जिस तत्परता से काम होना था, वह नहीं हुआ। पार्टी जिला अध्यक्ष बलदेव ग्रोहा के नेतृत्व में यह पहला लोकसभा चुनाव था। अगर बढ़िया काम हुआ होता तो इतनी बड़ी हार नहीं होती। उन्होंने कहा कि 2014 के इलेक्शन में सुनीता दुग्गल यहां से उम्मीदवार थीं। तब वह मात्र 400 वोटों से हार गई थीं। यदि उस समय भी तन-मन-धन से साथ दिया होता तो वह हारती नहीं।
18 साल से राजनीति में सक्रिय लक्ष्मण नापा
नापा 2006 से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने कांग्रेस से राजनीति शुरू की और फिर इनेलो में शामिल हो गए थे। 2011 में हुए उपचुनाव में वे आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान उतरे और हार गए थे। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए और संघ के कई कार्यक्रमों में भाग लिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन पर दांव खेला। भाजपा का यह दांव सफल साबित हुआ और लक्ष्मण नापा रतिया से विधायक चुने गए। उन्होंने 55 हजार 160 वोट हासिल किए। नापा ने कांग्रेस उम्मीदवार जरनैल सिंह को 1216 वोटों के अंतर से हराया था।