(गौरव धीमान) हरियाणा में कांग्रेस गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही। विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद सैलजा गुट के नेता लगातार भूपेंद्र हुड्डा पर हमलावर हैं। ताजा बयान पूर्व प्रदेश प्रवक्ता व हरियाणा के पिछड़ा वर्ग उपाध्यक्ष एडवोकेट मुकेश सैनी का आया है। मुकेश सैनी ने आरोप लगाया कि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी की बागडोर ऐसे प्रदेश अध्यक्ष के हाथों में थी, जो लगातार 2 बार से अपने खुद के हलके से चुनाव हार रहा हो और अब भी विधानसभा चुनाव में मिली हार दर्शाती है कि इस नेता की अपने हलके में कितनी पकड़ है। मुकेश सैनी ने कहा कि ऐसे नेता कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री रही किरण चौधरी के बारे में कहते कि क्या है किरण चौधरी? जबकि किरण चौधरी ने दूसरी पार्टी में जाकर भी अपनी पुत्री सहित अन्य कई सीटों पर चुनाव जीतवाने का काम किया। इसी बर्ताव के चलते ही किरण चौधरी जैसी कद्दावर नेता को पार्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि कुमारी सैलजा के प्रति सरेआम जातिसूचक अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ। इसके बावजूद भी पार्टी के आला नेताओं ने कोई कार्रवाई नहीं की। जिसका परिणाम आज पार्टी को विधानसभा चुनाव में शिकस्त के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
सैलजा गुट के नेता के हुड्डा पर 4 आरोप
1. कुमारी सैलजा सहित अन्य सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करते हुए केवल एक नेता विशेष को टिकट वितरण में अहमियत देते हुए मजबूत प्रत्याशियों की लगातार अनदेखी की गई। ऐसा करके पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं का गला काटने जैसा कृत्य किया गया।
2. कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों को हराने के लिए ही चुनाव मैदान में उतरे निर्दलीय बागी कांग्रेसियों को समझा बुझाकर बैठाने का प्रयास तक नहीं किया गया। अंबाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी परविंदर परी के सामने चुनाव मैदान में उतरी बागी कांग्रेसी चित्रा सरवारा, उचाना में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह के सामने बागी कांग्रेसी वीरेंद्र घोघड़िया को मनाकर नहीं बैठाया गया।
3. नलवा से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल मान के खिलाफ पर्चा भरने वाले प्रो. संपत सिंह को व हांसी से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल मक्कड़ के सामने उतरे प्रेम सिंह मलिक व सुमन शर्मा और अंबाला सिटी से कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह के सामने खड़े बागी कांग्रेसियों हिम्मत सिंह व जसवीर मल्लौर के नामांकन वापस करवा लिए गए, क्योंकि इन सीटों पर नेता विशेष के समर्थक प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे।
4. प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने नेता विशेष के प्रभाव में आकर सिर्फ अपने चहेतों को टिकटें बांटी और चुनाव के वक्त बीमार होकर घर बैठ गए। आलाकमान को इस प्रकार की अहम जिम्मेदारी किसी अन्य नेता को सौंप देनी चाहिए थी।
कांग्रेस आलाकमान से की मांग मुकेश सैनी ने कांग्रेस आलाकमान से मांग की है कि पार्टी को धरातल पर लेकर जाने वाले ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे स्वयंभू वरिष्ठ नेताओं के अड़ियल रवैये और केवल खुद को सर्वोपरि रखने की मानसिकता के चलते ही कांग्रेस को आज हरियाणा की सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।