(गौरव धीमान) कैथल जिले की अनाज मंडियों में धान की मार्केट फीस चोरी का खेल चल रहा है। इसका खुलासा मार्केटिंग बोर्ड की टीम द्वारा की चेकिंग में हुआ है। कैथल, चीका, ढांड व पूंडरी के 6 राइस मिलों में 1431 क्विंटल बारीक किस्म का धान का कोई सरकारी रिकार्ड नहीं मिला। यानी बिना गेट पास के मार्केट फीस की चोरी कर धान को मिलों में लाया पाया गया।
गेट पास में मिला काफी अंतर
इस पर कार्रवाई करते हुए टीमों की तरफ से सभी मिलर्स से मौके पर पेनाल्टी सहित 1 लाख 86 हजार 200 रुपए फीस भरवाई गई। मार्केटिंग बोर्ड के सीए की तरफ से अलग- अलग टीमों का गठन करके चेकिंग कराई गई थी। टीमों ने राइस मिलों में जाकर उनके स्टॉक की गिनती की। इसके बाद ई-नेम पोर्टल के गेट पास के साथ उनका मिलान किया, जिसमें काफी अंतर मिला। कैथल के अंदर सबसे ज्यादा गड़बड़ मिली है। जिस मिलर्स के पास जितनी मात्रा में धान फीस चोरी की हुई मिली, उससे उतनी ही संख्या में पेनाल्टी व जुर्माने सहित फीस भरवाई गई है।
प्राइवेट जगहों पर डाली जा रही धान
कैथल हो या फिर पूंडरी व ढांड अनाज मंडियों की बजाय प्राइवेट जगहों से लेकर खेतों में भी धान डालकर बेची जा रही है। पीआर धान की एवज में कई आढ़ती बारीक धान भी डलवा रहे हैं। ऐसी जगहों पर सबसे ज्यादा मार्केट फीस चोरी का खतरा है, क्योंकि आढ़ती व्यापारियों को धान बेच देंगे। मार्केट कमेटी की मॉनिटरिंग भी नहीं होगी और आसानी से फीस की चोरी हो जाएगी। इससे सरकार के राजस्व को चपत लगेगी।
जांच में पकड़ में आएगा बड़ा फर्जीवाड़ा
टीम द्वारा जिन राइस मिलों में चेकिंग की गई, वहीं पर गड़बड़ मिली है। यदि रेंडमली सभी मिलों की चेकिंग की जाए तो मार्केट फीस चोरी का आंकड़ा बढ़ सकता है। जानकारों ने बताया कि मार्केट फीस चोरी कराने में कहीं न कहीं मार्केट कमेटी स्टाफ की ही मिलीभगत हो सकती है, क्योंकि बिना सेटिंग के धान से भरे वाहन गेट पास व फीस भरे बिना बाहर नहीं निकल सकते।
कई व्यापारी कर लेते है सेटिंग
इसमें कर्मचारियों के साथ व्यापारी सेटिंग कर लेते हैं, जो मार्केट फीस बनती है, उसका आधा रेट बनाकर अधिकारियों को दे दिया जाता है। या फिर जितनी मात्रा में धान खरीदी है, उसमें से कुछ को बिना मार्केट फीस के बाहर भेज दिया जाता है और कुछ की मार्केट फीस भरा ली जाती है। यदि मार्केट फीस चोरी को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए तो फीस चोरी की रकम करोड़ों में भी रिकवर हो सकती है।
सरकारी राजस्व को चपत
मार्केट कमेटी के अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि कोई भी प्राइवेट तौर पर परचेज की गई फसल बिना ई-नेम गेट पास व मार्केट फीस भरे मंडी से बाहर न निकले। यहां बिना मार्केट फीस भरे 1431 क्विंटल धान बिना रिकार्ड के बाहर निकल गई। मार्केट कमेटी अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। मंडियों के गेटों पर धान से लोडिड वाहनों के गेटपासों की चेकिंग में चूक कैसे हुई, ये अपने आप में सवाल है।
जांच में बारीक किस्म की मिली धान
अंबाला के जेडएमईओ राजीव चौधरी ने बताया कि उसने कैथल व चीका के राइस मिलों व मंडियों का रिकॉर्ड चेक किया। इसके बाद राइस मिलों की भी चेकिंग की। कैथल के दो व चीका के एक राइस मिल में बिना मार्केट फीस भरी हुई बारीक किस्म की धान मिली। संबंधित राइस मिलर्स से मौके पर जुर्माने सहित मार्केट फीस भरवाई गई। आगे भी मार्केट फीस चोरी न होने देने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों सख्त निर्देश दिए गए हैं।