(गौरव धीमान) हरियाणा में पराली जलाने के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में 3 और जगहों पर पराली जलाई गई है। इसके साथ ही पराली जलाने के मामले बढ़कर 689 हो गए हैं। हरियाणा के 4 शहरों पानीपत, करनाल, जींद और रोहतक में सबसे ज्यादा प्रदूषण है। यहां AQI 400 के पार पहुंच गया है।
सुबह ही स्मॉग का प्रकोप
10 शहर ऐसे हैं जहां हवा की गुणवत्ता खराब है। इन 10 में से 4 शहरों में AQI 300 से ऊपर है जिसमें कुरुक्षेत्र, धारूहेड़ा, बल्लभगढ़ और बहादुरगढ़ शामिल हैं। इसके अलावा अंबाला, हिसार, चरखी दादरी, भिवानी, सोनीपत और सिरसा में AQI 200 से ऊपर है। इन शहरों में सुबह के समय स्मॉग का असर देखा जा सकता है।
नेशनल हाईवे के पास जलाई जा रही पराली
नेशनल हाईवे से गुजरते समय खेतों में पराली जलती हुई देखी जा सकती है लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में इनका कोई जिक्र नहीं है। HARSAC की रिपोर्ट के अनुसार कैथल, कुरुक्षेत्र और सोनीपत में एक-एक कर , तीन स्थानों पर पराली जलाई गई, लेकिन हाईवे से गुजरते समय कई स्थानों पर आगजनी के मामले देखे जा सकते हैं।
सोनीपत में दो इंडस्ट्रीज को नोटिस
वहीं प्रदूषण फैलाने वाले कारणों पर सरकार ने सख्ती शुरू कर दी है। पराली के साथ-साथ इंडस्ट्रीज पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। सोनीपत में प्रदूषण फैलाने पर 2 इंडस्ट्रीज को सील किया गया है। वहीं 13 इंडस्ट्रीज को नोटिस दिया गया है। इसके अलावा 6 डीजी सेट को भी सील किया गया है। अन्य ईकाई पर 21 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
WHO के मुताबिक वायु प्रदूषण से इन बीमारियों का खतरा
1. अस्थमा
सांस लेने में कठिनाई होती है, छाती में दबाव महसूस होता है और खांसी भी आती है। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति की श्वसन नली में रुकावट आने लगती है। यह रुकावट एलर्जी (हवा या प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में यह भी देखा गया है कि सांस लेने की नली में सूजन भी आ जाती है।
2. फेफड़ों का कैंसर
स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) प्रदूषण और धूम्रपान से होने वाला कैंसर है। इसका पता तब चलता है जब SCLC शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फैल चुका होता है। साथ ही, नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) तीन तरह के होते हैं। एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा।
3. हार्ट अटैक
वायु प्रदूषण से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के PM 2.5 के बारीक कण खून में चले जाते हैं। इससे धमनियां सूज जाती हैं।
4. बच्चों में सांस की दिक्कत
बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित करता है, जो सांस लेने में मदद करने वाले अंग हैं। बच्चों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चे इस बीमारी से सबसे ज्यादा मरते हैं।
5. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक सांस संबंधी बीमारी है जिसमें मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह बहुत खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सबसे ज्यादा लोग सीओपीडी से मरते हैं।