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कनाडा के ख़िलाफ़ ट्रंप की बड़ी घोषणा, भारत पर क्या होगा असर?

What will be the impact on India?

( गगन थिंद ) अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद ट्रंप ने बड़ी घोषणा की जो  कनाडा के लिए वो मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. सोमवार को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह कनाडा से अमेरिका आने वाले हर उत्पाद पर 25 फ़ीसदी  प्रशुल्क लगाएंगे. ट्रंप ने कनाडा के अलावा एक और पड़ोसी देश मेक्सिको के भी सभी उत्पादों पर 25 फ़ीसदी  प्रशुल्क लगाने की घोषणा की है. वहीं ट्रंप ने कहा कि वो चीन के सभी उत्पादों पर 10 प्रतिशत  प्रशुल्क लगाएंगे. ट्रंप ने कहा कि कनाडा और मेक्सिको के ख़िलाफ़ यह टैरिफ प्रवासियों और अवैध ड्रग्स को रोकने के लिए ज़रूरी है.

ट्रंप ने ट्रूथ सोशल नेटवर्क पर एक पोस्ट में लिखा है कि 20 जनवरी को ऑफिस संभालते ही कनाडा, मेक्सिको और चीन के ख़िलाफ़ टैरिफ लगाने के लिए एक एग्जेक्युटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करेंगे. ट्रंप ने कहा, ”सभी को पता है कि कनाडा और मेक्सिको से हज़ारों लोग अमेरिका में घुस रहे हैं. ये अपने साथ ड्रग्स ला रहे हैं और कई अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. जिस स्तर पर ये सब हो रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ.”

कनाडा और अमेरिका के बीच दुनिया का सबसे लंबा लैंड बॉर्डर है और दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध एक ट्रिलियन डॉलर से भी ज़्यादा का है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप की जीत के तत्काल बाद ही बधाई दी थी लेकिन दोनों नेताओं के संबंधों में पर्याप्त तनाव रहा है.

अमेरिका में कोई भी राष्ट्रपति कमान संभालने के बाद पारंपरिक रूप से पहला विदेशी दौरा कनाडा या मेक्सिको का करता था लेकिन ट्रंप ने 2017 में पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का किया था. यानी ट्रंप ने आते ही संदेश दे दिया था.

जस्टिन ट्रूडो पर ट्रंप व्यक्तिगत हमले भी करते रहे हैं. ट्रूडो को ट्रंप ने ‘घोर-वामपंथी पागल’ कहा था. कनाडा की आर्थिक स्थिति पहले से ही चिंताजनक है और ट्रंप के टैरिफ से वहाँ की अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने की आशंका बढ़ जाएगी. कनाडा का 75 प्रतिशत निर्यात अमेरिका में होता है. ऐसे में 25 प्रतिशत का  प्रशुल्क कनाडा को भारी पड़ सकता है.

ट्रूडो के लिए ये मुश्किलें तब खड़ी हो रही हैं, जब कनाडा में चुनाव सिर पर है. कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में बताया जा रहा है कि ट्रूडो चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी से हार सकते हैं. पिछले कुछ वर्षों में कनाडा में रहना काफ़ी महंगा हुआ है. दूसरी तरफ़ कनाडा पहले से ही चीन और भारत से उलझा हुआ है. ऐसे में कनाडा के लिए अपना व्यापार अमेरिका से बाहर ले जाना भी आसान नहीं है.

मोदी सरकार जस्टिन ट्रूडो पर कनाडा में रह रहे खालिस्तानी अलगाववादियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है. दूसरी तरफ़ जस्टिन ट्रूडो सरकार कनाडा में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साज़िश रचने का आरोप लगा रही है. इस मामले में बाइडन प्रशासन ट्रूडो के साथ था. अब कहा जा रहा है कि ट्रंप के आने के बाद जस्टिन ट्रूडो को खालिस्तानी अलगाववादियों के मामले में शायद कोई समर्थन न मिले.

ट्रंप-ट्रूडो और मोदी

जिस तरह से ट्रंप और ट्रूडो के व्यक्तिगत संबंध अच्छे नहीं रहे हैं, उसी तरह मोदी और ट्रूडो के भी आपसी संबंधों में गर्मजोशी नहीं है. मोदी मई 2014 में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने और जस्टिन ट्रूडो अक्तूबर 2015 में पहली बार कनाडा के प्रधानमंत्री बने.

2019 में भी नरेंद्र मोदी दूसरे कार्यकाल के लिए चुनकर आए और ट्रूडो को भी अक्टूबर 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया. ट्रूडो की लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा ख़ुद को उदारवादी लोकतांत्रिक बताती है और पीएम मोदी की बीजेपी की पहचान हिन्दुत्व और दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी के रूप में है. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अप्रैल 2015 में कनाडा का दो दिवसीय दौरा किया था. उस वक़्त कनाडा के प्रधानमंत्री कन्जर्वेटिव पार्टी के स्टीफन हार्पर थे.

2010 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी-20 समिट में शामिल होने कनाडा गए थे. लेकिन समिट से इतर किसी भारतीय प्रधानमंत्री का कनाडा जाना 42 साल बाद तब हो पाया, जब पीएम मोदी कनाडा के दौरे पर 2015 में गए. जस्टिन ट्रूडो जब से पीएम बने हैं, तब से नरेंद्र मोदी कनाडा नहीं गए हैं.

कनाडा दुनिया का चौथा बड़ा कच्चे तेल का उत्पादक है लेकिन ट्रंप का टैरिफ ऊर्जा से हासिल होने वाले राजस्व पर भी भारी चोट करेगा. दूसरी तरफ़ ट्रंप अमेरिका में घरेलू ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं. 2022 में ट्रूडो ने अमेरिका से आने वाले ट्रक ड्राइवरों के लिए वैक्सीन लगाना अनिवार्य कर दिया था. इसके लिए ट्रंप ने ट्रूडो को ‘घोर-वामपंथी पागल’ कहा था. जून 2018 में ट्रंप कनाडा के क्यूबेक में आयोजित जी-7 समिट के बीच से ही निकल गए थे और उन्होंने जस्टिन ट्रूडो को ‘घोर बेईमान और कमज़ोर’ नेता कहा था.

जस्टिन ट्रूडो को पहले से ही थी आशंका

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव पर कनाडा में सबकी नज़रें टिकी थीं. ट्रंप की जीत के बाद एक संदेश गया कि कनाडा की चुनौतियां बढ़ने वाली हैं.  ट्रंप की जीत के बाद कनाडा की वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने कहा था, ”कनाडा में बड़ी संख्या में लोग अमेरिकी चुनाव को लेकर तनाव में थे. लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि सब कुछ बिल्कुल ठीक है. अमेरिका से हमारा गहरा संबंध है और ट्रंप के साथ भी हमारे मज़बूत संबंध हैं.”

इसी साल जनवरी में ट्रूडो ने कहा था कि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं तो कनाडा को लोगों की ज़िंदगी मुश्किल होगी और यह एक क़दम पीछे जाने की तरह होगा.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, वित्तीय मामलों के थिंक टैंक डिजार्डियंस के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि ट्रंप की नीतियों के कारण 2028 के अंत तक कनाडा की जीडीपी में 1.7 फ़ीसदी तक गिरावट आ सकती है.

ट्रंप 2017 में पहली बार जब राष्ट्रपति बने थे, तब उन्होंने उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा की बात कही थी. अमेरिका का यह समझौता मेक्सिको और कनाडा के साथ है.

ट्रंप की शिकायत रही है कि इस समझौते से अमेरिका को नुक़सान हो रहा है और बाक़ी दोनों देशों को फ़ायदा हो रहा है. इस समझौते को लेकर कनाडा और अमेरिका 18 महीनों तक तनाव भरे माहौल बातचीत हुई थी लेकिन बेनतीजा रही थी और दोनों देशों ने एक दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ लगाना शुरू कर दिया था.

इसके बाद यह समझौता यूएस-मेक्सिको-कनाडा डील के रूप में सामने आई थी. लेकिन ट्रंप ने 11 अक्तूबर को इसकी समीक्षा की भी बात कही थी.

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