हिमाचल के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी एक्शन में आ गए हैं। उन्होंने मार्केटिंग बोर्ड और सभी APMC को आज सुबह दफ्तर पहुंचते ही निर्देश दिए कि जो आढ़ती किलो के हिसाब से सेब नहीं बेचेंगे, उनके चालान किए जाए। यदि आढ़ती कानून मानने में आनाकानी करते हैं तो इनके लाइसेंस रद्द किए जाए। सेब सीजन के लिए सरकार बाहर से भी आढ़ती लाने को तैयार है।
गौतरलब है कि बीती शाम मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के आश्वासन के बाद आढ़तियों ने अपनी हड़ताल खत्म की थी। तब प्रदेश आढ़त एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने यह किसानों पर छोड़ दिया है कि वह अपना सेब किलो के हिसाब से या गड्ड में बेचना चाहते हैं।
मगर, बागवानी मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि सेब कानून के हिसाब से ही बिकेगा। कानून कहता है कि सेब वजन के हिसाब से बेचा जाए।
मंत्री बोले- वजन में ही बिकता रहेगा सेब
जगत नेगी ने कहा कि आढ़तियों को मुख्यमंत्री ने क्या आश्वासन दिया, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन सेब वजन के हिसाब से ही बिकता रहेगा, क्योंकि यह निर्णय आढ़तियों सहित बागवानों से ही सात से आठ दौर की चर्चा के बाद लिया गया है। APMC एक्ट में भी सेब को वजन के हिसाब से बेचने का प्रावधान है। इसी मांग को लेकर बागवान कई सालों से सड़कों पर लड़ाई लड़ चुके हैं।
वजन के हिसाब से बागवानों को हो रहा फायदा
किलो के हिसाब से सेब बेचने से बागवानों को फायदा हो रहा है। इसे देखते हुए बागवानी मंत्री भी इस नई व्यवस्था को चालू रखना चाहते हैं, क्योंकि सुक्खू सरकार ने पहली बार ही सेब को किलो के हिसाब से बेचने का फैसला लिया है।
सेब गड्ड में किलो में बिकना चाहिए: बिष्ट
प्रोग्रेसिव ग्रोबर एसोसिएशन (PGA) के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट ने कहा कि सेब किलो में ही बिकना चाहिए। सरकार का यह डिसीजन स्वागत योग्य है। गड्ड का विकल्प देना गलत है।
APMC कानून लागू होना चाहिए: सिंघा
ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने भी सुबह सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि APMC कानून को लागू किया जाए। आढ़तियों के दबाव में आकर सरकार फैसला लेने से बचे। उन्होंने कहा कि पूर्व की कई सरकार जो APMC एक्ट को लागू नहीं कर पाई थी। वो काम सुक्खू सरकार ने जरूर किया था, लेकिन अब सरकार फैसले से पलट रही है। यह प्रदेश के हजारों बागवानों से धोखा है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने कदम पीछे खींचती है तो किसान सड़क पर उतरेगा।