हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने करनाल जिले में डायरिया के कारण 6 मजदूरों की मौत के लिए जिम्मेदार हरियाणा एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड को माना है। इसलिए आयोग ने सरकार को 6 मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपए प्रति मजदूर मुआवजा देने के आदेश जारी किए हैं।
हालांकि मृतकों को पहले 1.50 लाख रुपए मुआवजा सरकार दे चुकी है, इसलिए उन्हें बाकी का 3.50 लाख रुपए मार्केटिंग बोर्ड देगा। मरने वालों में शंभू, रिजवी राय, गोमती देवी, कमल कुमारी, छोटू पासवान और अशोक शामिल थे। मृतकों को दो महीने के अंदर मुआवजा दिया जाएगा।
ये था मामला
28 सितंबर 2018 को करनाल अनाज मंडी के आसपास स्थित स्लम बस्ती के सैकड़ों लोगों को डायरिया, पेट खराब व बुखार की शिकायत हुई थी। इसमें से 1036 लोग करनाल के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में डायरिया की शिकायत लेकर पहुंचे थे, जिनमें से 269 लोगों को डायरिया होने की पुष्टि हुई थी।
62 लोग अस्पताल में दाखिल थे। इलाज के दौरान 6 लोगों की मृत्यु हो गई थी। मरने वाले सभी लोग मंडी में काम करने वाले बेलदार मजदूर थे। स्वास्थ्य विभाग ने मंडी से पानी के सैंपल जुटाए, जिसमें जांच में आया कि बीमारी की वजह गंदे पानी का सेवन था।
मार्केट कमेटी विभाग के अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को इस मामले पर मिस गाइड किया तो मामला आयोग के पास पहुंचा। हरियाणा मानव अधिकार आयोग की पीठ जिसमें अध्यक्ष जस्टिस एस के मित्तल व सदस्य जस्टिस के सी पूरी व सदस्य दीप भाटिया थे।
इन्होंने उपरोक्त मामले की सरकार के विभिन्न महकमों से रिपोर्ट तलब की। सारे महकमों की बात सुनने के बाद पाया कि मुख्यमंत्री रिलीफ फंड के द्वारा मृतकों को एक लाख रुपया व 50 हजार रुपए अन्नाज मंडी पंचायत द्वारा मुआवजे के तौर पर दिया जा चुका है।
आयोग ने पाया क्योंकि यह मंडी में काम करने वाले मजदूर थे तथा मंडी बोर्ड इसके लिए के लिए अपनी जिम्मेवारी से मुकर नहीं सकते। क्योंकि बोर्ड द्वारा इस बाबत बाकायदा टैक्स लिया जाता है जोकि मंडी में काम करने वालों के कल्याण पर खर्च किए जाने चाहिए। हरियाणा मानव अधिकार आयोग की पीठ ने अपने आदेश में सरकार को प्रत्येक मृतक के परिवार को पांच लाख की राशि देने की सिफारिश की है जिसमें से पहले दो गई राशि की कटौती करके अब साढ़े़ तीन लाख का और भुगतान किया जाना होगा।