( गगन थिंद ) राजस्थान में 7 सीट पर 13 नवंबर को उप चुनाव होने है। भाजपा ने 19 अक्टूबर को 6 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। लिस्ट आने के साथ ही 4 सीटों पर बगावत सामने आ गई। सलूंबर, झुंझुनूं, रामगढ़ और देवली-उनियारा में टिकट कटने वाले नेता और उनके समर्थक टिकट काटने का विरोध कर रहे हैं। अब पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करने और इन नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी विधानसभा प्रभारियों को सौंपी हैं। अब यह प्रभारी इन नेताओं से बात करके उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे। वहीं कांग्रेस ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
सलूंबर से टिकट कटने पर नरेंद्र मीणा को चार्टर प्लेन से जयपुर लाए
सलूंबर विधानसभा सीट पर भाजपा ने दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी को टिकट दिया है। यहां टिकट की दावेदारी कर रहे नरेंद्र मीणा ने बगावत कर दी है। उन्होंने कहा- 20 साल धैर्य रखा। अब बैठक बुलाई है, जो समर्थक कहेंगे, वहीं निर्णय लूंगा। रविवार को समर्थकों के बीच पहुंचे नरेंद्र मीणा फूट-फूट कर रोने लगे थे। नरेंद्र मीणा को सोमवार दोपहर चार्टर प्लेन से निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी और वल्लभनगर विधायक उदयलाल डांगी जयपुर लेकर आए हैं।
बागी को टिकट देने का विरोध
रामगढ़ और झुंझुनूं सीट परसुखवंत सिंह और राजेंद्र भांबू को उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद दोनों सीटों पर विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे जय आहूजा और बबलू चौधरी ने विरोध शुरू कर दिया।
संभलकर दांव खेलेगी कांग्रेस
कांग्रेस के नेता जयपुर में टिकट वितरण को लेकर मंथन करेंगे। इसमें देवली-उनियारा और दौसा सीट पर कांग्रेस के युवा नेता और प्रबल दावेदार नरेश मीना को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
टोंक-सवाई माधोपुर के एक बड़े जनप्रतिनिधि नरेश मीना के टिकट का अंदरखाने विरोध कर रहे, लेकिन जिस तरह से उनके समर्थन में कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रहलाद गुंजल समेत अन्य लोग आ रहे हैं, उसे देखकर कांग्रेस आलाकमान नरेश मीना को देवली-उनियारा या दौसा में से एक जगह टिकट देने की संभावना और ज्यादा मजबूत हो रही है। आलाकमान यह भी सोच रहा है कि महज एक दो बड़े नेता के विरोध से ही नरेश मीना का टिकट काटते हैं तो वह भले ही खुली बगावत नहीं करे, लेकिन देवली- उनियारा और दौसा में उनके हजारों समर्थक बीजेपी को वोट कर सकते हैं। ऐसे में नरेश मीना का टिकट काटने से दोनों विधान सभा का चुनाव प्रभावित हो सकता है। पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। पार्टी की दांव पर लगी साख को बचाने के लिए दोनों में से एक जगह नरेश मीना को टिकट दे सकती है।