(गौरव धीमान) कैथल में पराली जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, पिछले साल की अपेक्षा इस बार अधिक मामले सामने आ चुके हैं, 17 अक्टूबर तक जिले में 94 जगहों पर पराली जुलाई गई, जबकि पिछले साल 17 अक्तूबर तक 72 मामले ही आए थे। जिले में अब किसानों पर 1.50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा चुका है। हैरानी की बात है कि पराली जलाने के इतने मामले मिलने के बाद विभाग द्वारा इस संदर्भ में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई, जबकि पिछले साल अक्तूबर महीने के लास्ट तक जिले में लगभग 40 किसानों पर पराली जलाने के केस दर्ज किए गए थे और लगभग चार लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था।
घटनाओं को रोकने के लिए लगाई डयूटी
बता दें कि जिले में पिछले कुछ दिनों से पराली जलाने के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में जिला प्रशासन और पुलिस विभाग द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियान भी बेअसर दिख रहे हैं, क्योंकि किसानों द्वारा अबकी बार रात के समय खेतों में आग लगाई जा रही है। जिला प्रशासन ने कृषि विभाग के साथ पटवारियों, नंबरदारों, सरपंच व पुलिस को पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए लगाया गया है।
वायु प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा
जिले में पराली जलाने के अधिक मामले सामने आने के बाद अब वायु प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। वीरवार को सुबह के समय वायु प्रदूषण का स्तर 229 पर दर्ज किया गया था। इस कारण लोगों को सांस लेने में भी कठिनाई हो रही है, ज्यादातर उन लोगों को अधिक समस्या आ रही है। जिनको स्वास्थ्य संबंधित बीमारी है। बच्चों के भी स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
पराली जलाने पर FIR दर्ज का प्रावधान
डीसी विवेक भारती ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे अब पराली जलाने वालों पर जुर्माना न करके सीधे एफआईआर दर्ज कराई जाए। जिले में फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत धान की पराली में आग न लगाने के संबंध में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 लागू की हुई है। इसके अनुसार जो भी अपने खेत में धान के बचे हुए अवशेष में आगजनी करता पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जा रही है।