डेरा सिरसा मुखी गुरमीत राम रहीम हार्डकोर अपराधी हैं या नहीं, इस मुद्दे पर आज पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। राम रहीम की फरलो के विरोध में दाखिल याचिका में हाईकोर्ट में इस बात पर बहस छिड़ी थी कि राम रहीम हार्डकोर अपराधी है या नहीं।
इससे पहले बुधवार को हरियाणा सरकार ने अपना जवाब दायर कर कहा था कि डेरा मुखी पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है और वह सीधे तौर पर हत्यारा नहीं है। ऐसे में उसे हार्डकोर अपराधी नहीं कहा जा सकता। इसके साथ ही यह भी बताया कि यदि कोई हार्डकोर अपराधी भी हो तो उसे 5 वर्ष की सजा पूरी होने के बाद फरलो का अधिकार है। हरियाणा के एजी ने भी अपनी कानूनी राय सरकार को देते हुए कहा था कि राम रहीम हार्डकोर क्रिमिनल नहीं है।
हाईकोर्ट ने सरकार के इस जवाब पर कहा कि सरकार ऐसी कोई जजमेंट पेश करे जिसके तहत यह साबित हो सके कि डेरा मुखी को हार्ड-कोर क्रिमिनल नहीं माना सकता। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राम रहीम को आईपीसी की धारा 120बी और 302 के तहत दोषी करार दिया गया है और ऐसे में वह हत्यारा है। वह हार्डकोर अपराधी है। साथ ही यह भी बताया कि वह 2021 में हार्डकोर अपराधी बना था और हार्डकोर अपराधी बनने के 5 साल बाद ही उसे फरलो का लाभ दिया जा सकता है।
पटियाला निवासी ने फरलो के खिलाफ दायर की थी याचिका
डेरा मुखी को दी गई फरलो के खिलाफ पटियाला के भादसों निवासी परमजीत सिंह सहोली ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि राम रहीम को कई संगीन अपराधों का दोषी करार दिया जा चुका है और सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। इसके अलावा उसके खिलाफ कुछ आपराधिक मामले अभी भी अदालतों में चल रहे हैं। बावजूद इसके हरियाणा सरकार ने डेरा प्रमुख को 7 फरवरी से 27 फरवरी तक 20 दिनों की फरलो दे दी। याची ने कहा था कि पंजाब विधान सभा के 20 फरवरी को चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में ठीक इन चुनावों से पहले डेरा मुखी को फरलो राजनैतिक लाभ उठाने के लिए ही दी गई है। ऐसे में डेरा मुखी की फरलो के आदेश रद्द करने की हाईकोर्ट से मांग की गई है।