( गगन थिंद ) हिसार विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ. कमल गुप्ता चुनावी जंग में अकेले पड़ गए हैं। पहले जिंदल परिवार और अब पूर्व राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा ने भी भाजपा के मंत्री का साथ छोड़ दिया है। पूर्व राज्यसभा सांसद ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। सुभाष चंद्रा ने कहा कि मंत्री बनने के बाद कमल गुप्ता को 5 साल बाद मेरी याद आई। कम से कम वह मुझे तीज-त्योहार पर बधाई तो दे सकते हैं। हिसार की जनता भी भाजपा के मंत्री से नाराज है, इसलिए इस बार मैं मदद नहीं कर पाऊंगा। सुभाष चंद्रा बड़े कारोबारी और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। सुभाष चंद्रा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में सावित्री जिंदल के खिलाफ डॉ. कमल गुप्ता की खुलकर मदद की थी और उन्हें चुनाव जिताया था।
कमल गुप्ता और सुभाष चंद्रा के बीच रिश्ते उस समय खराब हो गए थे, जब चंद्रा ने विधायक के प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लगा दिया था। दरअसल कमल गुप्ता ने हिसार में पारिजात चौक से बस स्टैंड तक का रूट ग्रोवर मार्केट से होते हुए पारिजात चौक से नागोरी गेट तक का रूट वन वे कर दिया था। डॉ. गुप्ता का तर्क था कि इससे जाम खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शहर के व्यापारियों ने इसका विरोध किया और आरोप लगाया कि एक खास व्यक्ति को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इसके बाद चंद्रा ने व्यापारियों का समर्थन किया। इसके बाद कमल गुप्ता को फैसला वापस लेना पड़ा। दूसरी ओर, चंद्रा ने 2018 में हिसार एयरपोर्ट पर बयान दिया था कि हिसार में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री को पूरी तरह गुमराह किया गया है। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ऐसे ही नहीं बन जाता। इसके लिए जरूरी है कि एयरपोर्ट पर विमानों की लगातार आवाजाही होती रहे। हिसार में अब तक ऐसा संभव नहीं हो पाया है। जब यहां से उड़ानें शुरू हो जाएंगी, उसके बाद सरकार को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए आवेदन कर देना चाहिए था। हिसार एयरपोर्ट भी डॉ. कमल गुप्ता का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है।
इसलिए पड़ी सुभाष चंद्रा की जरूरत
2014 के विधानसभा चुनाव में कमल गुप्ता को पहली बार विधानसभा पहुंचाने में सुभाष चंद्रा की सबसे बड़ी भूमिका रही थी। यह अपनी तरह का पहला चुनाव था जिसे सुभाष चंद्रा ने जिंदल परिवार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ा था। उस समय कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए सावित्री जिंदल ने लगातार तीसरी बार हिसार से चुनाव लड़ा था। भाजपा ने उनके खिलाफ डॉ. कमल गुप्ता को मैदान में उतारा था। कमल गुप्ता के चुनाव की कमान सुभाष चंद्रा ने अपने हाथों में ली थी। इस चुनाव में चंद्रा की वजह से ही कमल गुप्ता सावित्री जिंदल को हराने में कामयाब हो पाए थे। 2019 में कमल गुप्ता कांग्रेस के रामनिवास राड़ा को हराकर दोबारा विधानसभा पहुंचने में कामयाब हो गए थे, लेकिन उन्होंने सुभाष चंद्रा से खुद को लगभग दूर कर लिया था। अब जब जिंदल परिवार कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ सकता है तो कमल गुप्ता को फिर चंद्रा की याद आ गई।
सावित्री जिंदल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया था ऐलान
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 67 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। सूची जारी होते ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई। कई पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भाजपा से टिकट न मिलने पर सावित्री जिंदल ने हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा- मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं। चुनाव न लड़ने की बात कहकर दिल्ली से लौटी थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर चुनाव लड़ूंगी। सावित्री प्रसिद्ध उद्योगपति और कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां हैं।
चुनाव लड़ेंगी तो सावित्री जिंदल दे सकती हैं कड़ी टक्कर
सावित्री जिंदल अगर हिसार विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ती हैं तो वह अपने विरोधियों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जिंदल परिवार 1991 से हिसार सीट से चुनाव लड़ता आ रहा है। सबसे पहले दिवंगत ओपी जिंदल ने चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ा था और पहला ही चुनाव जीत गए थे। राजनीति के साथ-साथ जिंदल परिवार ने हिसार में स्कूल और अस्पताल जैसे सेवा के कई माध्यम खोले हैं। इसके अलावा हिसार में जिंदल इंडस्ट्रीज में कई स्थानीय लोगों को नौकरी दी गई है। ये सभी जिंदल हाउस से जुड़े हैं। जिंदल परिवार का कोर वोटर हिसार में है, जो जिंदल हाउस के आदेश पर ही काम करता है। डॉ. कमल गुप्ता मंत्री थे, लेकिन हिसार में उनके खिलाफ नाराजगी सामने आती रही। इसका फायदा सावित्री जिंदल को मिल सकता है।