कैथल । हरियाणा को पशुप्रेम के लिए जाना जाता है क्योंकि पुराने समय से लेकर आज तक पालतू पशुओं ने अपने मालिको के नाम देश-प्रदेश में रोशन किये हैं। कैथल के बुढ़ाखेड़ा का सुल्तान व रेशमा इसका उत्तम उदाहरण है।
आज भी ऐसा ही पशुप्रेम का मामला सामने आया है जिसमें कैथल के गांव गढ़ी में रामकरण नाम के एक किसान ने अपनी भैंस मूर्ति की मृत्यु होने के बाद उसके सम्मान में मृत्युभोज रखा। रामकरण ने सभी रिश्तेदारों व सगे संबंधियों को मूर्ति के मृत्युभोज में न्योता दिया। बिल्कुल सम्मान के साथ भोज रखा गया जिसमें मिठाई ओर तरह तरह के पकवान बनवाये गए और सभी सगे-सम्बन्धी पहुंचे।
रामकरण व परिजनों ने बताया कि भैंस मूर्ति ने 18 बच्चे दिए और लगभग 18 साल तक उनके परिवार को दूध पिलाकर लालन पालन किया। हमारे परिवार के सभी बच्चे उसी का दूध पीकर बड़े हुए। उसकी दी हुई कटड़ियों कई लाख रुपये की बिकी। जिस भैंस ने उनके परिवार के लिए इतना किया तो उसका सम्मान तो बनता है।
जिस तरह से एक इंसान की मृत्यु होती है तो संस्कार स्वरूप जितने भी क्रियाकर्म होते हैं वो सभी मूर्ति के संस्कार में भी किये गए। जिस प्रकार एक बुजुर्ग के सम्मान में मृत्युभोज का आयोजन किया जाता है वैसे ही भैंस मूर्ति के सम्मान में भी किया गया।