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नेकीराम कॉलेज पहुंचे सीएम बोले- इसी प्रांगण में खेला करते थे, यहीं मुख्य अतिथि बनने का सौभाग्य मिला

हरियाणा के रोहतक के पंडित नेकीराम शर्मा कॉलेज परिसर में पहुंच कर 50 साल पुरानी याद आ गई। इसी प्रांगण में खेला करते थे। एनसीसी परेड हुआ करती थी। अब यहीं मुख्य अतिथि बनने का सौभाग्य मिला है। यह कहते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल भावुक हो गए। आंखों से बहते आंसू पोंछते हुए सीएम ने कहा कि मेरा भावुक होने का यह स्वाभाविक क्षण है। यहां मैं मुख्यमंत्री नहीं, पूर्व छात्र के नाते आया हूं। वे मंगलवार को कॉलेज में आयोजित राज्यस्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में शामिल होने आए थे।

सीएम ने कहा कि मन में इच्छा बहुत दिनों से थी, मगर संयोग नहीं बना। सोचते-सोचते सात साल निकल गए। गांव के स्कूल में तो गया हूं। यहां आना नहीं हुआ था। दो साल पहले भी यहां आने का कार्यक्रम आया था। इस पर तुरंत यहां आने का मन हुआ था, मगर कोविड के कारण ये दो साल निकल गए। यहां आकर प्रदर्शनी का ही अवलोकन नहीं किया, अपने पुराने कॉलेज कैंप व भवन को भी देखा।

प्रदेश में 173 सरकारी कॉलेज हैं। इनमें से 70 सर्वश्रेष्ठ मॉडल यहां प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें भी कोविड से जुड़ी हैं। इसमें कोविड के कारण, इलाज, दुष्प्रभाव, निदान सभी के बारे में बड़ी ही बारीकी व अच्छे ढंग से विज्ञान के विद्यार्थियों ने बताया है।

उन्होंने कहा कि मैंने वर्ष 1970 में यहां प्रवेश लिया था। मेरी भूमिका पूर्व छात्र के रूप में बनती है। इसे जरूर निभाऊंगा। इन दिनों जिन भी शिक्षण संस्थाओं में जा रहा हूं। वहां उन्हें अपने पूर्व छात्रों से संपर्क करने की बात कहता हूं। इन पूर्व छात्रों का मिलन समारोह किया जाए। इनमें कुछ सामान तो कुछ आर्थिक रूप से साधन संपन्न विद्यार्थी भी होंगे।

ये विद्यार्थी अपनी संस्था को चलाने के लिए आर्थिक या अन्य स्तर पर सहयोग कर सकते हैं। इनका सहयोग लिया जाए। इससे शिक्षण संस्थाएं आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगी। विदेशों में कई विश्वविद्यालय इसी तरह चल रहे हैं। उन्होंने एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह व पंडित नेकीराम शर्मा महाविद्यालय के प्राचार्य मेजर दिनेश सहारण से कहा कि वे इन संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर चुके पूर्व छात्रों के लिए वर्ष भर में एक दिन मिलन समारोह आयोजित करें।

…ताकि बेटियों को बेहतर परिवहन व्यवस्था मिले
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठा रही है। इसमें छात्रा परिवहन सुरक्षा योजना के तहत छात्राओं को निशुल्क बस पास सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। परिवहन विभाग की बसों के अलावा निजी वाहन संचालकों से अनुबंध किया जाएगा ताकि बेटियों को बेहतर परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सके। प्रत्येक शिक्षण संस्थान में इसके लिए एक परिवहन नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। महाविद्यालयों में कम से कम 10-10 स्मार्ट कक्षाएं शुरू की जाएंगी। छठी कक्षा से सूचना प्रौद्योगिकी पढ़ाना शुरू किया जाएगा। प्रदेश में 138 संस्कृति मॉडल स्कूल कार्यरत हैं। इन विद्यालयों में पहली कक्षा से कम्प्यूटर शिक्षा दी जाएगी।

संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए हो रहा काम
दुनिया को विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिकों की अनेक देन रही है। इनमें होमी जहांगीर भाभा, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम समेत अनेक नाम शामिल हैं। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक नई शिक्षा नीति लागू करने की योजना बनाई है। प्रदेश सरकार इसे वर्ष 2025 तक लागू कर देगी। वर्तमान युग विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। सरकार वैज्ञानिक तरीके से सर्वे करा रही है। इससे बीपीएल व अन्य वर्गों की पहचान की जा रही है। सरकार ने एक लाख 80 हजार रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों को बीपीएल श्रेणी व 5 लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले परिवारों को मध्यम श्रेणी में रखा है। इससे साधन संपन्न व जरूरतमंद की स्थिति स्पष्ट होगी।

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