करनाल के सेक्टर- 13 निवासी भव्या ने शुक्रवार शाम को यूक्रेन से वतन लौट आई। भव्या के करनाल में पहुंचने पर परिजनों ने राहत की सांस ली, पर भव्या के चेहरे पर अभी दोस्तों को लेकर काफी परेशानी हैं। उसकी फ्लाइट निकलने के बाद ही ब्लास्ट शुरू हो गए और उसके दोस्त अभी वहीं फंसे हैं।
जिनके लिए भव्या ने सरकार से अपील की है कि अपने देश के लोगों को वहां से निकाला जाए। उधर भव्या की मां अंजू जैन ने खुशी के आंसू निकाले और बोलीं कि वो सारा दिन घर पर अकेली टीवी देखकर रोती रही। अब बेटी घर आ गई तो काफी खुश हूं। इस बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है, पर इसको कोई चिंता नहीं है।
भव्या बोलीं, “16 फरवरी को वॉर के बारे में बोला गया, तब सभी घबरा गए। पर स्थिति को सामान्य बताते रहे तो कुछ घबराहट कम हो जाती। मैंने पहली बार ऐसा देखा कि मिशाइल गिर रहे हैं। ब्लास्ट किए जा रहे। ऐसा होने से काफी लोग डर गए। मैं जेनेट्रो सिटी में रही। जो हमले वाले जगह से काफी दूर है।
वहां पहुंचने में करीब 8 घंटे का समय लगता है। डर इस बात का था कि देश तो वहीं है, जिस पर हमला हो रहा है। जो वहां पर रह रहे हैं, उनके लिए काफी खतरे की बात है। शुक्रवार को जिसकी फ्लाइटें थी। उन्हें मेल आता है कि उनकी फ्लाइट कैंसिल हो गई। उन्हें काफी सेफ जगह भी नहीं मिल रही है।’
भव्य ने बताया, “घर पहुंचने के बाद दोस्त से बात हुई तो बताया कि दिन में रूम से निकलना काफी सेफ रहा। हॉस्टल में विद्यार्थियों को मैस से पेकिंग में खाना पहुंच रहा है। मेरी दोस्त के डाक्यूमेंट में कुछ कमी रह गई थी। कागजात की दिक्कत होने के कारण वो नहीं आ सकी। एंबेंसी भी एक्शन नहीं ले रही। बोलते हैं कि वो सब देख रहे हैं, पर हो कुछ नहीं रहा।’
छात्रा ने बताया, “एयर इंडिया की फ्लाइट काफी महंगी कर दी गई है। बहुत लोग तो इसे सह नहीं सकते। अब तो सभी फ्लाइट को बंद कर दिया है। सरकार से अपील है कि वहां पर फंसे हुए लोगों को वहां से निकाला जाए। परिजन बड़ी मुश्किल से बाहर भेजते हैं। ऐसे में यदि वहां पर वो सेफ नहीं होंगे तो क्या फायदा होगा।’
दूसरे परिजन भी हो रहे होंगे परेशान
भव्य के पिता विनेश जैन ने बताया कि बच्चों के लिए काफी चिंता है। हर बच्चा वहां से सुकुशता पूर्वक लौट आए। यही प्रार्थना है। बच्चे तो बच्चे होते हैं। जैसे हम परेशान थे, वैसे ही दूसरे बच्चों के परिजन परेशान होंगे। इसलिए हमारी सरकार से गुहार है कि इस पर जल्द से जल्दी योजना बनाकर बच्चों को वहां से निकाला जाना चाहिए।