( गगन थिंद ) आम आदमी पार्टी को हरियाणा में दो प्रतिशत से भी कम मत मिले और पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी. अरविंद केजरीवाल के धुआंधार प्रचार के बावजूद, हरियाणा में आम आदमी पार्टी के 88 में से 87 उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई. सिर्फ़ दो सीटों पर ही पार्टी उम्मीदवारों को 10 हज़ार से अधिक वोट मिल सके. मूलरूप से भिवानी में सिवानी के रहने वाले अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा में दर्जनों रैलियां कीं और ख़ुद को ‘हरियाणा का लाल’ बताकर वोट मांगे.
कथित शराब घोटाले में जाँच का सामना कर रहे और ज़मानत पर जेल से रिहा अरविंद केजरीवाल ने ‘ईमानदार सरकार’ देने का वादा किया लेकिन जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को पूरी तरह नकार दिया. दिल्ली जैसी मुफ़्त बिजली देने, मोहल्ला क्लिनिक खोलने, मुफ़्त और अच्छी शिक्षा देने के अलावा पार्टी ने कई वादे किए, बेरोज़गारी को मुद्दा बनाया और जमकर बीजेपी पर निशाना साधा. लेकिन हरियाणा के मतदाताओं ने केजरीवाल और उनकी पार्टी को तवज्जो नहीं दी. समूचे हरियाणा में सिर्फ़ जगाधरी सीट पर ही आम आदमी पार्टी उम्मीदवार आदर्श पाल सिंह 43813 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे. आम आदमी पार्टी का बाक़ी कोई भी उम्मीदवार अपनी ज़मानत नहीं बचा सका.
कांग्रेस के साथ गठबंधन ना होने का असर?
चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन का प्रयास किया, लेकिन जब बात नहीं बनीं तो अंत में पार्टी ने अकेले 90 में से 88 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फ़ैसला किया. इससे कुछ महीने पहले ही हरियाणा में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ी थी और इंडिया गठबंधन ने हरियाणा में 47 फ़ीसदी मत और दस में से पांच सीटें हासिल की थीं. हालांकि आम आदमी पार्टी अपने हिस्से की कुरूक्षेत्र सीट हार गई थी. विधानसभा चुनावों की आहट के बीच, पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ने के प्रयास शुरू कर दिए थे और कांग्रेस से बातचीत के दौरान ही, अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल हरियाणा में रैलियां कर रहीं थीं. जब कांग्रेस से बात नहीं बनीं तो चुनावी रैलियों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी अहम खिलाड़ी बनकर उभरेगी और बिना उनकी पार्टी के हरियाणा में सरकार नहीं बनेगी. हालांकि, नतीजे पार्टी की उम्मीदों के बिल्कुल उलट रहे. हरियाणा में सिर्फ़ एक उम्मीदवार को छोड़कर आम आदमी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार मज़बूत मौजूदगी तक दर्ज नहीं करवा सका. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ जाने की भरसक कोशिश की लेकिन बात नहीं बन सकी. कांग्रेस का अतिआत्मविश्वास भी इसमें आड़े आया. अगर आप और कांग्रेस का गठबंधन होता तो निश्चित रूप से चार-पांच सीटों के नतीजों पर इसका असर होता.”
आम आदमी पार्टी को कुल मतों में से सिर्फ़ 2.48 लाख यानी लगभग 1.8 प्रतिशत मत ही मिले. इससे पहले पार्टी ने साल 2019 में जब 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था तब पार्टी को 0.5 फ़ीसदी वोट ही मिले थे. हालांकि 2024 लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को 3.9 प्रतिशत वोट मिले थे.
चुनाव नतीजों के बाद पार्टी कांग्रेस पर निशाना साध रही है. मीडिया को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, “हमने लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया, इंडिया गठबंधन को हरियाणा में 47 प्रतिशत वोट मिले. विधानसभा चुनावों के दौरान हम कहते रहे गठबंधन करो, लेकिन गठबंधन नहीं किया.” वहीं मंगलवार को दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पार्षदों को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा, “दिल्ली के चुनाव नज़दीक हैं. पहली बात दिमाग़ में ये रखनी है कि किसी को हल्के में नहीं लेना है. आज के चुनाव नतीजे बताते हैं कि किसी को अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए.”
हरियाणा में भले ही आम आदमी पार्टी को झटका लगा हो लेकिन विश्लेषक इससे हैरान नहीं हैं.
आम आदमी पार्टी का हरियाणा में कोई मज़बूत आधार नहीं है और पार्टी यहाँ अपनी मज़बूत पकड़ बनाने की महत्वाकांक्षा रखने के बावजूद ज़मीनी स्तर पर संघर्ष करती रही है. हरियाणा में पार्टी के पास न ही मज़बूत ढांचा है और ना ही कार्यकर्ता. अरविंद केजरीवाल मूल रूप से हरियाणा से हैं और आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से ही उन्होंने हरियाणा में पार्टी को विस्तार देने के प्रयास किए हैं लेकिन हरियाणा में पार्टी कोई बड़ा चेहरा पैदा नहीं कर सकी है.”