पढ़ेगा तो आगे बढ़ेगा इंडिया के सपने को साकार करता सौंगरी गाँव का स्कूल जहाँ पर वो सारी सुविधाएं हैं जो शायद नामी गिरामी निजी स्कूलों में देखने को मिलती हैं। सरकारी स्कूल की बात जब आती है तो सिंपल सी बिल्डिंग व सादे से कपड़ों वाले छात्र ही जहन में आते हैं लेकिन अगर आप कैथल के गाँव सौंगरी के सरकारी स्कूल में जाएंगे तो आपको लगेगा की आप किसी बड़े और नामी गिरामी स्कूल में आ गए हैं क्योंकि वहां के बच्चों की ड्रेस से लेकर स्कूल के गार्डन तक सब कुछ एकदम परफेक्ट नजर आता है। वहां जाकर ऐसा लगता है की आप सरकारी स्कूल में नहीं किसी निजी स्कूल में हैं। लेकिन 2016 में इस स्कूल की हालत ऐसी नहीं थी। उसके बाद यहां के स्टाफ ने पंचायत व विभाग के उच्च अधिकारियों के सहयोग से स्कूल को एक उछत्तम श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है जिसकी आज मिसाल दी जा रही है।
90 प्रतिशत से अधिक हर क्लास का रिजल्ट, उठाया शिक्षा का स्तर
अगर स्कूल की शिक्षा की बात करें तो हर साल 90 प्रतिशत से अधिक हर क्लास का रिजल्ट आता है और बच्चो की पढ़ाई इस प्रकार करवाई जाती है की उन्हें सब कुछ याद हो जिसमे स्कूल की प्रैक्टिकल व खेल खेल में करवाई गई शिक्षा के कारण बच्चों की शिक्षा का स्तर हाई होता है। इसके अलावा स्कूल में डिजिटल बोर्ड माध्यम से छात्रों को वीडियो लेक्चर की मदद से पढ़ाई करवाई जाती है। डिजिटल बोर्ड का इस्तेमाल बड़े बड़े निजी स्कूलों में किया जाता है लेकिन सौंगरी के सरकारी स्कूल में भी डिजिटल बोर्ड का प्रयोग किया जाता है ताकि छात्रों को उत्तम शिक्षा मिल सके। छोटे बच्चों की ड्राइंग से लेकर १२ वीं कक्षा के लेक्चर्स तक सबकुछ डिजिटल बोर्ड पर करवाया जाता है।
प्राइवेट स्कूलों में मोटी-मोटी फीस क्यों दें
अब बात करते हैं स्कूल के शिक्षकों की और ग्रामीणों के स्रह्योग की। जब सरकार ने सरकारी स्कूल खोल दिए हैं तो क्यों न अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूल में पढ़ाया जाए यही सोच यहां के सरकारी टीचर रखते है इसीलिए यहां के सरकारी स्कूल के टीचर्स के बच्चे भी इसी सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं और बड़ी हैरानी की बात तो ये है की प्राइवेट स्कूलों के स्टॉफ के बच्चे भी इसी सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। यही से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की शिक्षा का स्तर कितना बेहतर इस स्कूल में होगा। अगर सरकारी नौकरी वाले सभी यही ठान ले की सरकारी स्कूल में बच्चे पढ़ाने से तो निश्चित तौर पर स्कूलों की हालत सौंगरी के इस स्कूल जैसी हो जायेगी। यहां स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भी कहना है की वो प्राइवेट स्कूल से हटकर यहां इस स्कूल में दाखिला लिया है और ये स्कूल प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले कहीं बेहतर है तो प्राइवेट स्कूलों में मोटी-मोटी फीस क्यों दें।
सीसीटीवी कैमरे से लेकर आधुनिक लाइब्रेरी तक की सुविधा
अब बात करते हैं स्कूल की अन्य सुविधाओं की। स्कूल की सुबह की प्रेयर से लेकर ड्रेस तक सब कुछ एक दम परफेक्ट है। सभी बच्चे टाई-बेल्ट के साथ प्रॉपर ड्रेस में आते हैं और लाइनों में एक डिसिप्लिन के साथ कक्षाओं में जाते हैं। स्कूल की इमारत पेण्ट व कलाकृतियों से एक दम मनमोहक है व पूरे स्कूल में जगह जगह डस्टबिन रखे हैं ताकि साफ़ सफाई रखी जा सके। स्कूल में सुरक्षात्मक दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। स्कूल में पार्क का रखरखाव एकदम मशहूर स्कूलों की तरह है और वातावरण में हरियाली है व पेड़ों पर टैग लगाकर भी शिक्षा दने का प्रयास किया जाता है। स्कूल में हर जगह साइन बोर्ड लगे हैं ताकि कोई बाहर से भी आये तो उसे कोई जगह ढूंढने में परेशानी ना आये। लड़कियों के बाथरूम में सेनेट्री पैड को नष्ट करने वाली मशीन भी लगाईं गई है ताकि कोई असुविधा ना हो। स्कूल में साइंस लैब से लेकर कंप्यूटर लैब व आधुनिक लाइब्रेरी तक की सुविधा बच्चों को दी गई है।
अभिभावकों व पंचायत की मदद से स्कूल को दी नयी दिशा
स्कूल के स्टॉफ व स्कूल के कार्यकारी प्रिंसिपल कुलदीप ने बताया की ये सरकारी स्कूल 2016 में बिल्कुल एक सिंपल स्कूल था जिसमे 200 आसपास बच्चे थे लेकिन उसके बाद स्टॉफ ने मेहनत की और विभाग व पंचायत की मदद से स्कूल को एक उत्तम श्रेणी में लाने में मदद मिली। उसके बाद सभी स्टॉफ व गाँव के अन्य टीचर्स ने ये ठाना की खुद के बच्चों को भी सरकारी स्कूल में पढ़ाना है। इसी मेहनत के दम पर आज स्कूल में 500 से अधिक बच्चे हैं और वो तमाम सुविधाएं है जो एक नामी-गिरामी निजी स्कूल में होती हैं। रिजल्ट व सुविधाएं देख प्राइवेट स्कूल के स्टाफ के बच्चे भी यहां आने लगे। इसके अलावा स्कूल खेलकूद में भी अव्वल है।
छात्रों व स्टाफ की लग्न जिसने स्कूल को हर क्षेत्र में दिया अव्वल दर्जा
इस सरकारी स्कूल में तमाम वो सुविधाएं है जो बड़े बड़े निजी स्कूलों में होती है और उससे बड़ी बात है यहां के छात्रों व स्टाफ की लग्न जिसने स्कूल को हर क्षेत्र में अव्वल दर्जा दिया है। ये स्कूल अन्य सरकरी स्कूलों के लिए एक मिसाल है। सरकार को भी चाहिए की इस तरह के स्कूलों को प्रोत्साहन दे ताकि न्य स्कूल भी सबक लेकर कुछ बेहतर करने की जिज्ञासा मन में पाले और सरकारी स्कूलों की दशा सुधरे। अगर ऐसे ही स्टाफ मेहनत करेगा तो इंडिया पढ़ेगा भी और इंडिया आगे भी बढ़ेगा।